Neolithic Age Rock Engravings Discovered in Goa: ASI Confirms; गोवा के मौक्सी गांव में मिली नवपाषाण कालीन नक्काशी: ASI की पुष्टि:

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने हाल ही में पुष्टि की है कि गोवा के मौक्सी गांव में पाई गई चट्टानों पर नक्काशी नवपाषाण काल (Neolithic Age) की है। यह खोज भारतीय पुरातत्व के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो हमारे प्राचीन इतिहास और संस्कृति के बारे में नई जानकारी प्रदान करता है।

मौक्सी गांव की प्राचीन नक्काशी:

गोवा के मौक्सी गांव में ये प्राचीन नक्काशी युक्त चट्टानें आज से लगभग 20 साल पहले ज़ार्मे नदी के सूखे तल के पास मेटा बेसाल्ट चट्टान में पाई गई थीं। ASI के अनुसार, ये नक्काशियां नवपाषाण काल की हैं, जो लगभग 7000 से 4000 ईसा पूर्व के बीच की मानी जाती हैं।

इन प्राचीन चट्टानों पर ज़ेबू, बैल और मृग जैसे जीवों के अलावा कुछ पदचिन्हों और कप्यूल्स की आकृतियाँ भी उकेरी गई हैं। कप्यूल्स वास्तव में चट्टानों में मानव द्वारा निर्मित कप के आकार के अर्धगोलाकार गड्ढे होते हैं।

भारत के प्रागैतिहासिक शैलचित्र:

उच्च पुरापाषाण काल (Upper Palaeolithic Period)

  • समय: यह काल भारत में सबसे पुराने शैलचित्रों का है।
  • विशेषताएँ: इस समय चट्टानों पर यष्टि (छड़ी) मानव आकृतियों के अलावा बाइसन, हाथी, बाघ जैसे जीवों की आकृतियाँ उकेरी गई थीं। ये चित्र एक रेखा में हैं और हरे व गहरे लाल रंग के हैं।
  • मुख्य स्थल: भीमबेटका (मध्य प्रदेश) और ज्वालापुरम (आंध्र प्रदेश)।

मध्यपाषाण काल (Mesolithic Period)

  • समय: भारत में सर्वाधिक संख्या में प्राचीन शैल चित्र इसी काल के हैं।
  • विशेषताएँ: चित्रों में मानव दृश्यों की प्रधानता है। मनुष्य को समूह में शिकार और सामुदायिक नृत्य करते हुए चित्रित किया गया है। जानवरों को प्राकृतिक शैली में और मनुष्यों को शैलीगत तरीके से चित्रित किया गया है।
  • मुख्य स्थल: पचमढ़ी और आदमगढ़ पहाड़ियाँ (मध्य प्रदेश)।

नवपाषाण-ताम्रपाषाण काल (Neolithic-Chalcolithic Period)

  • समय: इस काल के चित्रों में मृद्भांड और धातु के उपकरणों को दर्शाया गया है। हालाँकि, इस यगु के चित्रों मेें पहले की तुलना मेें जीवंतता और आत्मीयता का अभाव है।
  • विशेषताएँ: चित्रों में सफेद और लाल रंगों का अधिक प्रयोग हुआ है। इन रंगों को हेमेटाइट और चूना पत्थर को पीसकर तैयार किया जाता था। पुरुषों को अधिक साहसी और जानवरों को अधिक वयस्क और प्रभावशाली दिखाया गया है।
  • मुख्य स्थल: चंबल क्षेत्र, दैमाबाद (महाराष्ट्र) आदि।

प्रागैतिहासिक शैल चित्रकला का महत्त्व:

