Project Nexus: RBI’s Major Step in International Payment Systems; प्रोजेक्ट नेक्सस: भारतीय रिजर्व बैंक का अंतर्राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली में महत्वपूर्ण कदम

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय पहल “प्रोजेक्ट नेक्सस” में शामिल होने का निर्णय लिया है। प्रोजेक्ट नेक्सस एक बहुपक्षीय अंतर्राष्ट्रीय पहल है जिसका उद्देश्य घरेलू त्वरित भुगतान प्रणालियों (Instant Payments Systems: IPS) को आपस में जोड़कर तत्काल सीमा-पार रिटेल पेमेंट की सुविधा प्रदान करना है। इस पहल से भारतीय भुगतान प्रणाली को वैश्विक स्तर पर एक नई दिशा मिलेगी और आर्थिक प्रगति को प्रोत्साहन मिलेगा।

त्वरित भुगतान प्रणालियां (Instant Payments Systems):

त्वरित भुगतान प्रणालियां (IPS) वास्तव में इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणालियां होती हैं जो दो बैंकों के बीच फंड ट्रांसफर की सुविधा प्रदान करती हैं। ये प्रणालियां एक मिनट या उससे कम समय में फंड प्राप्त करने वाले और फंड भेजने वाले को भुगतान की पुष्टि के बारे में सूचित करती हैं। भारत में युनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) त्वरित भुगतान प्रणाली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो तेजी से और सुरक्षित रूप से लेन-देन करने की सुविधा प्रदान करती है। UPI के माध्यम से करोड़ों भारतीय नागरिक रोजाना अपने वित्तीय लेन-देन को सरल और सुरक्षित बना रहे हैं।

प्रोजेक्ट नेक्सस:

प्रोजेक्ट नेक्सस बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) के इनोवेशन हब की एक पहल है। BIS की स्थापना 1930 में हुई थी और इसका मुख्यालय बेसल, स्विट्जरलैंड में है। इसका स्वामित्व RBI सहित 63 केंद्रीय बैंकों के पास है। प्रोजेक्ट नेक्सस चार आसियान देशों (मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड) तथा भारत की त्वरित भुगतान प्रणालियों को जोड़ेगी। इस परियोजना के 2026 तक शुरू होने का अनुमान है।

प्रोजेक्ट नेक्सस को किसी देश की घरेलू त्वरित भुगतान प्रणालियों को एक-दूसरे से जोड़ने के तरीके के लिए मानक बनाने हेतु डिज़ाइन किया गया है। त्वरित भुगतान प्रणाली ऑपरेटर को हर नए देश के अनुसार कनेक्शन बनाने की जरूरत नहीं होती है, बल्कि ऑपरेटर को “नेक्सस” से केवल एक कनेक्शन बनाने की आवश्यकता होती है। यह प्रक्रिया भुगतान प्रणालियों के बीच के अंतर को समाप्त करती है और उन्हें अधिक सुसंगत और सुलभ बनाती है।

प्रोजेक्ट नेक्सस के लाभ:

प्रोजेक्ट नेक्सस का उद्देश्य वहनीय, तेज़, अधिक पारदर्शी और आसान सीमा-पार भुगतान सुनिश्चित करने के G20 लक्ष्यों को प्राप्त करना है। यह पहल सीमा-पार भुगतान को आसान बनाती है और जटिलता, लागत और लेन-देन के समय को कम करती है। इसके अतिरिक्त, यह सभी भुगतान सेवा प्रदाताओं के लिए कम लागत पर लाभकारी भुगतान अवसंरचना प्रदान करती है।

प्रोजेक्ट नेक्सस अलग-अलग प्रणालियों में मानकीकरण और सामंजस्य को बढ़ावा देकर एक-दूसरे की प्रणालियों में लेन-देन में मौजूद कमियों को दूर करती है। यह पहल न केवल भुगतान प्रणाली को अधिक सुलभ और प्रभावी बनाती है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और आर्थिक सहयोग को भी प्रोत्साहित करती है। इससे भारत और अन्य आसियान देशों के बीच आर्थिक संबंध और भी मजबूत होंगे और व्यापारिक गतिविधियां सुचारू रूप से चल सकेंगी।

