हाल ही में, भारत के प्रधानमंत्री ने बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का उद्घाटन किया। यह नया विश्वविद्यालय “अलग-अलग सभ्यताओं के बीच संवाद के केंद्र” के रूप में स्थापित किया जा रहा है और इसे ‘नेट जीरो ग्रीन कैंपस’ भी कहा जा रहा है। यह नया कैंपस संसद के नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2010 के तहत स्थापित किया गया है और इसे प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों के पास बनाया गया है।
नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना का ऐतिहासिक संदर्भ:
नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना का विचार 2007 में फिलीपींस में आयोजित द्वितीय पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) में लिया गया था। इस निर्णय ने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए आधार प्रदान किया। यह विश्वविद्यालय प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की परंपरा को पुनर्जीवित करने का प्रयास है, जो शिक्षा और सांस्कृतिक संवाद का एक प्रमुख केंद्र था।
प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में:
स्थापना और स्थापत्य कला
- स्थापना: प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 5वीं शताब्दी ई. में कुमारगुप्त प्रथम ने की थी। यह विश्वविद्यालय 12वीं शताब्दी ई. तक शिक्षा का प्रमुख केंद्र बना रहा।
- स्थापत्य कला: यह वास्तव में एक बौद्ध मठ यानी एक महाविहार था। इसका उपयोग बौद्ध भिक्षुओं के ठहरने और उन्हें शिक्षा देने के उद्देश्यों से किया जाता था। इसमें स्तूप और उपासना संबंधी संरचनाएं भी थीं, और प्लास्टर, पत्थर और धातु से बनी कई महत्वपूर्ण कलाकृतियाँ इसकी शोभा बढ़ाती थीं।
शैक्षिक उत्कृष्टता का केंद्र
प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में चीन, तिब्बत, मध्य एशिया, श्रीलंका, थाईलैंड, बर्मा और दक्षिण-पूर्वी एशिया के कई देशों के छात्र और बौद्ध भिक्षु शिक्षा प्राप्त करते थे। यहाँ वेद, ललित कला, चिकित्सा, गणित, खगोल विज्ञान, राजव्यवस्था और युद्ध कला जैसे विषयों पर शिक्षा दी जाती थी। विश्वविद्यालय में पूरी तरह से योग्यता के आधार पर प्रवेश होता था और इसके लिए प्रशिक्षित द्वारपालों द्वारा प्रवेश परीक्षाएं आयोजित की जाती थीं।
विदेशी यात्री
- 7वीं शताब्दी ई. में चीनी विद्वान इ-किंग और जुआन-जांग (ह्वेनसांग) नालंदा आए थे। ह्वेनसांग ने कुलपति आचार्य शीलभद्र के सानिध्य में योगशास्त्र का अध्ययन किया था। शीलभद्र प्रसिद्ध योगाचार्य थे।
अंतर्राष्ट्रीय मान्यता
नालंदा महाविहार को 2016 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
प्राचीन भारत में शिक्षा के अन्य प्रमुख संस्थान:
- विक्रमशिला विश्वविद्यालय (बिहार): इसका निर्माण 8वीं शताब्दी ई. में पाल शासक धर्मपाल ने करवाया था। इस विश्वविद्यालय ने वज्रयान बौद्ध धर्म के प्रसार में योगदान दिया था।
- नागार्जुनकोंडा (आंध्र प्रदेश): इसका नाम महायान बौद्ध दार्शनिक नागार्जुन के नाम पर रखा गया था। नागार्जुन को “शून्यवाद सिद्धांत” का प्रतिपादक माना जाता है।
- तक्षशिला विश्वविद्यालय: वर्तमान में यह उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान में स्थित है। पाणिनि (अष्टाध्यायी के रचयिता), जीवक (चिकित्सक) और चाणक्य (कौटिल्य) ने इसी विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की थी।
- अन्य विश्वविद्यालय: वल्लभी (गुजरात), ओदंतपुरी (बिहार) और जगदल (अब बांग्लादेश में)।
नया नालंदा विश्वविद्यालय: एक आधुनिक दृष्टिकोण
नया नालंदा विश्वविद्यालय, पुराने विश्वविद्यालय की महिमा को पुनर्जीवित करने के साथ ही आधुनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है। यह विश्वविद्यालय “नेट जीरो ग्रीन कैंपस” के रूप में भी जाना जाता है, जिसका मतलब है कि यह पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार और ऊर्जा-संवेदनशील है।
- पर्यावरणीय संवेदनशीलता: नया कैंपस पर्यावरणीय संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें सौर ऊर्जा, वर्षा जल संचयन, और ऊर्जा कुशल भवन सामग्री का उपयोग किया गया है।
- शैक्षिक और सांस्कृतिक संवाद: यह विश्वविद्यालय विभिन्न सभ्यताओं के बीच संवाद के केंद्र के रूप में कार्य करेगा, जहां विभिन्न देशों के छात्र और विद्वान अध्ययन और अनुसंधान के लिए आएंगे।
निष्कर्ष:
नालंदा विश्वविद्यालय का नया कैंपस एक ऐतिहासिक और आधुनिकता का संगम है। इसका उद्देश्य विभिन्न सभ्यताओं के बीच संवाद को बढ़ावा देना और एक वैश्विक शिक्षा केंद्र के रूप में उभरना है। प्रधानमंत्री द्वारा इसका उद्घाटन एक महत्वपूर्ण कदम है जो भारतीय शिक्षा के वैश्विक मानचित्र पर इसे पुनर्स्थापित करने में मदद करेगा। नालंदा विश्वविद्यालय का यह नया स्वरूप न केवल भारत की प्राचीन शैक्षिक धरोहर को सम्मानित करता है, बल्कि इसे भविष्य की शिक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में भी स्थापित करता है।
यह नया नालंदा विश्वविद्यालय, अपनी आधुनिक सुविधाओं और पारंपरिक मूल्यों के साथ, भविष्य की पीढ़ियों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में एक आदर्श केंद्र बनेगा।
FAQs:
नालंदा विश्वविद्यालय का नया कैंपस कहां स्थित है?
नालंदा विश्वविद्यालय का नया कैंपस बिहार के राजगीर में स्थित है। यह प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों के पास बनाया गया है।
नए नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना किस अधिनियम के तहत हुई है?
नए नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना संसद के नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2010 के तहत हुई है।
प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की विशेषताएं क्या थीं?
प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 5वीं शताब्दी ई. में कुमारगुप्त प्रथम ने की थी। यह बौद्ध मठ था जिसमें बौद्ध भिक्षु ठहरते और शिक्षा प्राप्त करते थे। यहाँ वेद, ललित कला, चिकित्सा, गणित, खगोल विज्ञान, राजव्यवस्था और युद्ध कला जैसे विषयों पर शिक्षा दी जाती थी।
नालंदा विश्वविद्यालय को यूनेस्को द्वारा कब विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था?
नालंदा महाविहार को 2016 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
प्राचीन भारत में शिक्षा के अन्य प्रमुख संस्थान कौन-कौन से थे?
प्राचीन भारत में अन्य प्रमुख शिक्षा संस्थानों में विक्रमशिला विश्वविद्यालय (बिहार), नागार्जुनकोंडा (आंध्र प्रदेश), तक्षशिला विश्वविद्यालय (वर्तमान पाकिस्तान), वल्लभी (गुजरात), ओदंतपुरी (बिहार) और जगदल (अब बांग्लादेश में) शामिल थे।