ISRO’s Reusable Landing Vehicle (RLV) Program: Success of Pushpak LEX 02 Test and Future Prospects; इसरो का रीयूजेबल लैंडिंग व्हीकल (RLV) कार्यक्रम: पुष्पक LEX 02 परीक्षण की सफलता और भविष्य की संभावनाएं:

भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक नए अध्याय की शुरुआत करते हुए, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने हाल ही में अपने रीयूजेबल लैंडिंग व्हीकल (RLV) कार्यक्रम के तहत पुष्पक LEX 02 के लैंडिंग परीक्षण को सफलतापूर्वक पूरा किया है। यह उपलब्धि अंतरिक्ष परिवहन की लागत को कम करने और अंतरिक्ष तक पहुंच को अधिक किफायती बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

क्या है रीयूजेबल लैंडिंग व्हीकल (RLV)?

एक रीयूजेबल लैंडिंग व्हीकल अनिवार्य रूप से एक अंतरिक्ष यान है जिसे पृथ्वी पर वापस लौटने और पुन: उपयोग के लिए तैयार रहने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह अवधारणा पारंपरिक प्रक्षेपण यानों से अलग है जो आम तौर पर उपयोग-और-त्याग (use-and-discard) मॉडल पर काम करते हैं। रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल या RLV वास्तव में ‘लो-लिफ्ट टू ड्रैग्र ’ अनुपात वाला एक अंतरिक्ष विमान है। यह पेलोड या उपग्रह को निम्न-भू कक्षा (Low Earth Orbit) में स्थापित करके सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लौटने में सक्षम है।

चूँकि यह पुन: प्रयोग करने योग्य है, अतः इससे अंतरिक्ष अभियानों की लागत में भारी कमी आ सकती है। इस यान को विकसित करके भविष्य में भारत के द्वि-चरणीय कक्षीय (Two-Stage-to-Orbit या TSTO) प्रक्षेपण यान के पहले चरण के रूप में भी इस्तेमाल करने की योजना है। RLV कार्यक्रम इसरो के ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अनुरूप आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक मजबूत आधार बनाने पर केंद्रित है।

RLV-TD कार्यक्रम और पुष्पक LEX 02 मिशन:

RLV टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेशन (RLV-TD) कार्यक्रम एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जिसका उद्देश्य अंततः भारत के अपने पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान के लिए आवश्यक तकनीकों का विकास करना है। पुष्पक LEX 02 मिशन इस कार्यक्रम के तहत किए गए कई प्रयोगों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इसने स्वेदेशी रूप से निर्मित तकनीकों का उपयोग करते हुए अंतरिक्ष से वापस पृथ्वी पर सुरक्षित लौटने वाले प्रक्षेपण यान (लॉन्च व्हीकल) की उच्च गति वाली ऑटोनोमस लैंडिंग के लिए स्वदेशी रूप से विकसित प्रौद्योगिकियों की विश्वसनीयता सिद्ध कर दी है। इस तरह के वाहन उपग्रहों को अंतरिक्ष में किफ़ायती तरीके से पहुँचाने में मदद करेंगे और भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए लागत को कम करने में सहायक होंगे।

LEX 02 मिशन की सफलता 2023 में किए गए LEX 01 प्रयोग पर आधारित है। इसरो ने पहले किए प्रयोग की विंग्ड बॉडी और फ्लाइट सिस्टम को फिर से इस्तेमाल किया। इस परीक्षण ने मिशन की लागत को काफी कम कर दिया और यह इस बात का प्रमाण है कि इसरो अपने संसाधनों के प्रभावी उपयोग के लिए कितना प्रतिबद्ध है।

RLV प्रौद्योगिकी के लाभ:

