तेलंगाना को 2014 में आंध्र प्रदेश से अलग करके एक अलग राज्य बनाया गया था। हैदराबाद को तेलंगाना की राजधानी बनाया गया। यह निर्णय विकास में कथित क्षेत्रीय असमानता को देखते हुए लिया गया था। स्वतंत्रता के बाद, आंध्र प्रदेश भाषा के आधार पर गठित होने वाला देश का पहला राज्य था। 1953 में पोट्टि श्रीरामुलु की अनशन के दौरान मृत्यु के बाद आंध्र प्रदेश का गठन हुआ था। तेलंगाना के गठन ने भारतीय राजनीतिक और सामाजिक ताने-बाने में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन की शुरुआत की।
भारत के संविधान में नए राज्यों के गठन के प्रावधान:
भारत के संविधान के अनुच्छेद 3 में नए राज्यों के गठन और मौजूदा राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन संबंधी प्रावधान किया गया है। वर्तमान में, भारत में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं। संविधान के तहत, संसद को यह शक्ति प्राप्त है कि वह नए राज्यों का गठन कर सके और मौजूदा राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन कर सके।
स्वतंत्रता के बाद भारत में नए राज्यों के गठन की मांग को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारक:
भाषायी कारक:
1953 में, केंद्र सरकार ने न्यायमूर्ति फजल अली की अध्यक्षता में राज्य पुनर्गठन आयोग (SRC) का गठन किया था। इस आयोग ने वित्तीय व्यवहार्यता, राष्ट्रीय कल्याण, विकास, भाषा, संस्कृति जैसे कारकों के आधार पर 14 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों (UT) के गठन की सिफारिश की थी। संसद ने आयोग की सिफारिशों को सातवें संविधान संशोधन अधिनियम, 1956 के जरिए लागू किया था।
विकास में पिछड़ापन:
विकास में पिछड़ापन एक प्रमुख कारण रहा है, जिसके आधार पर 2000 में उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और झारखंड राज्यों तथा 2014 में तेलंगाना राज्य का गठन हुआ था। इन राज्यों का गठन उन क्षेत्रों की सामाजिक और आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया गया था।
अन्य कारक:
भारत के पूर्वोत्तर भाग में राज्यों का पुनर्गठन नृजातीयता, संस्कृति और रीति-रिवाजों के आधार पर किया गया था। इस क्षेत्र में विविधता और विशिष्टता को ध्यान में रखते हुए नए राज्यों का गठन किया गया।
नए राज्यों के गठन की प्रक्रिया:
संविधान के अनुच्छेद 3 के अनुसार:
शक्ति: संसद कानून बनाकर एक नया राज्य बना सकती है।
राष्ट्रपति की मंजूरी: नए राज्य के गठन से संबंधित विधेयक राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी पर ही संसद के किसी भी सदन में पेश किया जाएगा।
राज्य विधान-मंडलों से परामर्श: किसी विधेयक को मंजूरी देने से पहले राष्ट्रपति विधेयक को उस राज्य विधान-मंडल को निर्धारित समय के भीतर अपना विचार व्यक्त करने के लिए भेजेगा जिसके क्षेत्र, सीमा या नाम प्रभावित हो रहे हों।
संसद की प्रक्रिया: संसद एक साधारण विधेयक पारित करके एक नया राज्य बना सकती है। साधारण विधेयक संसद में साधारण बहुमत से यानी सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों की बहुमत से पारित किया जाता है।
तेलंगाना के गठन के 10 वर्ष: विकास और चुनौतियाँ
तेलंगाना के गठन ने विकास में असमानता और क्षेत्रीय भावनाओं को ध्यान में रखते हुए भारत में प्रशासनिक पुनर्गठन की आवश्यकता को स्पष्ट किया है। पिछले दस वर्षों में, तेलंगाना ने विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा और सामाजिक कल्याण। राज्य सरकार ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में समृद्धि और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए कई पहलें शुरू की हैं।
तेलंगाना की अर्थव्यवस्था और रोजगार के अवसर
तेलंगाना की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है, और राज्य में आईटी, फार्मास्युटिकल्स, और कृषि जैसे प्रमुख क्षेत्रों में निवेश बढ़ा है। राज्य सरकार ने रोजगार के अवसर बढ़ाने और युवाओं को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं।
संस्कृति और पर्यटन का विकास
तेलंगाना राज्य में पर्यटन और संस्कृति के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय विकास हुआ है। हैदराबाद, वारंगल, और रामोजी फिल्म सिटी जैसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों ने राज्य को एक प्रमुख पर्यटन गंतव्य बना दिया है। राज्य सरकार ने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करने के लिए भी कई प्रयास किए हैं।
तेलंगाना के चार प्रतीक:
- राज्य पक्षी – पालपिट्टा (भारतीय रोलर या ब्लू जे)
- राज्य पशु – जिंका (हिरण)
- राजकीय वृक्ष – जम्मी चेट्टू (प्रोसोपिस सिनेरिया)
- राज्य पुष्प – तांगेदु (टान्नर कैसिया)
निष्कर्ष:
तेलंगाना राज्य के गठन के 10 वर्ष पूरे होने पर इस ऐतिहासिक घटना की यादें ताजा हो गई हैं और भविष्य में क्षेत्रीय विकास और समावेशिता के महत्व को फिर से रेखांकित किया है। नए राज्यों का गठन न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहित करता है। तेलंगाना का विकास एक उदाहरण है कि कैसे सही नीतियों और प्रयासों से क्षेत्रीय असमानताओं को दूर किया जा सकता है और सभी के लिए समृद्धि सुनिश्चित की जा सकती है।
FAQs:
भारत के संविधान में नए राज्यों के गठन के लिए क्या प्रावधान हैं?
भारत के संविधान के अनुच्छेद 3 में नए राज्यों के गठन और मौजूदा राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन संबंधी प्रावधान किया गया है। संसद को यह शक्ति प्राप्त है कि वह नए राज्यों का गठन कर सके और मौजूदा राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन कर सके।
तेलंगाना को कब और क्यों अलग राज्य बनाया गया?
तेलंगाना को 2 जून 2014 को आंध्र प्रदेश से अलग करके एक अलग राज्य बनाया गया था। यह निर्णय विकास में कथित क्षेत्रीय असमानता को दूर करने के लिए लिया गया था।
स्वतंत्रता के बाद भारत में नए राज्यों के गठन को क्या-क्या कारकों ने जन्म दिया?
भाषाई कारक: 1956 में भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन किया गया था।
विकास में पिछड़ापन: तेलंगाना, छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तराखंड जैसे राज्यों का गठन विकास में पिछड़ेपन को दूर करने के लिए किया गया था।
अन्य कारक: पूर्वोत्तर भारत में राज्यों का गठन नृजातीयता, संस्कृति और रीति-रिवाजों के आधार पर किया गया था।