100 Years of Quantum Mechanics: 2025 to be International Year of Quantum Science and Technology; क्वांटम यांत्रिकी के 100 वर्ष: 2025 बनेगा अंतर्राष्ट्रीय क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी वर्ष:

संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2025 को ‘अंतर्राष्ट्रीय क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी वर्ष’ के रूप में घोषित किया है। यह घोषणा क्वांटम यांत्रिकी के प्रारंभिक विकास के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में की गई है। यह विज्ञान के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है, जो आधुनिक तकनीकी प्रगति का आधार है। क्वांटम यांत्रिकी की अवधारणाएं हमारे आसपास की दुनिया को समझने और नई तकनीकों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस पहल का उद्देश्य क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के महत्व को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाना और इस क्षेत्र में होने वाले अनुसंधानों और विकास को प्रोत्साहित करना है। यह पहल न केवल वैज्ञानिक समुदाय को प्रेरित करेगी, बल्कि आम जनता को भी क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के महत्व और इसके विभिन्न अनुप्रयोगों के बारे में जागरूक करेगी।

क्वांटम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का अध्ययन परमाणु और उप-परमाणु पैमाने पर पदार्थ एवं ऊर्जा के व्यवहार को नियंत्रित करने वाले सिद्धांतों पर आधारित है। यह क्षेत्र अत्यधिक जटिल और सूक्ष्मतम स्तर पर कार्य करता है, जिससे उद्योग, स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन, और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव आ रहे हैं। आइए, इसकी मूलभूत अवधारणाओं और उपयोगों पर एक नजर डालते हैं।

क्वांटम यांत्रिकी की यह अवधारणा बताती है कि अत्यंत छोटी वस्तुएं कण और तरंग, दोनों की तरह व्यवहार करती हैं।

  • कण: पदार्थ के अति सूक्ष्म टुकड़े होते हैं।
  • तरंग: ऊर्जा स्थानांतरित करने वाले विक्षोभ या परिवर्तन।

क्वांटम सुपरपोजिशन

इस सिद्धांत के अनुसार, एक कण या प्रणाली एक साथ कई अवस्थाओं की सुपरपोजिशन में मौजूद रह सकती है। हालांकि, यह स्थिति उनके अवलोकन की स्थिति से भिन्न प्रतीत हो सकती है। यह अवधारणा क्वांटम कंप्यूटिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जहां एक क्वांटम बिट (क्यूबिट) एक ही समय में 0 और 1 दोनों अवस्थाओं में हो सकता है, जिससे गणना की क्षमता बढ़ जाती है।

एंटेंगलमेंट

एंटेंगलमेंट का मतलब होता है कि दो कण एक निश्चित तरीके से आपस में जुड़े होते हैं और एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं, चाहे वे कितनी भी दूरी पर क्यों न हों। यह जुड़ाव कणों के बीच की दूरी से प्रभावित नहीं होता है। इसका उपयोग क्वांटम संचार और क्वांटम क्रिप्टोग्राफी में होता है, जिससे सुरक्षित संचार संभव होता है।

प्रिंसिपल ऑफ अनसर्टेनिटी

प्रिंसिपल ऑफ अनसर्टेनिटी, जिसे हीज़ेनबर्ग का अनिश्चितता सिद्धांत भी कहा जाता है, क्वांटम यांत्रिकी का एक प्रमुख सिद्धांत है।इस सिद्धांत के अनुसार, हम किसी कण (जैसे कि फोटॉन या इलेक्ट्रॉन) की अवस्थिति और गति दोनों को एक ही समय में सटीकता के साथ नहीं माप सकते हैं। इस अवधारणा का महत्वपूर्ण प्रभाव क्वांटम मापन और क्वांटम सेंसिंग पर पड़ता है, जिससे उच्च सटीकता वाले उपकरण विकसित किए जा सकते हैं।

  • जब हम कहते हैं कि उच्च सटीकता वाले उपकरण विकसित किए जा सकते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम कण की अवस्थिति और गति दोनों को एक ही समय में सटीकता से माप सकते हैं। बल्कि इसका मतलब यह है कि हम क्वांटम मापन तकनीकों का उपयोग करके किसी एक विशेषता (अवस्थिति या गति) को बहुत उच्च सटीकता से माप सकते हैं।

उद्योग एवं बुनियादी ढांचा

क्वांटम विज्ञान तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देती है और क्वांटम संचार (Quantum communication) के माध्यम से वित्तीय अवसंरचनाओं को सुरक्षित करती है। यह न केवल उद्योगों को सुरक्षित और कुशल बनाती है, बल्कि डेटा की सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। क्वांटम कंप्यूटिंग और क्वांटम सेंसिंग तकनीकों का उपयोग उद्योगों में नई संभावनाएं और उन्नत समाधान प्रदान करने के लिए किया जा रहा है।

स्वास्थ्य एवं कल्याण

क्वांटम फोटोनिक्स मेडिकल इमेजिंग और निदान को आगे बढ़ा रहा है। क्वांटम रसायन विज्ञान नए टीकों और दवाओं के विकास में सहायता कर रहा है। इसके अलावा, क्वांटम सेंसर और उपकरणों का उपयोग चिकित्सा में बढ़ रहा है, जिससे सटीक निदान और उपचार संभव हो रहा है। उदाहरण के लिए, क्वांटम एमआरआई और क्वांटम डॉट्स का उपयोग अधिक सटीक और संवेदनशील चिकित्सा इमेजिंग के लिए किया जा रहा है।