  • अंतरिक्ष तक पहुंच की लागत में कमी: RLV के मुख्य लाभों में से एक अंतरिक्ष परिवहन की लागत को काफी कम करने की क्षमता है। एक बार विकसित होने के बाद, ये वाहन कई मिशनों के लिए उपयोग किए जा सकते हैं, उपयोग के बाद पारंपरिक लॉन्च वाहनों को त्यागने की आवश्यकता को समाप्त कर सकते हैं।
  • अंतरिक्ष मिशन की बढ़ती आवृत्ति: पुन: प्रयोज्यता से अंतरिक्ष मिशन की आवृत्ति बढ़ाने में मदद मिलती है। कम टर्नअराउंड समय और कम लागत के साथ, भारत पृथ्वी परिक्रमा में उपग्रहों को लॉन्च करने और बनाए रखने, अंतरिक्ष विज्ञान के प्रयोग करने अथवा भविष्य में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन या चंद्रमा के लिए मिशन बढ़ाने में सक्षम होगा।
  • विश्वसनीयता और निरंतरता: RLV अंतरिक्ष पहुंच की विश्वसनीयता में सुधार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। बार-बार उपयोग इन वाहनों की तकनीक और डिजाइन को अनुकूलित करके उनकी दीर्घकालिक निरंतरता सुनिश्चित करेगा।
  • सतत् अंतरिक्ष अन्वेषण: अंतरिक्ष मलबे एक बढ़ती हुई समस्या है। RLV का उपयोग, लॉन्च किए जाने वाले रॉकेटों की संख्या को कम करके इस समस्या को कम करने में मदद कर सकता है, जिससे अंतरिक्ष का वातावरण क्लीनर होगा और सतत अंतरिक्ष अन्वेषण के प्रयासों में मदद मिलेगी।
  • नए अवसरों के द्वार: RLV अंतरिक्ष पर्यटन, अंतरिक्ष अन्वेषण और कई अन्य नए व्यावसायिक अवसरों को खोलने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय प्रयास:

भारत के अलावा, अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा लंबे समय से रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल का उपयोग करती आ रही है। इसके साथ ही, स्पेसएक्स जैसी निजी अंतरिक्ष एजेंसियां भी आंशिक रूप से दोबारा उपयोग होने वाली लॉन्च सिस्टम विकसित करने की दिशा में सक्रिय हैं।

भारत के लिए महत्व:

भारत जैसे अंतरिक्ष में महत्वाकांक्षाएँ रखने वाले देश के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है। पुष्पक RLV का सफल परीक्षण इस बात का प्रमाण है कि भारत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। यह नवाचार भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा। भारत लगातार कम लागत वाली अंतरिक्ष तकनीक विकसित करके इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता भी हासिल करना चाहता है। अंतरिक्ष अन्वेषण से संबंधित लागतों में कमी के साथ, इसरो वैज्ञानिक अनुसंधान, पृथ्वी अवलोकन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए अधिक मिशन शुरू करने में सक्षम होगा।

RLV की चुनौतियाँ:

कॉस्ट इफेक्टिव RLV बनाने की चुनौतियाँ गंभीर हैं। इन वाहनों के निर्माण और संचालन में अत्यधिक उन्नत सामग्री, जटिल डिजाइन और विशेषज्ञ इंजीनियरिंग के उपयोग की आवश्यकता होती है। कुछ प्रमुख चुनौतियों में शामिल हैं:

  • सामग्री का चुनाव: अत्यधिक गर्मी और अन्य चुनौतियों का सामना कर सकने वाली विशेष मिश्र धातु, कंपोजिट और इन्सुलेशन जैसी सामग्रियों का चयन करना एक जटिल कार्य है।
  • जटिल क्राफ्टिंग: इसके अलग-अलग हिस्सों को तैयार करना और उन्हें जोड़ना एक बेहद जटिल प्रक्रिया है।
  • विशेषज्ञता की आवश्यकता: RLV की डिजाइन, निर्माण और संचालन के लिए अत्यधिक कुशल और अनुभवी कार्यबल की आवश्यकता होती है।

निष्कर्ष:

भारत का पुष्पक RLV सफल परीक्षण अंतरिक्ष में भारत की छलांग के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह स्वदेशी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के भविष्य की नींव रखने में एक मील का पत्थर साबित होगा। आने वाले समय में भारत द्वारा अंतरिक्ष क्षेत्र में ऐसे और कई सफल प्रयोगों की उम्मीद की जा सकती है।

Also Read:

THE TECHNOLOGICAL FUTURE OF THE INDIAN ARMY – STEAG AND MEETING THE CHANGING NATURE OF WARFARE; भारतीय थल सेना का तकनीकी भविष्य – STEAG और युद्ध के बदलते स्वरूप का सामना:

Sharing Is Caring:

Leave a comment