Volcanic Activity in Iceland: Sundhnukagigur Erupts for the Fifth Time; आइसलैंड में ज्वालामुखीय सक्रियता: सुंधनुकागिगर का पांचवी बार उद्गार

दिसंबर 2023 से अब तक, दक्षिण-पश्चिमी आइसलैंड में स्थित सुंधनुकागिगर ज्वालामुखी का पांचवी बार उद्गार हुआ है। आइसलैंड, जिसे “आग और बर्फ की भूमि” के रूप में भी जाना जाता है, ज्वालामुखीय रूप से एक अत्यंत सक्रिय क्षेत्र है। यह उत्तरी अटलांटिक महासागर में मध्य-अटलांटिक कटक (Mid-Atlantic Ridge) पर स्थित है, जहां यूरेशियन और उत्तरी अमेरिकी प्लेट्स विपरीत दिशा में संचलन कर रही हैं। इस क्षेत्र में हॉट-स्पॉट्स भी हैं, जिसके परिणामस्वरूप यहां ज्वालामुखी सक्रियता बढ़ गई है।

ज्वालामुखियों का वैश्विक वितरण:

हॉट स्पॉट्स: हॉट स्पॉट पृथ्वी के मेंटल का वह भाग है, जहां से गर्म प्लूम्स (Plumes) ऊपर की ओर उठते हैं। इसके कारण ऊपरी परत पर ज्वालामुखी बनते हैं। उदाहरण के लिए, रीयूनियन हॉट स्पॉट।

परि-प्रशांत पेटी (रिंग ऑफ फायर): परि-प्रशांत पेटी में दुनिया के दो-तिहाई से अधिक ज्वालामुखी पाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, न्यूजीलैंड में स्थित माउंट रूआपेहु।

अपसारी (Divergent) प्लेट सीमा: अपसारी प्लेट सीमा के अंदर दो टेक्टोनिक प्लेट्स एक-दूसरे से दूर होती जाती हैं, यानी विपरीत दिशा में संचलन करती हैं। उदाहरण के लिए, मध्य-अटलांटिक कटक, जो विश्व की सबसे लंबी पर्वत श्रृंखला है।

ज्वालामुखी के बारे में:

ज्वालामुखी भूपर्पटी की सतह पर एक छिद्र होता है, जिसके माध्यम से पृथ्वी के अंदर से गैसें, राख, पिघला हुआ लावा आदि सतह पर निकलते हैं। ये भूमि और समुद्र नितल, दोनों पर पाए जाते हैं। ज्वालामुखी उद्गार या विस्फोट के समय जलवाष्प, कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी गैसें बाहर निकलती हैं।

ज्वालामुखी के प्रभाव:

सकारात्मक प्रभाव:

उपजाऊ मृदा:

ज्वालामुखीय राख, जो सिलिका, ऑक्सीजन, मैग्नीशियम, पोटेशियम और आयरन जैसे खनिजों से भरपूर होती है, विस्फोट स्थलों के पास जमा हो जाती है। समय के साथ, यह राख नष्ट होकर अत्यधिक उपजाऊ मृदा का निर्माण करती है। यह मृदा पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होती है, जिससे कृषि उत्पादन में वृद्धि होती है और किसानों को बेहतर फसल मिलती है।

भूमि निर्माण:

बार-बार होने वाले ज्वालामुखीय विस्फोट नए भू-आकृतियों का निर्माण करते हैं। उदाहरण के लिए, हवाई द्वीप जैसे द्वीप ज्वालामुखीय गतिविधियों के परिणामस्वरूप बने हैं। ये विस्फोट नई भूमि का निर्माण करते हैं, जो धीरे-धीरे वनस्पति और जीवों के लिए उपयुक्त हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप, नए पारिस्थितिकी तंत्र का विकास होता है, जो जैव विविधता को बढ़ावा देता है।

संपर्क कायांतरण:

गर्म मैग्मा मौजूदा चट्टानों के संपर्क में आने पर उनकी संरचना को परिवर्तित कर देता है, जिसे संपर्क कायांतरण कहते हैं। यह प्रक्रिया मौजूदा चट्टानों को उच्च तापमान और दाब के कारण नई चट्टानों में बदल देती है। इससे संगमरमर और हॉर्नफेल जैसी मूल्यवान नई चट्टानें निर्मित होती हैं, जो निर्माण और सजावट के लिए महत्वपूर्ण होती हैं।