जलवायु परिवर्तन संबंधी कार्रवायी

क्वांटम यांत्रिकी अधिक ऊर्जा-दक्ष और किफायती सौर सेल एवं कम उत्सर्जन वाले LED प्रकाश स्रोत के विकास में सहायता कर रही है। इसके अलावा, दीर्घकालिक क्लाइमेट मॉडल्स को और बेहतर बनाने में भी मदद कर रही है, जिससे जलवायु परिवर्तन की भविष्यवाणी और उस पर कार्यवाही करना आसान हो रहा है।

क्लाइमेट मॉडल

क्वांटम यांत्रिकी के उपयोग से विकसित क्लाइमेट मॉडल पृथ्वी की जलवायु प्रणाली का एक कंप्यूटर सिमुलेशन होता है, जो जलवायु परिवर्तन को समझने में मदद करता है। यह मॉडल भविष्य में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की सटीक भविष्यवाणी करने में सहायक होते हैं। ये मॉडल भविष्य की जलवायु परिस्थितियों का पूर्वानुमान लगाने में सहायक होते हैं, जिससे जलवायु नीति और योजना बनाने में सहायता मिलती है।

भारत सरकार ने क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहलें शुरू की हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं:

राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (2023)

इसका उद्देश्य क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना, उसका समर्थन करना तथा उसे आगे बढ़ाना है। इसके अलावा, क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक जीवंत व नवीन इकोसिस्टम का निर्माण करना है।

क्वांटम-सक्षम विज्ञान और प्रौद्योगिकी (QuEST)

यह एक शोध आधारित कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य क्वांटम क्षमताएं निर्मित करना है। इसके तहत वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाता है और क्वांटम प्रौद्योगिकी में नवाचार को प्रोत्साहित किया जाता है।

क्वांटम कंप्यूटिंग एप्लीकेशन लैब (QCAL)

इसका उद्देश्य क्वांटम कंप्यूटिंग आधारित अनुसंधान एवं विकास में तेजी लाना तथा नई वैज्ञानिक खोजों को सक्षम बनाना है। यह लैब वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में कार्य करने के लिए आवश्यक संसाधन और सुविधाएं प्रदान करती है।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2025 को ‘अंतर्राष्ट्रीय क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी वर्ष’ के रूप में घोषित करना क्वांटम यांत्रिकी के महत्व और इसकी उपलब्धियों का सम्मान है। यह कदम वैज्ञानिक समुदाय को प्रेरित करेगा और क्वांटम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नए अनुसंधानों और खोजों को प्रोत्साहित करेगा।

क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों और इसके अनुप्रयोगों ने विज्ञान, उद्योग, स्वास्थ्य, और पर्यावरण के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं, और यह भविष्य में भी वैज्ञानिक विकास का एक प्रमुख हिस्सा बने रहेंगे। 2025 का वर्ष क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक बनेगा, जो मानवता के लिए नई संभावनाओं और अवसरों के द्वार खोलेगा।

संयुक्त राष्ट्र ने 2025 को ‘अंतर्राष्ट्रीय क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी वर्ष’ क्यों घोषित किया है?

संयुक्त राष्ट्र ने यह घोषणा क्वांटम यांत्रिकी के प्रारंभिक विकास के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में की है। इसका उद्देश्य क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के महत्व को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाना और इस क्षेत्र में हो रहे अनुसंधानों और विकास को प्रोत्साहित करना है।

क्वांटम यांत्रिकी क्या है?

क्वांटम यांत्रिकी परमाणु और उप-परमाणु पैमाने पर पदार्थ और ऊर्जा के व्यवहार को नियंत्रित करने वाले सिद्धांतों का अध्ययन है। यह विज्ञान का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जो आधुनिक तकनीकी प्रगति का आधार है।

क्वांटम सुपरपोजिशन क्या है?

क्वांटम सुपरपोजिशन सिद्धांत के अनुसार, एक कण या प्रणाली एक साथ कई अवस्थाओं की सुपरपोजिशन में मौजूद रह सकती है। यह अवधारणा क्वांटम कंप्यूटिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

एंटेंगलमेंट क्या है?

एंटेंगलमेंट का मतलब होता है कि दो कण एक निश्चित तरीके से आपस में जुड़े होते हैं और एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं, चाहे वे कितनी भी दूरी पर क्यों न हों। इसका उपयोग क्वांटम संचार और क्वांटम क्रिप्टोग्राफी में होता है।

प्रिंसिपल ऑफ अनसर्टेनिटी क्या है?

प्रिंसिपल ऑफ अनसर्टेनिटी, जिसे हीज़ेनबर्ग का अनिश्चितता सिद्धांत भी कहा जाता है, के अनुसार, हम किसी कण की अवस्थिति और गति दोनों को एक ही समय में सटीकता के साथ नहीं माप सकते हैं।

क्वांटम यांत्रिकी का उपयोग कहां-कहां होता है?

क्वांटम यांत्रिकी का उपयोग उद्योग, स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन, और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में होता है। यह तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देती है, वित्तीय अवसंरचनाओं को सुरक्षित करती है, और चिकित्सा इमेजिंग एवं निदान को आगे बढ़ाती है।

भारत सरकार की कौन-कौन सी पहलें हैं जो क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में की गई हैं?

भारत सरकार ने राष्ट्रीय क्वांटम मिशन, क्वांटम-सक्षम विज्ञान और प्रौद्योगिकी (QuEST), और क्वांटम कंप्यूटिंग एप्लीकेशन लैब (QCAL) जैसी कई महत्वपूर्ण पहलें शुरू की हैं। इनका उद्देश्य क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना है।

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