Nagi and Nakti Bird Sanctuaries in Bihar Included in Ramsar List; बिहार के नागी और नकटी पक्षी अभयारण्य रामसर सूची में शामिल:

बिहार के जमुई जिले में स्थित नागी और नकटी पक्षी अभयारण्यों को अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियों की रामसर सूची में शामिल किया गया है। इसके साथ ही भारत में अब कुल रामसर स्थलों की संख्या 82 हो गई है। रामसर सूची में इन अभयारण्यों का शामिल होना न केवल इनके संरक्षण और प्रबंधन को सुनिश्चित करेगा बल्कि इन क्षेत्रों की जैव विविधता और पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। यह उपलब्धि न केवल बिहार के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो पर्यावरण संरक्षण के प्रति हमारे प्रयासों को दर्शाता है।

विशिष्ट भूगोल और पर्यावरण:

नागी और नकटी पक्षी अभयारण्य मानव निर्मित जलाशय हैं और पहाड़ियों से घिरे हुए हैं। यहाँ शुष्क पर्णपाती वन पाए जाते हैं, जो इन अभयारण्यों को एक विशिष्ट भूदृश्य प्रदान करते हैं। हालाँकि नागी अभयारण्य गंगा के मैदान में स्थित है, लेकिन इसका भूदृश्य दक्कन के पठार के समान है। इन विशेषताओं के कारण यह स्थल अद्वितीय है और जैव विविधता का महत्वपूर्ण केंद्र है।

बर्डलाइफ इंटरनेशनल द्वारा मान्यता

नागी और नकटी पक्षी अभयारण्य को बर्डलाइफ इंटरनेशनल द्वारा “महत्वपूर्ण पक्षी और जैव विविधता क्षेत्र (IBA)” के रूप में मान्यता दी गई है। यह मान्यता इस क्षेत्र के पक्षियों और जैव विविधता के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है।

पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण शरण-स्थली:

इन अभयारण्यों में देखे जाने वाले प्रमुख पक्षियों में प्रवासी और स्थानीय पक्षी शामिल हैं:

  • प्रवासी पक्षी: बार-हेडेड गूज, ग्रेलैग गूज, नॉर्दर्न पिंटेल, रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड, स्टेपी ईगल आदि। ये पक्षी दूरस्थ क्षेत्रों से आते हैं और इन जलाशयों को अपनी अस्थायी शरण-स्थली के रूप में उपयोग करते हैं।
  • स्थानीय पक्षी: इंडियन रॉबिन, एशी-क्राउन्ड स्पैरो-लार्क, एशियन कोयल, एशियन पाइड स्टार्लिंग, बैंक मैना आदि। ये पक्षी यहां के स्थायी निवासी हैं और इनकी उपस्थिति से इन अभयारण्यों की जैव विविधता का महत्व और भी बढ़ जाता है।

रामसर कन्वेंशन के बारे में:

रामसर कन्वेंशन एक अंतर-सरकारी संधि है जिसका उद्देश्य आर्द्रभूमियों और उनके संसाधनों का संरक्षण और उनका बुद्धिमत्तापूर्वक उपयोग सुनिश्चित करना है। इसे 1971 में ईरान के रामसर शहर में अपनाया गया था और 1975 में लागू हुआ था। भारत 1982 में इस कन्वेंशन का पक्षकार बना। भारत में सबसे अधिक रामसर स्थल तमिलनाडु में हैं, जबकि उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है।

रामसर सूची में शामिल होने के लिए आर्द्रभूमियों को रामसर कन्वेंशन के तहत निर्धारित 9 मानदंडों में से कम-से-कम एक मानदंड को पूरा करना जरूरी है। इन मानदंडों में वल्नरेबल, एंडेंजर्ड या क्रिटिकली एंडेंजर्ड या थ्रेटेंड पारिस्थितिक समुदायों का समर्थन करना भी शामिल है। ‘अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियों की सूची’ या रामसर सूची में ऐसी आर्द्रभूमियां शामिल होती हैं, जो समग्र रूप से मानवता के लिए महत्वपूर्ण मूल्य रखती हैं।

इस कन्वेंशन के तहत अनुबंधित पक्षकारों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी रामसर साइट्स का प्रबंधन इस तरह से करें कि वे अपने पारिस्थितिक गुणों को बनाए रख सकें।