  • कलात्मक महत्त्व: ये चित्र प्रागैतिहासिक मानव द्वारा अपने अनुभवों को व्यक्त करने की आंतरिक इच्छा के प्रतीक हैं। इन चित्रों से हमें उस समय की कलात्मक संवेदनाओं और तकनीकों के बारे में जानकारी मिलती है।
  • सामाजिक महत्त्व: इन चित्रों से उस समय के पारिवारिक जीवन और दिनचर्या संबंधी घटनाओं की जानकारी प्राप्त होती है, जैसे समूह में शिकार करना, संगीत, जानवरों की लड़ाई आदि। इससे हमें उस समय के सामाजिक संरचनाओं और गतिविधियों के बारे में भी पता चलता है।
  • सांस्कृतिक महत्त्व: ये चित्र तत्कालीन मानव की वेशभूषा, खान-पान की आदतों, सामुदायिक नृत्य, अनुष्ठानिक प्रथाओं आदि के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं। इससे हमें उस समय की सांस्कृतिक धरोहर का पता चलता है।
  • पर्यावरण की दृष्टि से महत्त्व: इन चित्रों में अलग-अलग जानवरों जैसे घोड़ा, हाथी, बाइसन आदि और क्षेत्र की वनस्पति को दर्शाया गया है। इससे हमें उस समय के पर्यावरणीय स्थिति और जैव विविधता के बारे में भी जानकारी मिलती है।

गोवा के मौक्सी गांव की खोज का महत्त्व:

गोवा के मौक्सी गांव में पाई गई चट्टानों पर नक्काशी नवपाषाण काल की है, जो भारतीय इतिहास और संस्कृति के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण योगदान है। यह खोज हमारे प्राचीन अतीत को समझने में और अधिक गहराई प्रदान करती है और हमारे पुरातात्विक धरोहर को समृद्ध बनाती है।

इस खोज से यह भी स्पष्ट होता है कि प्राचीन मानव समाज ने कला और शिल्पकला में उच्च स्तरीय कौशल और रचनात्मकता विकसित की थी। ये नक्काशियाँ हमारे प्राचीन इतिहास के महत्वपूर्ण साक्ष्य हैं, जो हमें उस समय की जीवन शैली, धार्मिक मान्यताओं और सामाजिक संरचनाओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती हैं।

निष्कर्ष:

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा गोवा के मौक्सी गांव में पाई गई नवपाषाण कालीन चट्टानों पर नक्काशी की पुष्टि हमारे प्राचीन इतिहास और संस्कृति के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह खोज हमें उस समय की कला, संस्कृति, और सामाजिक संरचनाओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है, जिससे हमारा इतिहास और अधिक समृद्ध होता है।

FAQs:

गोवा के मौक्सी गांव में क्या खोज हुई है?

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने गोवा के मौक्सी गांव में चट्टानों पर नक्काशी की पुष्टि की है, जो नवपाषाण काल (Neolithic Age) की हैं। ये नक्काशियाँ ज़ार्मे नदी के सूखे तल के पास मेटा बेसाल्ट चट्टानों पर पाई गई थीं।

इन नक्काशियों में क्या दिखाया गया है?

इन प्राचीन चट्टानों पर ज़ेबू, बैल और मृग जैसे जीवों के अलावा कुछ पदचिह्न और कप्यूल्स की आकृतियाँ भी उकेरी गई हैं। कप्यूल्स चट्टानों में मानव द्वारा निर्मित कप के आकार के अर्धगोलाकार गड्ढे होते हैं।

भारत में प्रागैतिहासिक शैलचित्रों के प्रमुख स्थल कौन से हैं?

भारत में प्रागैतिहासिक शैलचित्रों के प्रमुख स्थल हैं:
उच्च पुरापाषाण काल: भीमबेटका (मध्य प्रदेश) और ज्वालापुरम (आंध्र प्रदेश)।
मध्यपाषाण काल: पचमढ़ी और आदमगढ़ पहाड़ियाँ (मध्य प्रदेश)।
नवपाषाण-ताम्रपाषाण काल: चंबल क्षेत्र और दैमाबाद (महाराष्ट्र)।

मौक्सी गांव में पाई गई चट्टानों पर नक्काशी का भारतीय पुरातत्व में क्या योगदान है?

मौक्सी गांव में पाई गई चट्टानों पर नक्काशी नवपाषाण काल की है, जो भारतीय इतिहास और संस्कृति के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान देती है। यह खोज हमारे प्राचीन अतीत को समझने में और अधिक गहराई प्रदान करती है और हमारे पुरातात्विक धरोहर को समृद्ध बनाती है।

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