NHRC Directs States to Appoint Anti-Human Trafficking Nodal Officers; राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मानव तस्करी-रोधी नोडल अधिकारी की नियुक्ति का निर्देश:

हाल ही में, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने राजस्थान के कंजर समुदाय की नाबालिग लड़कियों को बेचने में शामिल लोगों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई सुनिश्चित की है। इस घटना के बाद, NHRC ने सभी राज्यों को मानव तस्करी-रोधी (AHT) नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया है।

मानव तस्करी-रोधी नोडल अधिकारी की भूमिका:

नोडल अधिकारी राज्य सचिव या पुलिस महानिरीक्षक के पद के स्तर के होंगे। इन अधिकारियों को सरकार के साथ समन्वय करने और मानव तस्करी से निपटने के लिए जिला मानव तस्करी-रोधी इकाइयों के माध्यम से प्रभावी उपाय करने के अधिकार प्राप्त होंगे। ये इकाइयां DSP रैंक के अधिकारियों के नेतृत्व में काम करेंगी।

मानव तस्करी: परिभाषा और स्थिति:

मानव तस्करी की परिभाषा

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, मानव तस्करी लोगों को बलपूर्वक, धोखाधड़ी करके या धोखे से फुसलाकर उन्हें कहीं भेजना, स्थानांतरित करना, शरण देना या प्राप्त करना है, ताकि अपने लाभ के लिए उनका शोषण किया जा सके।

भारत में मानव तस्करी की स्थिति

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, 2022 में भारत में मानव तस्करी के 2,250 मामले दर्ज किए गए थे। यह आंकड़ा दर्शाता है कि यह समस्या कितनी गंभीर और व्यापक है।

मानव तस्करी के विनियमन और संवैधानिक प्रावधान:

विनियमन

चूंकि ‘पुलिस’ राज्य सूची का एक विषय है, इसलिए मानव तस्करी के मामलों को दर्ज करना, उनकी जांच और रोकथाम करना मुख्य रूप से राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है।

संविधान का अनुच्छेद 23

संविधान का अनुच्छेद 23 मानव तस्करी पर रोक लगाता है।

  • अनुच्छेद 39(e) में राज्यों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि आर्थिक आवश्यकता से विवश होकर नागरिकों को ऐसे रोजगार में न जाना पड़े जो उनकी आयु और शक्ति के अनुकूल न हो।
  • अनुच्छेद 39(f) में राज्यों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि बालकों और अल्पवयस्क व्यक्तियों की शोषण से तथा नैतिक एवं आर्थिक परित्याग से रक्षा की जाए।

मानव तस्करी के लिए जिम्मेदार कारण:

आर्थिक कारण

मानव तस्करी के लिए कई आर्थिक कारण जिम्मेदार होते हैं, जिनमें गरीबी, बेरोजगारी, पलायन और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच की कमी शामिल है।

राजनीतिक कारण

राजनीतिक अस्थिरता, युद्ध, और प्राकृतिक आपदाएं भी मानव तस्करी के बढ़ते मामलों के पीछे के कारण होते हैं।

सांस्कृतिक प्रथाएं

समाज में महिलाओं और लड़कियों की हीन स्थिति, बाल विवाह आदि सांस्कृतिक प्रथाएं भी मानव तस्करी को बढ़ावा देती हैं।

मानव तस्करी के खिलाफ की गई वैश्विक और राष्ट्रीय पहलें:

वैश्विक पहलें

सन 2000 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने “मानव तस्करी (विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों की तस्करी) को रोकने, नियंत्रित करने एवं दंडित करने के लिए प्रोटोकॉल” को अपनाया था। यह प्रोटोकॉल वैश्विक स्तर पर मानव तस्करी के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है।

भारत में शुरू की गई पहलें

कानून

भारत ने अनैतिक तस्करी रोकथाम अधिनियम, 1956 लागू किया है, जो मानव तस्करी के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कानूनी साधन है।

