75 Years of India-China Relations; भारत-चीन संबंधों में 75 वर्षों का सफर:

वर्ष 2025 भारत और चीन के राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ का प्रतीक होगा। इस अवसर के तहत हाल ही में भारतीय विदेश सचिव ने चीन का दौरा किया और अपने समकक्ष के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में लोक कूटनीति (Public Diplomacy) को बढ़ावा देने और विविध स्मरणीय गतिविधियों के संचालन पर सहमति बनी। यह अवसर दोनों देशों के लिए अपने संबंधों की समीक्षा करने और भविष्य में सहयोग को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।

भारत-चीन संबंधों में हालिया घोषणाएं:

इस बैठक के दौरान भारत और चीन ने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए कई अहम घोषणाएं कीं, जिनका उद्देश्य सांस्कृतिक, आर्थिक और रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा देना है।

1. कैलाश मानसरोवर यात्रा की पुनः शुरुआत

भारत और चीन ने 2025 की गर्मियों में कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने पर सहमति व्यक्त की। यह यात्रा भारतीय श्रद्धालुओं, विशेषकर हिंदू और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। 2020 के बाद से यह यात्रा स्थगित थी, जिसे अब फिर से शुरू किया जाएगा।

2. सीमा-पार नदियों से संबंधित सहयोग

भारत और चीन सीमा-पार नदियों के जल विज्ञान संबंधी डेटा के आदान-प्रदान और अन्य जल सहयोग को पुनः शुरू करने पर सहमत हुए हैं। यह कदम नदियों के प्रवाह, बाढ़ की चेतावनी और जल संसाधन प्रबंधन को बेहतर बनाने में मदद करेगा।

3. सीधी हवाई सेवाओं की बहाली

दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने पर सहमति बनी। इससे व्यापार, पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा।

4. लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा

भारत और चीन ने विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के लिए मीडिया, थिंक टैंक, अकादमिक संस्थानों और सांस्कृतिक समूहों के बीच संवाद बढ़ाने पर भी सहमति जताई। इससे दोनों देशों के बीच विश्वास और आपसी समझ को बेहतर किया जा सकेगा।

भारत-चीन संबंधों की प्रमुख चुनौतियाँ:

हालांकि भारत और चीन एशिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ हैं और उनका इतिहास हजारों वर्षों से व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और कूटनीतिक संबंधों से जुड़ा रहा है, लेकिन विभिन्न विवादों और चुनौतियों के कारण द्विपक्षीय संबंध अक्सर जटिल बने रहते हैं।

1. सीमाई विवाद और सुरक्षा चिंताएँ

भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को लेकर कोई स्पष्ट आपसी समझौता नहीं है, जिससे सीमा पर तनाव बना रहता है।

  • अक्साई चिन विवाद: भारत इस क्षेत्र को अपना हिस्सा मानता है, जबकि चीन इस पर दावा करता है।
  • गलवान घाटी संघर्ष (2020): लद्दाख क्षेत्र में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया।
  • तवांग संघर्ष (2022): अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई, जिससे चीन की विस्तारवादी नीतियों पर फिर से सवाल खड़े हुए।

2. व्यापार असंतुलन और आर्थिक मुद्दे

भारत और चीन के बीच व्यापार असंतुलन एक प्रमुख चिंता का विषय है।

  • वर्ष 2022-23 में भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 83.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो 2023-24 में बढ़कर 85 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
  • भारत चीन से भारी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी और दवा सामग्री आयात करता है, जबकि भारतीय उत्पादों को चीनी बाजार में अपेक्षाकृत कम अवसर मिलते हैं।
  • भारत सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी नीतियों को मजबूत करके इस असंतुलन को कम करने का प्रयास किया है।

3. चीन-पाकिस्तान गठजोड़

चीन और पाकिस्तान के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

  • चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है, जिसे भारत अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है।
  • चीन पाकिस्तान को आर्थिक और सैन्य सहायता प्रदान करता है, जिससे क्षेत्रीय संतुलन प्रभावित होता है।
  • भारत ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर CPEC और चीन-पाक गठजोड़ को लेकर अपनी आपत्तियाँ दर्ज कराई हैं।

