NOAA Reports Pacific Ocean Free from El Niño: Entering ENSO Neutral Phase; NOAA के अनुसार प्रशांत महासागर अल-नीनो से मुक्त: ENSO तटस्थ चरण में प्रवेश

संयुक्त राज्य अमेरिका की नेशनल ओशन एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के अनुसार, प्रशांत महासागर में अल-नीनो परिस्थितियां अब समाप्त हो गई हैं। अल-नीनो दक्षिणी दोलन (ENSO) के तटस्थ चरण ने इस स्थान को ले लिया है। प्रशांत महासागर में अल-नीनो परिस्थितियां 2023 के मध्य से विद्यमान थीं। ENSO एक समय-समय पर घटित होने वाला जलवायु पैटर्न है, जिसमें मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में जल के तापमान में परिवर्तन होता है। ENSO परिघटना 2-7 वर्ष के अनियमित अंतराल पर घटित होती है।

ENSO क्या है?

ENSO, जिसे अल-नीनो दक्षिणी दोलन भी कहा जाता है, प्रशांत महासागर में घटित होने वाला एक जलवायु पैटर्न है। यह पैटर्न मुख्यतः तीन चरणों में विभाजित होता है: अल-नीनो, ला-नीना और तटस्थ चरण। इन तीनों चरणों का वैश्विक जलवायु पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।

तटस्थ चरण:

ENSO का तटस्थ चरण वह स्थिति है जब उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर का समुद्री सतह तापमान (SST) औसत तापमान के निकट होता है। इस चरण में महासागर का तापमान न तो अत्यधिक गर्म होता है और न ही ठंडा। NOAA के अनुसार, वर्तमान में प्रशांत महासागर इसी तटस्थ चरण में है।

अल-नीनो:

अल-नीनो परिघटना में मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में महासागरीय सतह गर्म हो जाती है या औसत समुद्री सतह तापमान (SST) से अधिक का तापमान हो जाता है। अल-नीनो को क्राइस्ट चाइल्ड भी कहा जाता है। इसके प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हैं:

  1. भारतीय उपमहाद्वीप में मानसून: अल-नीनो के कारण भारतीय उपमहाद्वीप में मानसून में बहुत कम वर्षा होती है। यह कृषि पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है, जिससे किसानों की फसल उत्पादन में कमी हो सकती है।
  2. दक्षिण अमेरिका में वर्षा: इसके कारण दक्षिण अमेरिका में वर्षा होती है।
  3. इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया में सूखा: अल-नीनो के प्रभाव से इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया में सूखा पड़ता है, जो वहां की जलवायु और जल संसाधनों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

ला-नीना:

ला-नीना परिघटना में मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय (भूमध्यरेखीय) प्रशांत महासागर में महासागरीय सतह ठंडी हो जाती है या तापमान, औसत समुद्री सतह तापमान से कम हो जाता है। इसे “लिटिल गर्ल” भी कहा जाता है। इसके प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हैं:

  1. भारतीय उपमहाद्वीप में बेहतर मानसून: ला-नीना के कारण भारतीय उपमहाद्वीप में बेहतर मानसून होता है और औसत से अधिक वर्षा होती है। यह कृषि के लिए लाभकारी होता है और फसल उत्पादन में वृद्धि कर सकता है।
  2. सर्दियों में अधिक ठंड: ला-नीना के प्रभाव से सर्दियों में ठंड अधिक पड़ती है।
अल-नीनो तब प्रकट होता है जब व्यापारिक हवाओं की कमजोरी और समुद्री धाराओं के परिवर्तन के कारण मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में महासागरीय सतह का तापमान औसत से अधिक हो जाता है, जिससे वायुमंडलीय दबाव में बदलाव होता है। इसके विपरीत, ला-नीना तब प्रकट होती है जब व्यापारिक हवाएं सामान्य से अधिक मजबूत हो जाती हैं और ठंडा पानी पूर्वी प्रशांत महासागर में सतह पर आ जाता है, जिससे वहां का महासागरीय सतह तापमान औसत से कम हो जाता है और वायुमंडलीय दबाव में विपरीत बदलाव होता है।

NOAA की रिपोर्ट का महत्व:

NOAA की यह रिपोर्ट बताती है कि प्रशांत महासागर में अब अल-नीनो परिस्थितियां समाप्त हो गई हैं और ENSO का तटस्थ चरण विद्यमान है। इस बदलाव का जलवायु पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है और विभिन्न क्षेत्रों में मौसम के पैटर्न को प्रभावित कर सकता है।

निष्कर्ष:

अल-नीनो और ला-नीना दोनों ही ENSO चक्र के महत्वपूर्ण हिस्से हैं और इनके प्रभाव से विश्वभर के विभिन्न भागों में मौसम में व्यापक बदलाव देखे जा सकते हैं। NOAA की रिपोर्ट के अनुसार प्रशांत महासागर में अल-नीनो परिस्थितियां समाप्त होकर ENSO के तटस्थ चरण में प्रवेश कर गई हैं। यह परिवर्तन जलवायु पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है और विभिन्न क्षेत्रों में मौसम के पैटर्न को प्रभावित कर सकता है।

NOAA की इस जानकारी से वैश्विक जलवायु अध्ययनकर्ताओं और मौसम विज्ञानियों को आगामी जलवायु परिवर्तनों को समझने और उनकी भविष्यवाणी करने में मदद मिलेगी। इससे संबंधित क्षेत्रीय सरकारें और नीति निर्माता समय रहते आवश्यक कदम उठा सकेंगे और संभावित आपदाओं से निपटने की तैयारी कर सकेंगे।

FAQs:

अल-नीनो क्या है?

अल-नीनो एक जलवायु परिघटना है जिसमें मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में महासागरीय सतह का तापमान औसत तापमान से अधिक हो जाता है। इसे ‘क्राइस्ट चाइल्ड’ भी कहा जाता है। इस परिघटना का वैश्विक जलवायु और मौसम पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।

ला-नीना क्या है?

ला-नीना एक जलवायु परिघटना है जिसमें मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में महासागरीय सतह का तापमान औसत से कम हो जाता है। इसे ‘लिटिल गर्ल’ भी कहा जाता है। इसके प्रभाव अल-नीनो से विपरीत होते हैं और इसके कारण सामान्य से ठंडा और शुष्क मौसम हो सकता है।

ENSO क्या है?

ENSO (El Niño-Southern Oscillation) एक जलवायु पैटर्न है जो प्रशांत महासागर में घटित होता है। इसमें अल-नीनो (गर्म चरण), ला-नीना (ठंडा चरण), और तटस्थ चरण शामिल होते हैं। ENSO का प्रभाव वैश्विक जलवायु पर पड़ता है और यह मौसम में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाता है।

ENSO चक्र कितनी बार घटित होता है?

ENSO चक्र 2-7 वर्ष के अनियमित अंतराल पर घटित होता है। यह चक्र समय-समय पर बदलता रहता है और इसका प्रभाव मौसम और जलवायु पर पड़ता है।

अल-नीनो और ला-नीना का वैश्विक जलवायु पर क्या प्रभाव होता है?

अल-नीनो के कारण भारतीय उपमहाद्वीप में मानसून में कमी, दक्षिण अमेरिका में वर्षा, और इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया में सूखा पड़ता है। ला-नीना इसके विपरीत प्रभाव डालती है, जैसे भारतीय उपमहाद्वीप में बेहतर मानसून और सर्दियों में अधिक ठंड।

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