मानव तस्करी-रोधी इकाइयां (AHTUs)

केंद्रीय गृह मंत्रालय, निर्भया कोष के तहत सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को हर जिले में AHTUs की स्थापना/ सुदृढ़ीकरण के लिए धन उपलब्ध कराता है।

Cri-MAC

यह एक रियल टाइम आधार पर मानव तस्करी के मामलों सहित गंभीर अपराधों के बारे में जानकारी के प्रसार को सुगम बनाता है।

मिशन शक्ति

इसे केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय के तहत शुरू किया गया है। इसकी शक्ति सदन उपयोजना संकट की स्थिति (तस्करी सहित) में महिलाओं के लिए एकीकृत राहत और पुनर्वास गृह उपलब्ध कराती है।

निष्कर्ष:

मानव तस्करी एक गंभीर अपराध है जो समाज के हर हिस्से को प्रभावित करता है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) द्वारा मानव तस्करी-रोधी नोडल अधिकारियों की नियुक्ति का निर्देश इस समस्या से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल न केवल कानूनी और प्रशासनिक स्तर पर प्रभावी होगी, बल्कि मानव तस्करी के खिलाफ जागरूकता और समन्वय को भी बढ़ावा देगी।

FAQs:

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) क्या है?

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) भारत में मानवाधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के लिए स्थापित एक स्वायत्त संस्था है। इसका मुख्य उद्देश्य मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों की जांच करना और उचित कार्रवाई सुनिश्चित करना है।

मानव तस्करी-रोधी नोडल अधिकारी क्या हैं?

मानव तस्करी-रोधी नोडल अधिकारी राज्य सचिव या पुलिस महानिरीक्षक के पद के स्तर के अधिकारी होते हैं। उनका मुख्य कार्य सरकार के साथ समन्वय करना और मानव तस्करी से निपटने के लिए जिला मानव तस्करी-रोधी इकाइयों के माध्यम से प्रभावी उपाय करना होता है।

मानव तस्करी की परिभाषा क्या है?

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, मानव तस्करी लोगों को बलपूर्वक, धोखाधड़ी करके या धोखे से फुसलाकर उन्हें कहीं भेजना, स्थानांतरित करना, शरण देना या प्राप्त करना है, ताकि अपने लाभ के लिए उनका शोषण किया जा सके।

भारत में मानव तस्करी की स्थिति क्या है?

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, 2022 में भारत में मानव तस्करी के 2,250 मामले दर्ज किए गए थे। यह आंकड़ा दर्शाता है कि यह समस्या कितनी गंभीर और व्यापक है।

मानव तस्करी के खिलाफ NHRC ने क्या कदम उठाए हैं?

NHRC ने सभी राज्यों को मानव तस्करी-रोधी (AHT) नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया है। यह अधिकारी राज्य सचिव या पुलिस महानिरीक्षक के पद के स्तर के होंगे और जिला मानव तस्करी-रोधी इकाइयों के माध्यम से मानव तस्करी से निपटने के लिए प्रभावी उपाय करेंगे।

मानव तस्करी के विनियमन के लिए क्या संवैधानिक प्रावधान हैं?

संविधान का अनुच्छेद 23 मानव तस्करी पर रोक लगाता है। अनुच्छेद 39(e) और 39(f) में राज्यों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि नागरिकों को आर्थिक आवश्यकता से विवश होकर ऐसे रोजगार में न जाना पड़े जो उनकी आयु और शक्ति के अनुकूल न हो, और बालकों और अल्पवयस्क व्यक्तियों की शोषण से रक्षा की जाए।

मानव तस्करी के कारण क्या हैं?

मानव तस्करी के कई कारण होते हैं, जिनमें गरीबी, बेरोजगारी, पलायन, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच की कमी, राजनीतिक अस्थिरता, युद्ध, प्राकृतिक आपदाएं, और समाज में महिलाओं और लड़कियों की हीन स्थिति, बाल विवाह आदि सांस्कृतिक प्रथाएं शामिल हैं।

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