मोंट्रेक्स रिकॉर्ड के बारे में:

मोंट्रेक्स रिकॉर्ड में ऐसी रामसर साइट्स शामिल हैं जहां तकनीकी विकास, प्रदूषण या मानव जनित अन्य गतिविधियों के कारण इनके पारिस्थितिक स्वरूप में परिवर्तन हुए हैं, हो रहे हैं या होने की आशंका है। भारत की लोकटक झील एवं केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान मोंट्रेक्स रिकॉर्ड में शामिल हैं।

निष्कर्ष:

नागी और नकटी पक्षी अभयारण्यों का रामसर सूची में शामिल होना एक महत्वपूर्ण कदम है जो न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देगा बल्कि बिहार के जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को भी सुदृढ़ बनाएगा। इन अभयारण्यों का संरक्षण और प्रबंधन न केवल पक्षियों के लिए बल्कि मानवता के लिए भी महत्वपूर्ण है।

यह निर्णय बिहार के पर्यावरणीय संरक्षण के प्रयासों को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता देता है और भविष्य में और भी अधिक संरक्षण और जागरूकता के प्रयासों को प्रेरित करेगा।

FAQs:

नागी और नकटी पक्षी अभयारण्य कहाँ स्थित हैं?

नागी और नकटी पक्षी अभयारण्य बिहार के जमुई जिले में स्थित हैं।

नागी और नकटी पक्षी अभयारण्य क्यों महत्वपूर्ण हैं?

यह दोनों अभयारण्य प्रवासी और स्थानीय पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण शरण-स्थली हैं। इन्हें बर्डलाइफ इंटरनेशनल द्वारा “महत्वपूर्ण पक्षी और जैव विविधता क्षेत्र (IBA)” के रूप में मान्यता दी गई है।

रामसर कन्वेंशन क्या है?

रामसर कन्वेंशन एक अंतर-सरकारी संधि है जिसका उद्देश्य आर्द्रभूमियों और उनके संसाधनों का संरक्षण और उनका बुद्धिमत्तापूर्वक उपयोग सुनिश्चित करना है। इसे 1971 में ईरान के रामसर शहर में अपनाया गया था और 1975 में लागू हुआ था। भारत 1982 में इस कन्वेंशन का पक्षकार बना था।

रामसर सूची में शामिल होने के लिए क्या मानदंड हैं?

रामसर सूची में शामिल होने के लिए आर्द्रभूमियों को रामसर कन्वेंशन के तहत निर्धारित 9 मानदंडों में से कम-से-कम एक मानदंड को पूरा करना जरूरी है। इन मानदंडों में वल्नरेबल, एंडेंजर्ड या क्रिटिकली एंडेंजर्ड या थ्रेटेंड पारिस्थितिक समुदायों का समर्थन करना भी शामिल है।

नागी और नकटी पक्षी अभयारण्य में कौन-कौन से पक्षी देखे जा सकते हैं?

इन अभयारण्यों में प्रवासी पक्षियों में बार-हेडेड गूज, ग्रेलैग गूज, नॉर्दर्न पिंटेल, रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड, स्टेपी ईगल आदि देखे जा सकते हैं। स्थानीय पक्षियों में इंडियन रॉबिन, एशी-क्राउन्ड स्पैरो-लार्क, एशियन कोयल, एशियन पाइड स्टार्लिंग, बैंक मैना आदि शामिल हैं।

भारत में सबसे अधिक रामसर स्थल किस राज्य में हैं?

भारत में सबसे अधिक रामसर स्थल तमिलनाडु में हैं, इसके बाद उत्तर प्रदेश का स्थान है।

मोंट्रेक्स रिकॉर्ड क्या है?

मोंट्रेक्स रिकॉर्ड में ऐसी रामसर साइट्स शामिल हैं जहां तकनीकी विकास, प्रदूषण या मानव जनित अन्य गतिविधियों के कारण इनके पारिस्थितिक स्वरूप में परिवर्तन हुए हैं, हो रहे हैं या होने की आशंका है। भारत की लोकटक झील एवं केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान मोंट्रेक्स रिकॉर्ड में शामिल हैं।

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