4. चीन की विस्तारवादी रणनीति

चीन लगातार दक्षिण एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, जिससे भारत-प्रशांत क्षेत्र में भू-राजनीतिक असंतुलन पैदा हो रहा है।

  • ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ रणनीति: चीन भारत के पड़ोसी देशों (मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश) में निवेश और आधारभूत संरचना परियोजनाओं के जरिए अपनी उपस्थिति मजबूत कर रहा है।
  • दक्षिण चीन सागर विवाद: चीन इस क्षेत्र में अन्य देशों के खिलाफ आक्रामक नीति अपना रहा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यापार प्रभावित हो सकता है।
  • चीन की ‘वन चाइना पॉलिसी’ और ताइवान मुद्दे पर भारत की तटस्थता भी द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित कर सकती है।

भारत-चीन संबंधों को सुधारने के संभावित उपाय:

1. सीमाई मुद्दों का समाधान

भारत और चीन को LAC पर तनाव को कम करने और सीमा विवादों को हल करने के लिए सक्रिय वार्ता करनी चाहिए।

  • हाल ही में देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में सीमा विवादों के समाधान के लिए द्विपक्षीय वार्ताएँ आयोजित की गई हैं।
  • दोनों देशों को सीमा प्रबंधन तंत्र को मजबूत करना चाहिए ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की झड़पों से बचा जा सके।

2. द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग

  • व्यापार असंतुलन को कम करने के लिए भारत को घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिए।
  • भारत को ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी नीतियों को और सशक्त बनाना होगा ताकि चीन पर निर्भरता कम की जा सके।
  • भारतीय कंपनियों को चीन के बाजार में अधिक अवसर देने के लिए व्यापार समझौतों पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।

3. बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग

  • ब्रिक्स (BRICS), शंघाई सहयोग संगठन (SCO) और G20 जैसे वैश्विक मंचों पर भारत और चीन को आपसी सहयोग बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।

4. सांस्कृतिक और जनसंपर्क पहल

  • दोनों देशों को शिक्षा, तकनीकी सहयोग, मीडिया और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से आपसी विश्वास बढ़ाने पर जोर देना चाहिए।
  • भारतीय और चीनी शिक्षण संस्थानों के बीच छात्र आदान-प्रदान कार्यक्रम को बढ़ावा देना चाहिए।

निष्कर्ष:

भारत-चीन के राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ दोनों देशों के लिए बीते दशकों की समीक्षा करने और भविष्य के संबंधों की दिशा तय करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। हालाँकि सीमाई विवाद, व्यापार असंतुलन और भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा जैसी चुनौतियाँ मौजूद हैं, लेकिन सकारात्मक संवाद, कूटनीति और आपसी सहयोग के माध्यम से द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया जा सकता है।

FAQs:

भारत और चीन के बीच मुख्य विवाद क्या हैं?

मुख्य विवाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सीमा विवाद, गलवान घाटी संघर्ष (2020), व्यापार असंतुलन, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) और दक्षिण एशिया में चीन की बढ़ती गतिविधियां हैं।

भारत चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का समर्थन क्यों नहीं करता?

भारत BRI का विरोध करता है क्योंकि इसका प्रमुख प्रोजेक्ट, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC), पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है, जिसे भारत अपनी संप्रभुता के खिलाफ मानता है।

चीन की ‘स्टिंग ऑफ पर्ल्स’ रणनीति क्या है?

‘स्टिंग ऑफ पर्ल्स’ रणनीति के तहत, चीन दक्षिण एशिया में श्रीलंका, मालदीव, बांग्लादेश और पाकिस्तान में बंदरगाहों और आधारभूत ढांचे का निर्माण कर रहा है, जिससे भारत की समुद्री सुरक्षा को चुनौती मिल सकती है।

भारत और चीन अपने संबंधों को सुधारने के लिए क्या कदम उठा सकते हैं?

सीमा विवाद का शांतिपूर्ण समाधान, व्यापार संतुलन, सांस्कृतिक और शैक्षणिक आदान-प्रदान, तथा बहुपक्षीय मंचों जैसे BRICS और SCO में सहयोग बढ़ाना दोनों देशों के संबंध सुधारने में मदद कर सकता है।

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