ज्वालामुखीय झीलें:

विस्फोटों से बने बड़े क्रेटर समय के साथ पानी से भर जाते हैं, जिससे ‘क्रेटर झीलों’ का निर्माण होता है। ये झीलें मीठे पानी के महत्त्वपूर्ण स्रोत बन सकती हैं और स्थानीय वन्यजीवों के लिए आवास प्रदान करती हैं। इसके अलावा, ये झीलें पर्यटकों को आकर्षित करती हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान करती हैं।

ज्वालामुखीय गीज़र:

भूतापीय तापन के परिणामस्वरूप, ज्वालामुखीय गीज़र निर्मित होते हैं। यह तब होता है जब भूजल उच्च तापमान वाली आग्नेय चट्टान या पिघले हुए मैग्मा के संपर्क में आता है। इसके परिणामस्वरूप, गर्म पानी और भाप सतह पर जोरदार फटने लगती है, जिसे गीज़र कहते हैं। ये गीज़र पर्यटन के प्रमुख आकर्षण होते हैं और भूतापीय ऊर्जा उत्पादन के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।

नकारात्मक प्रभाव:

भूकंप:

ज्वालामुखी के नीचे लावा की हलचल से भूकंप उत्पन्न हो सकते हैं। लावा की गति और तापमान में परिवर्तन से दबाव उत्पन्न होता है, जो ज्वालामुखीय चट्टानों में तनाव बढ़ाता है। इस तनाव से ज़मीन में बड़ी दरारें और भूकंपीय झटके उत्पन्न होते हैं, जो आसपास के क्षेत्रों में भारी विनाश और जीवन की हानि का कारण बन सकते हैं। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में, यह प्रभाव और भी गंभीर हो सकता है, क्योंकि बड़ी इमारतें और संरचनाएँ गिर सकती हैं, और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने में कठिनाई हो सकती है।

जलवायु पर प्रभाव:

ज्वालामुखी विस्फोटों के दौरान, भारी मात्रा में गैसें जैसे सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड और जल वाष्प वायुमंडल में उत्सर्जित होती हैं। ये गैसें सूर्य की किरणों को प्रतिबिंबित कर सकती हैं, जिससे वैश्विक तापमान में कमी आ सकती है। इसके परिणामस्वरूप, मौसम के पैटर्न में बदलाव हो सकता है, जिससे सूखा, बाढ़ और अन्य अप्रत्याशित जलवायु परिवर्तन हो सकते हैं।

ज्वलखण्डाश्मि प्रवाह:

विस्फोटों से उत्पन्न गर्म गैस और मलबे के बादल, जिन्हें ‘ज्वलखण्डाश्मि प्रवाह’ (Pyroclastic Flows) कहा जाता है, तीव्र गति और उच्च तापमान पर चलते हैं, और अपने मार्ग में आने वाली सभी वस्तुओं को नष्ट कर देते हैं।

ज्वालामुखीय राख:

ज्वालामुखी राख वह महीन पदार्थ होता है जो ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान हवा में उछलकर फैलता है और फिर धरती पर गिरता है। यह राख आकार में बहुत छोटी होती है और इसमें चट्टानों, खनिजों, और ग्लास (कांच) के टुकड़े होते हैं जो ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान पिघलकर ठंडे हो जाते हैं।

यह राख सांस के साथ अंदर जाने पर फेफड़ों में जलन और श्वसन संबंधी समस्याएँ उत्पन्न कर सकती है। लंबी अवधि तक राख के संपर्क में रहने से फेफड़ों के रोग, अस्थमा और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं। उच्च सांद्रता में राख जानलेवा भी हो सकती है, विशेषकर बुजुर्गों, बच्चों और श्वसन संबंधी रोगों से पीड़ित लोगों के लिए।

ज्वालामुखियों के प्रकार:

उद्गार/विस्फोट की आवृत्ति के आधार पर:

  • सक्रिय ज्वालामुखी: जो नियमित रूप से सक्रिय रहते हैं। उदाहरण: बैरेन द्वीप, भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी।
  • सुषुप्त ज्वालामुखी: जो लम्बे समय से निष्क्रिय हैं लेकिन फिर से सक्रिय हो सकते हैं।
  • निष्क्रिय ज्वालामुखी: जो अब सक्रिय नहीं हैं और इनका पुनः उद्गार होने की संभावना नहीं है।

उद्गार/विस्फोट के प्रकार के आधार पर:

  • शील्ड या डॉम ज्वालामुखी: ये बेसाल्ट से बने होते हैं और इनकी तीव्र ढलान नहीं होती है। उदाहरण: हवाईयन ज्वालामुखी।
  • मिश्रित ज्वालामुखी (स्ट्रैटो ज्वालामुखी): शील्ड ज्वालामुखियों की तुलना में तीव्र ढलान होती है। उदाहरण: माउंट फ़ूजी, जापान।
  • काल्डेरा ज्वालामुखी: ये सर्वाधिक विस्फोटक ज्वालामुखी होते हैं। उदाहरण: संयुक्त राज्य अमेरिका का येलोस्टोन सुपरवॉल्केनो।

निष्कर्ष:

आइसलैंड में सुंधनुकागिगर ज्वालामुखी का पांचवी बार उद्गार इस क्षेत्र की ज्वालामुखीय सक्रियता को दर्शाता है। आइसलैंड, अपनी भूवैज्ञानिक स्थिति के कारण, ज्वालामुखीय गतिविधियों का एक प्रमुख केंद्र है। यह घटना ज्वालामुखियों के वैश्विक वितरण और उनके प्रभावों को समझने में महत्वपूर्ण है। ज्वालामुखी न केवल भूवैज्ञानिक दृष्टि से बल्कि पर्यावरणीय और मानव स्वास्थ्य पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं।

FAQs:

ज्वालामुखी क्या है?

ज्वालामुखी भूपर्पटी की सतह पर एक छिद्र होता है, जिसके माध्यम से पृथ्वी के अंदर से गैसें, राख, पिघला हुआ लावा आदि सतह पर निकलते हैं।

ज्वालामुखी विस्फोट के क्या प्रभाव होते हैं?

ज्वालामुखी विस्फोट के प्रभाव में भूमि निर्माण, उपजाऊ मृदा, भूकंप, जलवायु परिवर्तन, और स्वास्थ्य समस्याएँ शामिल हैं।

ज्वालामुखी राख क्या होती है?

ज्वालामुखी राख वह महीन पदार्थ होता है जो ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान हवा में उछलकर फैलता है और फिर धरती पर गिरता है। यह राख आकार में बहुत छोटी होती है और इसमें चट्टानों, खनिजों, और ग्लास (कांच) के टुकड़े होते हैं जो ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान पिघलकर ठंडे हो जाते हैं।

काल्डेरा ज्वालामुखी क्या होते हैं?

काल्डेरा ज्वालामुखी सबसे विस्फोटक ज्वालामुखी होते हैं। इन ज्वालामुखियों के विस्फोट के बाद, जब ज्वालामुखी का मैग्मा चैंबर खाली हो जाता है और सतह की चट्टानें धंस जाती हैं, तब एक बड़ा गड्ढा बनता है जिसे काल्डेरा कहा जाता है। काल्डेरा आकार में बहुत बड़े हो सकते हैं और अक्सर इनमें झीलें बन जाती हैं।

क्या ज्वालामुखी विस्फोट से जलवायु परिवर्तन हो सकता है?

हाँ, ज्वालामुखी विस्फोट से भारी मात्रा में गैसें वायुमंडल में उत्सर्जित होती हैं जो जलवायु परिवर्तन का कारण बन सकती हैं।

ज्वालामुखीय गीज़र क्या हैं?

ज्वालामुखीय गीज़र एक प्रकार का हॉट स्प्रिंग (गर्म पानी का स्रोत) होता है जो नियमित अंतराल पर गर्म पानी और भाप को जमीन से बाहर फेंकता है। यह घटना मुख्यतः ज्वालामुखीय क्षेत्रों में होती है, जहाँ भूजल गर्म मैग्मा या उच्च तापमान वाली आग्नेय चट्टानों के संपर्क में आता है।

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