भारत में पोलियो का आखिरी मामला 13 जनवरी, 2011 को पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में दर्ज किया गया था। इसके बाद, तीन वर्षों तक देश में पोलियो का कोई नया मामला सामने नहीं आया। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, किसी देश में यदि वैक्सीनेशन के बाद तीन वर्षों तक किसी बीमारी का एक भी मामला नहीं होता, तो उस देश को उस बीमारी से मुक्त घोषित कर दिया जाता है।
मार्च 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत को पोलियो मुक्त राष्ट्र घोषित किया। यह घोषणा एक बड़ी उपलब्धि थी, जो दशकों के समर्पित प्रयासों, प्रभावी रणनीतियों, और सामूहिक भागीदारी का परिणाम थी। भारत का यह सफर केवल स्वास्थ्य क्षेत्र में एक मील का पत्थर नहीं है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर एक प्रेरणा स्रोत भी है।
भारत को पोलियो मुक्त घोषित करने के लिए मानदंड:
WHO ने भारत को पोलियो मुक्त घोषित करने के लिए निम्नलिखित मानदंड तय किए थे:
- तीन वर्षों तक वाइल्ड पोलियो वायरस संक्रमण का कोई मामला न होना।
- मजबूत निगरानी प्रणाली का संचालन।
- शेष पोलियो वायरस स्टॉक को नष्ट करना।
इन मानदंडों को पूरा करने के लिए भारत ने अपनी टीकाकरण प्रणाली को मजबूत बनाया और एक व्यापक निगरानी प्रणाली का निर्माण किया।
पोलियो उन्मूलन में भारत की सफलता का सफर:
1. व्यापक टीकाकरण अभियान
- भारत का सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (Universal Immunization Programme – UIP) दुनिया के सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है।
- यह 12 बीमारियों के लिए मुफ्त टीकाकरण सेवाएँ प्रदान करता है।
- 1985 में, विस्तारित टीकाकरण कार्यक्रम का नाम बदलकर UIP किया गया, और इसे ग्रामीण क्षेत्रों तक विस्तार दिया गया।
2. राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस
- राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस (NID) और उप-राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस (SNID) नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं।
- इन अभियानों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी बच्चा टीकाकरण से वंचित न रह जाए और प्रतिरक्षा का स्तर ऊँचा बना रहे।
3. सीमाओं पर कड़ी निगरानी
- अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर टीकाकरण कार्यक्रम चलाए गए, जिससे पोलियो प्रभावित देशों से भारत में वायरस के प्रवेश का जोखिम कम हुआ।
4. इनएक्टिव पोलियो वैक्सीन (IPV)
- 2015 में अपनाई गई यह वैक्सीन पोलियो वायरस के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करती है, खासकर टाइप-2 पोलियो वायरस के खिलाफ।
5. मिशन इंद्रधनुष
- 2014 में शुरू किए गए मिशन इंद्रधनुष का उद्देश्य टीकाकरण कवरेज को 90% तक बढ़ाना है।
- इस मिशन के तहत दुर्गम और टीकाकरण की कम दर वाले क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया।
पोलियो वायरस: एक नजर
पोलियो क्या है?
- यह एक अत्यधिक संक्रामक वायरल बीमारी है, जो मुख्यतः 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों को प्रभावित करती है।
- यह बीमारी फेकल-ओरल रूट से फैलती है और दूषित पानी या भोजन से भी संक्रमण हो सकता है। यह वायरस आंत में पहुंचने के बाद तेजी से अपनी संख्या बढ़ाता है और फिर तंत्रिका तंत्र पर हमला कर सकता है, जिससे पक्षाघात होने की संभावना बढ़ जाती है।
पोलियो के प्रकार
- टाइप-1 पोलियो वायरस: 2022 के आंकड़ों के अनुसार, यह पाकिस्तान और अफगानिस्तान में स्थानिक (एंडेमिक) रूप से मौजूद है।
- टाइप-2 पोलियो वायरस: 1999 में इसका उन्मूलन हो गया।
- टाइप-3 पोलियो वायरस: 2020 में इसे समाप्त घोषित किया गया।
टीका-जनित पोलियो का खतरा
- टीका-जनित पोलियो तब होता है जब ओरल पोलियो वैक्सीन (OPV) में मौजूद कमजोर किया गया वायरस (अटेन्यूएटेड स्ट्रेन) उत्परिवर्तित हो जाता है। इस उत्परिवर्तन के कारण, यह वायरस कम टीकाकरण कवरेज वाले क्षेत्रों में फैल सकता है और पक्षाघात करने की अपनी क्षमता पुनः प्राप्त कर सकता है।
आगे की राह: भारत की जिम्मेदारी
- पोलियो मुक्त स्थिति बनाए रखना: सतत् निगरानी और व्यापक टीकाकरण जारी रखना।
- अन्य बीमारियों पर ध्यान केंद्रित करना: पोलियो की तरह, अन्य संक्रामक बीमारियों के उन्मूलन के लिए समान रणनीतियाँ अपनाना।
- नवाचार को बढ़ावा देना: नई तकनीकों और टीकाकरण कार्यक्रमों को प्राथमिकता देना।
निष्कर्ष:
भारत में पोलियो उन्मूलन के 10 वर्ष पूरे होना जनभागीदारी, सरकारी प्रयासों और स्वास्थ्यकर्मियों की कड़ी मेहनत का परिणाम है। यह उपलब्धि न केवल भारत के लिए गर्व का विषय है, बल्कि यह दर्शाती है कि जब कोई देश समर्पण और नवाचार के साथ काम करता है, तो असंभव भी संभव हो सकता है।
FAQs:
भारत को पोलियो मुक्त कब घोषित किया गया था?
भारत को 27 मार्च 2014 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पोलियो मुक्त घोषित किया था।
पोलियो वायरस कैसे फैलता है?
पोलियो वायरस मुख्यतः फेकल-ओरल मार्ग से फैलता है। दूषित पानी या भोजन के माध्यम से भी यह फैल सकता है।
टीका-जनित पोलियो क्या है?
टीका-जनित पोलियो तब होता है जब ओरल पोलियो वैक्सीन (OPV) का कमजोर स्ट्रेन उत्परिवर्तित होकर वापस सक्रिय हो जाता है और कम टीकाकरण कवरेज वाले क्षेत्रों में फैल सकता है।
मिशन इंद्रधनुष का उद्देश्य क्या है?
मिशन इंद्रधनुष का उद्देश्य भारत में टीकाकरण कवरेज को 90% तक बढ़ाना है, खासकर दुर्गम और निम्न टीकाकरण दर वाले क्षेत्रों में।