हाल ही में चक्रवाती तूफान ‘रेमल’ के कारण मिजोरम में भूस्खलन की घटनाओं में कई लोगों की मौत हो गई है। यह घटना एक बार फिर से इस तथ्य को रेखांकित करती है कि उत्तर भारत में चक्रवाती तूफान के प्रभाव से मूसलाधार बारिश और भूस्खलन की घटनाएं घटित होती रहती हैं। इन घटनाओं ने आपदाओं से निपटने की क्षमता को मजबूत करने की आवश्यकता को स्पष्ट रूप से दर्शाया है।
भूस्खलन (Landslides) के बारे में:
भूस्खलन एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसके परिणामस्वरूप चट्टान, मिट्टी, और मलबा जैसी ढलान-बनाने वाली सामग्रियां नीचे और बाहर की ओर संचलित होती हैं। भूस्खलन के लिए जिम्मेदार प्राथमिक कारक गुरुत्वाकर्षण होता है, जो ढलान के उस हिस्से पर कार्य करता है जो संतुलन से बाहर होता है।
भूस्खलन को संचलन के प्रकार (स्लाइड, फ्लो, स्प्रेड, टॉपल या फॉल) और संचलन सामग्री के प्रकार (शैल, मलबा या मिट्टी) के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
भूस्खलन के कारण:
प्राकृतिक कारण
- मूसलाधार बारिश: लगातार और भारी वर्षा के कारण मिट्टी और चट्टानों में अस्थिरता आ जाती है, जिससे भूस्खलन होता है।
- बर्फ का पिघलना: बर्फ के पिघलने से उत्पन्न जल प्रवाह से ढलान की सामग्री ढीली होकर खिसकने लगती है।
- जल स्तर में परिवर्तन: जलाशयों और नदियों के जल स्तर में अचानक बदलाव से भूस्खलन की घटनाएं बढ़ सकती हैं।
- जलधारा जनित कटाव: नदियों और जल धाराओं के किनारों का कटाव होने से ढलान की सामग्री अस्थिर हो जाती है।
- भूकंप: भूकंप के कारण धरती की सतह में कंपन और दरारें उत्पन्न होती हैं, जिससे भूस्खलन होता है।
- ज्वालामुखी गतिविधि: ज्वालामुखी विस्फोट और उसके परिणामस्वरूप निकली राख और लावा भी भूस्खलन का कारण बन सकते हैं।
मानव जनित गतिविधियां
- कृषि: पहाड़ी इलाकों में कृषि कार्यों के दौरान ढलान की कटाई और पानी के निकास की अनदेखी से भूस्खलन की संभावना बढ़ जाती है।
- निर्माण कार्य: सड़कों, इमारतों और अन्य निर्माण कार्यों के कारण ढलान की स्थिरता पर असर पड़ता है।
- वनों की कटाई: वृक्षों की जड़ें मिट्टी को स्थिर बनाए रखती हैं। वनों की अंधाधुंध कटाई से यह स्थिरता समाप्त हो जाती है।
- सिंचाई: सिंचाई के लिए अत्यधिक पानी का उपयोग ढलान की मिट्टी को कमजोर कर सकता है।
- संवेदनशील क्षेत्रों का अतिक्रमण: पहाड़ी इलाकों में मानव बस्तियों का विस्तार और अनियोजित विकास भी भूस्खलन के जोखिम को बढ़ाता है।
भारत में भूस्खलन संभावित क्षेत्र:
भारत में जितनी भी भू-स्खलन घटनाएं घटित होती हैं, उनमें से 66.5% उत्तर-पश्चिमी हिमालय में घटित होती हैं। इसके बाद पूर्वोत्तर हिमालय (18.8%) और पश्चिमी घाट (14.7%) का स्थान आता है।
उत्तर-पश्चिमी हिमालय: यह क्षेत्र सबसे अधिक भूस्खलन संभावित है। यहाँ की भौगोलिक संरचना और भूकंपीय गतिविधियों के कारण यह क्षेत्र अत्यधिक संवेदनशील है।
पूर्वोत्तर हिमालय: पूर्वोत्तर हिमालय का क्षेत्र भी भूस्खलन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यहाँ की अत्यधिक वर्षा और भूवैज्ञानिक परिस्थितियाँ भूस्खलन को बढ़ावा देती हैं।