सीमा-पार भुगतान प्रणालियों को जोड़ने में चुनौतियां:

हालांकि प्रोजेक्ट नेक्सस कई लाभ प्रदान करता है, लेकिन सीमा-पार भुगतान प्रणालियों को जोड़ने में कुछ चुनौतियां भी हैं, जो निम्नलिखित हैं:

  1. अलग-अलग भुगतान प्रणालियों के बीच डेटा आदान-प्रदान की कमी
  2. धीमी प्रणाली और अधिक लागत
  3. मुद्रा विनिमय जैसे अन्य उपायों की आवश्यकता
  4. विस्तार में कठिनाई

इन चुनौतियों का समाधान प्रोजेक्ट नेक्सस के माध्यम से किया जा सकता है, जिससे सीमा-पार भुगतान प्रणाली अधिक प्रभावी और सुलभ बन सकेगी। प्रोजेक्ट नेक्सस के माध्यम से भारत और अन्य आसियान देशों के बीच आर्थिक और वित्तीय सहयोग को और मजबूत किया जा सकेगा।

निष्कर्ष:

प्रोजेक्ट नेक्सस के माध्यम से भारतीय रिजर्व बैंक ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है जो देश की आर्थिक प्रगति और वैश्विक वित्तीय प्रणाली में भारत की मजबूत उपस्थिति को और अधिक सुदृढ़ करेगा। यह पहल न केवल सीमा-पार भुगतान को सरल और सुलभ बनाएगी, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और आर्थिक सहयोग को भी प्रोत्साहित करेगी। इस प्रकार, प्रोजेक्ट नेक्सस भारत के आर्थिक भविष्य को और भी उज्जवल बनाएगा और देश की वित्तीय प्रणाली को वैश्विक मानकों पर खड़ा करेगा।

FAQs:

प्रोजेक्ट नेक्सस क्या है?

प्रोजेक्ट नेक्सस एक बहुपक्षीय अंतर्राष्ट्रीय पहल है जिसका उद्देश्य घरेलू त्वरित भुगतान प्रणालियों (Instant Payments Systems: IPS) को आपस में जोड़कर तत्काल सीमा-पार रिटेल पेमेंट की सुविधा प्रदान करना है।

त्वरित भुगतान प्रणाली (IPS) क्या होती है?

त्वरित भुगतान प्रणाली (Instant Payment System) एक इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली होती है जो दो बैंकों के बीच फंड ट्रांसफर की सुविधा प्रदान करती है। ये प्रणालियां एक मिनट या उससे कम समय में फंड प्राप्त करने वाले और फंड भेजने वाले को भुगतान की पुष्टि के बारे में सूचित करती हैं। भारत में युनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) इसका एक उदाहरण है।

प्रोजेक्ट नेक्सस किसके द्वारा संचालित है?

प्रोजेक्ट नेक्सस बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) के इनोवेशन हब की एक पहल है। BIS की स्थापना 1930 में हुई थी और इसका मुख्यालय बेसल, स्विट्जरलैंड में है। इसका स्वामित्व 63 केंद्रीय बैंकों के पास है, जिनमें RBI भी शामिल है।

प्रोजेक्ट नेक्सस के क्या लाभ हैं?

प्रोजेक्ट नेक्सस का उद्देश्य वहनीय, तेज़, अधिक पारदर्शी और आसान सीमा-पार भुगतान सुनिश्चित करना है। यह जटिलता, लागत और लेन-देन के समय को कम करता है और सभी भुगतान सेवा प्रदाताओं के लिए कम लागत पर लाभकारी भुगतान अवसंरचना प्रदान करता है।

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