हाल ही में, भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष ने रूस के टॉम्स्क क्षेत्र में “प्रोरीव” या “ब्रेकथ्रू” परियोजना स्थल का दौरा किया। इस महत्वपूर्ण दौरे के दौरान, दोनों देशों ने परमाणु सहयोग के विस्तार के विभिन्न संभावित क्षेत्रों पर विस्तृत चर्चा की। यह कदम भारत और रूस के बीच परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में गहराते संबंधों का एक और प्रमाण है।
परियोजना प्रोरीव: एक परिचय
प्रोजेक्ट प्रोरीव बंद परमाणु ईंधन चक्र (Closed Nuclear Fuel Cycle) के साथ नए तकनीकी मंच के निर्माण पर केंद्रित है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य प्रयुक्त हो चुके परमाणु ईंधन और रेडियोधर्मी अपशिष्ट संबंधी समस्याओं का समाधान करना है।
परमाणु ईंधन चक्र के मुख्य चरण:
- फ्रंट एंड: ईंधन तैयार करना
- सर्विस पीरियड: रिएक्टर परिचालन के दौरान प्रयुक्त ईंधन का उपयोग
- बैक एंड: प्रयुक्त परमाणु ईंधन का सुरक्षित प्रबंधन
बंद परमाणु ईंधन चक्र में प्रयुक्त ईंधन को पुनः प्रसंस्कृत और पुनर्चक्रित किया जाता है। यदि प्रयुक्त ईंधन को फिर से प्रसंस्कृत नहीं किया जाता है, तो इसे “ओपन फ्यूल साइकल (खुला ईंधन चक्र)” कहा जाता है।
रूस-भारत परमाणु सहयोग के विस्तार के संभावित क्षेत्र
भारत और रूस के बीच परमाणु ऊर्जा सहयोग के विस्तार के कई संभावित क्षेत्र हैं। इनमें प्रमुख हैं:
1. उच्च क्षमता युक्त परमाणु ऊर्जा इकाइयों का निर्माण
भारत में किसी नई जगह पर रूसी डिजाइन वाली उच्च क्षमता युक्त परमाणु ऊर्जा इकाइयों का क्रमिक निर्माण किया जा सकता है। यह कदम भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
2. परमाणु ईंधन चक्र से जुड़ा सहयोग
परमाणु ऊर्जा क्षेत्र के अलावा, अन्य क्षेत्रों में भी सहयोग संभव है। यह न केवल ऊर्जा क्षेत्र में बल्कि अन्य उद्योगों में भी सहयोग की नई संभावनाएं खोल सकता है।
3. फ्लोटिंग परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण
फ्लोटिंग परमाणु ऊर्जा संयंत्र (FNPP) के बारे में:
- यह एक या अधिक परमाणु रिएक्टर्स वाली साइट है, जो समुद्र में एक प्लेटफार्म पर निर्मित होती है।
- आमतौर पर स्वच्छ विद्युत, ऊष्मा और अलवणीकृत जल प्रदान करने के लिए जहाजों पर स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) स्थापित किए जाते हैं।
वर्तमान में, रूस एकमात्र ऐसा देश है, जिसके पास परिचालनरत फ्लोटिंग परमाणु ऊर्जा संयंत्र है। इसे एकेडेमिक लोमोनोसोव के नाम से जाना जाता है।
फ्लोटिंग परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के लाभ:
- निम्न कार्बन उत्सर्जन: ये संयंत्र निम्न कार्बन उत्सर्जन वाली विद्युत और ऊष्मा पैदा करते हैं, जो पर्यावरण के लिए फायदेमंद है।
- निर्माण लागत कम: इन संयंत्रों की निर्माण लागत पारंपरिक परमाणु संयंत्रों की तुलना में कम होती है।
- भूकंप से प्रभावित होने की आशंका कम: इन संयंत्रों को भूकंप से प्रभावित होने की आशंका कम होती है, जिससे ये अधिक सुरक्षित हैं।
वर्तमान भारत-रूस परमाणु सहयोग:
भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) और रूस के रोसाटॉम ने परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग को मजबूत करने के लिए रणनीतिक विज़न (2014) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में गहन सहयोग का मार्ग प्रशस्त करता है।
रूसी डिजाइन वाले परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के लिए भारत में विनिर्माण के स्थानीयकरण हेतु एक “कार्य योजना” पर भी हस्ताक्षर किए गए हैं।
तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (KKNPP) रूस के सहयोग से बनाया जा रहा है। KKNPP की इकाई 1 और 2 पहले ही परिचालन शुरू कर चुकी हैं तथा चार अन्य इकाइयों का निर्माण किया जा रहा है।
निष्कर्ष:
रूस और भारत के बीच बढ़ता परमाणु सहयोग दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा बल्कि पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद साबित होगा। फ्लोटिंग परमाणु ऊर्जा संयंत्रों जैसे नवीनतम तकनीकों का उपयोग करके, दोनों देश भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार हैं। इस सहयोग से जुड़ी नई परियोजनाएं और पहलें आने वाले समय में ऊर्जा क्षेत्र में नए मील के पत्थर स्थापित करेंगी।
FAQs:
रूस-भारत परमाणु सहयोग क्या है?
रूस-भारत परमाणु सहयोग दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण और सुरक्षित उपयोग के लिए एक साझेदारी है। इसमें उच्च क्षमता युक्त परमाणु ऊर्जा इकाइयों का निर्माण और तकनीकी सहयोग शामिल है।
प्रोरीव परियोजना क्या है?
प्रोरीव परियोजना एक बंद परमाणु ईंधन चक्र पर केंद्रित है, जो प्रयुक्त हो चुके परमाणु ईंधन और रेडियोधर्मी अपशिष्ट संबंधी समस्याओं का समाधान करने के लिए एक नया तकनीकी मंच है।
फ्लोटिंग परमाणु ऊर्जा संयंत्र (FNPP) क्या है?
फ्लोटिंग परमाणु ऊर्जा संयंत्र एक या अधिक परमाणु रिएक्टर्स वाली साइट है, जो समुद्र में एक प्लेटफार्म पर निर्मित होती है। यह स्वच्छ विद्युत, ऊष्मा और अलवणीकृत जल प्रदान करता है।
फ्लोटिंग परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लाभ क्या हैं?
फ्लोटिंग परमाणु ऊर्जा संयंत्र निम्न कार्बन उत्सर्जन वाली विद्युत और ऊष्मा पैदा करता है, निर्माण लागत कम होती है, और भूकंप से प्रभावित होने की आशंका कम होती है।
बंद परमाणु ईंधन चक्र और खुले परमाणु ईंधन चक्र में क्या अंतर है?
बंद परमाणु ईंधन चक्र में प्रयुक्त ईंधन को पुनः प्रसंस्कृत और पुनर्चक्रित किया जाता है, जबकि खुले परमाणु ईंधन चक्र में प्रयुक्त ईंधन को पुनः प्रसंस्कृत नहीं किया जाता है।