पश्चिमी घाट: पठार के किनारों पर सतह पर प्रकट हुई लैटेराइट मिट्टी, दरारों में पौधों की जड़ों में वृद्धि आदि इस क्षेत्र में भूस्खलन के कुछ महत्वपूर्ण कारण हैं।
भूस्खलन की घटनाओं को रोकने के लिए शुरू की गई पहलें:
राष्ट्रीय भूस्खलन जोखिम प्रबंधन रणनीति (2019)
इसमें खतरे वाले क्षेत्र की मैपिंग, निगरानी और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की स्थापना आदि शामिल हैं। इस रणनीति का उद्देश्य भूस्खलन की घटनाओं को कम करना और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
राष्ट्रीय भूस्खलन संवेदनशीलता मानचित्रण (NLSM) कार्यक्रम
इसे देश में भूस्खलन संभावित क्षेत्रों के लिए शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान और उनकी निगरानी की जाती है।
भूस्खलन जोखिम शमन योजना (LRMS)
इसके अंतर्गत साइट विशिष्ट भूस्खलन शमन परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना का उद्देश्य भूस्खलन के जोखिम को कम करने के लिए प्रभावी उपाय करना है।
निष्कर्ष:
मिजोरम में चक्रवाती तूफान ‘रेमल’ के प्रभाव से हुई भूस्खलन की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि इन प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन के लिए उचित तैयारी और योजनाओं की आवश्यकता है। इन घटनाओं से जान-माल की हानि को कम करने के लिए सरकार और समाज को मिलकर काम करना होगा। भूस्खलन के जोखिम को कम करने के लिए उपयुक्त नीतियों और कार्यक्रमों का पालन करना अनिवार्य है।
इन आपदाओं से निपटने के लिए न केवल सरकार को बल्कि आम जनता को भी जागरूक होना होगा। संवेदनशील क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भूस्खलन के संभावित खतरों के बारे में जानकारी होनी चाहिए और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने की योजना भी होनी चाहिए। इसके अलावा, पर्यावरण की सुरक्षा और पुनरुद्धार के प्रयासों को भी बढ़ावा देना चाहिए ताकि भूस्खलन की घटनाओं को कम किया जा सके।
FAQs:
चक्रवाती तूफान ‘रेमल’ क्या है?
चक्रवाती तूफान ‘रेमल’ बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न हुआ एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात है जो पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के तटों से टकराया है। इस चक्रवात का नाम ओमान ने दिया है, जिसका अरबी भाषा में अर्थ ‘रेत’ होता है।
भूस्खलन क्या होता है?
भूस्खलन एक प्राकृतिक घटना है जिसमें चट्टान, मिट्टी, और मलबा जैसी ढलान-बनाने वाली सामग्रियां गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे और बाहर की ओर खिसकती हैं।
भूस्खलन के प्रमुख कारण क्या हैं?
भूस्खलन के प्रमुख कारणों में मूसलाधार बारिश, बर्फ का पिघलना, जल स्तर में परिवर्तन, जलधारा जनित कटाव, भूकंप, ज्वालामुखी गतिविधि, कृषि, निर्माण कार्य, वनों की कटाई, सिंचाई और संवेदनशील क्षेत्रों का अतिक्रमण शामिल हैं।
भारत में भूस्खलन संभावित क्षेत्र कौन से हैं?
भारत में भूस्खलन संभावित क्षेत्र मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिमी हिमालय, पूर्वोत्तर हिमालय और पश्चिमी घाट में स्थित हैं। इन क्षेत्रों में भूस्खलन की घटनाएं अक्सर होती हैं।