केन्द्रीय बजट 2024-25 में एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सभी वर्गों के निवेशकों के लिए ‘एंजेल टैक्स’ को समाप्त करने की घोषणा की है। यह कदम भारतीय स्टार्ट-अप इकोसिस्टम के लिए एक बड़ा बदलाव साबित होगा और निवेश के लिए अधिक मजबूत और अनुकूल परिवेश प्रदान करेगा। इस निर्णय का प्रभाव 1 अप्रैल, 2025 से लागू होगा।
एंजेल टैक्स क्या है?
एंजेल टैक्स को 2012 में वित्त अधिनियम के तहत पेश किया गया था। यह आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 56 (II) (viib) के अंतर्गत आता है। यह टैक्स उन गैर-सूचीबद्ध कंपनियों या स्टार्ट-अप्स द्वारा जुटाई गई पूंजी पर लगाया जाता है, जो उनके उचित बाजार मूल्य (Fair Market Value) से अधिक होती है।
उदाहरण के लिए, यदि किसी कंपनी का उचित बाजार मूल्य 1 करोड़ रुपये है और वह एंजेल निवेशकों से 1.5 करोड़ रुपये जुटाती है, तो 50 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि पर कर लगेगा। इस अतिरिक्त राशि को आय के रूप में माना जाता है और उस पर 30.9% की दर से कर लगाया जाता है।
एंजेल टैक्स को समाप्त करने के कारण:
1. नियमों के पालन का बोझ कम करना
एंजेल टैक्स को समाप्त करने से स्टार्ट-अप्स पर नियमों के पालन का बोझ कम होगा, जिससे वे अपने व्यवसाय पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेंगे। यह स्टार्ट-अप्स के लिए प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल करेगा और उनके विकास में बाधा डालने वाले अनावश्यक अवरोधों को हटाएगा।
2. कार्य-प्रणाली की जटिलता
एंजेल टैक्स के मूल्यांकन के लिए डिस्काउंटेड कैश फ्लो (DCF) पद्धति का उपयोग किया जाता था, जिसे स्टार्ट-अप्स के लिए प्रतिकूल माना जाता है। यह पद्धति भविष्य में अनुमानित नकद प्राप्ति को कम करके निवेश का मूल्यांकन करती है, जिससे स्टार्ट-अप्स के लिए निवेश प्राप्त करना कठिन हो जाता था।
3. विदेशी निवेश को प्रोत्साहन
एंजेल टैक्स के कारण भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में कमी आ रही थी। इसे समाप्त करने से विदेशी निवेशकों को भारतीय स्टार्ट-अप्स में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे देश में विदेशी निवेश की वृद्धि होगी।
4. स्टार्ट-अप इंडिया पहल के अनुरूप
यह कदम सरकार की ‘स्टार्ट-अप इंडिया पहल’ के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य उद्यमियों का समर्थन करना, एक मजबूत स्टार्ट-अप इकोसिस्टम का निर्माण करना और भारत को नौकरी चाहने वालों की बजाय नौकरी देने वाले उद्यमियों के देश के रूप में प्रस्तुत करना है।
स्टार्ट-अप इंडिया पहल:
1. शुरुआत
इस पहल को 2016 में शुरू किया गया था। यह पहल उद्यमियों को समर्थन प्रदान करने और उन्हें विभिन्न संसाधनों तक पहुंच प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई है।
2. उद्देश्य
- उद्यमियों का समर्थन करना: नए उद्यमियों को मार्गदर्शन, वित्तीय सहायता, और नेटवर्किंग के अवसर प्रदान करना।
- एक मजबूत स्टार्ट-अप इकोसिस्टम का निर्माण करना: एक ऐसा वातावरण बनाना जहां स्टार्ट-अप्स फल-फूल सकें।
- भारत को नौकरी देने वाले उद्यमियों का देश बनाना: अधिक रोजगार सृजन के माध्यम से आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना।
3. कार्यान्वयन
इस पहल का कार्यान्वयन भारत सरकार के उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) द्वारा किया जा रहा है।
निष्कर्ष:
एंजेल टैक्स को समाप्त करना एक स्वागत योग्य कदम है, जो भारतीय स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को नया जीवन देगा। इससे न केवल घरेलू निवेशकों को लाभ होगा, बल्कि विदेशी निवेशकों के लिए भी भारतीय बाजार अधिक आकर्षक बनेगा। यह कदम स्टार्ट-अप्स को नवाचार करने और विकास के नए अवसरों का लाभ उठाने में मदद करेगा। इसके साथ ही, यह सरकार की स्टार्ट-अप इंडिया पहल के उद्देश्यों को भी साकार करने में सहायक सिद्ध होगा।
इस कदम से भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिलेगी और स्टार्ट-अप्स के लिए एक मजबूत और अनुकूल वातावरण का निर्माण होगा, जिससे देश में उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा और आर्थिक विकास को नई गति मिलेगी।
FAQs:
एंजेल टैक्स क्या है?
एंजेल टैक्स आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 56 (II) (viib) के तहत लगाया जाने वाला एक कर है। यह गैर-सूचीबद्ध कंपनियों या स्टार्ट-अप्स द्वारा जुटाई गई पूंजी पर लगाया जाता है, जो उनके उचित बाजार मूल्य से अधिक होती है।
एंजेल टैक्स को क्यों समाप्त किया गया है?
एंजेल टैक्स को समाप्त करने के मुख्य कारण हैं:
1. स्टार्ट-अप्स पर नियमों के पालन का बोझ कम करना।
2. मूल्यांकन की जटिलता को सरल बनाना।
3. विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करना।
4. सरकार की ‘स्टार्ट-अप इंडिया पहल’ के अनुरूप होना।
एंजेल टैक्स कैसे काम करता था?
एंजेल टैक्स गैर-सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा जुटाई गई पूंजी और उनके उचित बाजार मूल्य के बीच के अंतर पर लगाया जाता था। इस अतिरिक्त राशि को आय के रूप में माना जाता था और उस पर 30.9% की दर से कर लगाया जाता था।
एंजेल टैक्स को समाप्त करने का निर्णय कब से लागू होगा?
एंजेल टैक्स को समाप्त करने का निर्णय 1 अप्रैल, 2025 से लागू होगा।
स्टार्ट-अप इंडिया पहल क्या है?
स्टार्ट-अप इंडिया पहल 2016 में शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य उद्यमियों का समर्थन करना, एक मजबूत स्टार्ट-अप इकोसिस्टम का निर्माण करना, और भारत को नौकरी देने वाले उद्यमियों के देश के रूप में प्रस्तुत करना है।