अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC), जो विश्व बैंक समूह का हिस्सा है, ने हाल ही में अपनी ‘ग्रीन एंड सोशल बॉण्ड इम्पैक्ट रिपोर्ट, 2023’ जारी की है। यह रिपोर्ट IFC के ग्रीन बॉण्ड्स और सोशल बॉण्ड्स कार्यक्रमों के माध्यम से की गई पर्यावरणीय एवं सामाजिक विकास पहलों के प्रभाव का विस्तृत मूल्यांकन प्रस्तुत करती है।
मुख्य निष्कर्ष और उद्देश्य:
यह रिपोर्ट IFC के दीर्घकालिक लक्ष्यों के साथ-साथ संधारणीय और न्यायोचित निवेश की वैश्विक आवश्यकता की ओर इशारा करती है। यहाँ पर रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष दिए गए हैं:
- ग्रीन बॉण्ड:
- IFC के ग्रीन बॉण्ड निजी क्षेत्र की परियोजनाओं में निवेश करते हैं जो जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद करते हैं।
- 2010 में इसकी शुरुआत के बाद से, IFC के ग्रीन बॉण्ड कार्यक्रम द्वारा जुटाए गए कुल 2 बिलियन डॉलर से सालाना लगभग 3.3 मिलियन मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कमी होने की उम्मीद है।
- सोशल बॉण्ड:
- IFC के सोशल बॉण्ड सीधे तौर पर कृषि-व्यवसाय, महिलाओं के वित्तीय सशक्तिकरण, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और अन्य सामाजिक रूप से लाभकारी क्षेत्रों का समर्थन करते हैं।
- 2017 में शुरू होने के बाद बाद से, सोशल बॉण्ड कार्यक्रम ने विकासशील देशों की अत्यावश्यक जरूरतों को पूरा करने के लिए 1.2 बिलियन डॉलर से अधिक जुटाए हैं।
IFC के ग्रीन और सोशल बॉण्ड कार्यक्रमों का महत्व:
दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने और अभावग्रस्त आबादी के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों में ‘ग्रीन’ और ‘सोशल’ बॉण्ड्स महत्वपूर्ण वित्तीय साधन बनकर उभरे हैं। IFC इन अभियानों में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। IFC द्वारा जारी की गई बॉण्ड रिपोर्ट वैश्विक समुदाय को यह समझने में मदद करती है कि निजी क्षेत्र और अंतर्राष्ट्रीय संस्थान कैसे निवेशकों को इन सकारात्मक बदलावों में शामिल होने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
यह रिपोर्ट न केवल IFC द्वारा प्राप्त परिणामों को उजागर करती है, बल्कि पर्यावरणीय, सामाजिक, और शासन (ESG) मानकों के महत्व को भी दर्शाती है। IFC एक अग्रणी संस्था के रूप में यह दिखाती है कि निवेश के पारंपरिक तरीकों के साथ संधारणीय कार्यों को कैसे एकीकृत किया जा सकता है।
ग्रीन बॉण्ड क्या हैं?
ग्रीन बॉण्ड एक प्रकार की विशेष ऋण प्रतिभूतियाँ हैं, जो सीधे तौर पर पर्यावरण-अनुकूल परियोजनाओं जैसे अक्षय ऊर्ज, संधारणीय कृषि, स्वच्छ परिवहन, प्रदषूण निवारण आदि में निवेश के लिए जारी की जाती हैं। ग्रीन बॉण्ड उन निवेशकों को आकर्षित करते हैं, जो सकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव के साथ अपने निवेश का वित्तीय विकास देखना चाहते हैं।
भारत में ग्रीन बॉण्ड:
भारत ग्रीन बॉण्ड बाज़ार के क्षेत्र में अग्रणी बनकर उभर रहा है।
- 2015: भारत का पहला ग्रीन बॉण्ड यस बैंक द्वारा जारी किया गया था।
- 2022: भारत सरकार ने अपना पहला सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड फ्रेमवर्क जारी किया। इसमें परमाणु ऊर्जा उत्पादन, लैंडफिल परियोजनाएं, 25 मेगावाट से बड़े जलविद्युत संयंत्र जैसी परियोजनाएं शामिल नहीं हैं।
- 2023: भारत सरकार ने 80 अरब रुपये के सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड की पहली किश्त जारी की।
सोशल बॉण्ड क्या हैं?
सोशल बॉण्ड भी विशिष्ट प्रकार के ऋण दायित्व (debt obligations) हैं जो सामाजिक समस्याओं के समाधान हेतु परियोजनाओं में निवेश करने के लिए जारी किए जाते हैं। इनमें शामिल हैं:
- किफ़ायती आवास
- स्वास्थ्य सेवाएं
- शिक्षा
- खाद्य सुरक्षा
- वित्तीय समावेशन (Financial inclusion)
- रोजगार सृजन
सोशल बॉण्ड उन सामाजिक रूप से सजग निवेशकों को आकर्षित करते हैं जो वित्तीय प्रतिफल के साथ-साथ सामाजिक प्रभाव बनाने के इच्छुक होते हैं।
भारत में सोशल बॉण्ड और नाबार्ड:
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) भारत में सोशल बॉण्ड का अग्रणी जारीकर्ता है। 2023 में, नाबार्ड ने सोशल बॉण्ड के माध्यम से 1000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए। भारत में सामाजिक प्रभाव वाले निवेश के क्षेत्र का लगातार विस्तार हो रहा है।
IFC, भारत, और संधारणीय निवेश:
IFC भारत में संधारणीय विकास को बढ़ावा देने के लिए एक सक्रिय भागीदार है। IFC भारतीय व्यवसायों के लिए ग्रीन बॉण्ड जारी करने को प्रोत्साहित करता है और देश में संधारणीय निवेश और बुनियादी ढांचे के निर्माण में भी निवेश करता है। इसके अतिरिक्त, IFC भारतीय बैंकों और वित्तीय संस्थानों को ग्रीन एवं सामाजिक परियोजनाओं में और निवेश करने हेतु परामर्श भी प्रदान करती है।
ग्रीन बॉण्ड्स और सोशल बॉण्ड्स ऐसे वित्तीय साधन हैं जो निवेशकों को आकर्षक प्रतिलाभ (returns) के साथ-साथ पर्यावरण तथा समाज पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ने का अवसर प्रदान करते हैं। IFC की रिपोर्ट इस बात को रेखांकित करती है कि ‘ग्रीन’ और ‘सोशल’ बॉण्ड्स सिर्फ़ वित्तीय उपकरण ही नहीं बल्कि पर्यावरण एवं सामाजिक बदलाव के शक्तिशाली प्रेरक हैं। यह रिपोर्ट निवेशकों, सरकारों, व्यवसायों, और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों को सकारात्मक बदलाव के इस क्षेत्र में योगदान देने के लिए प्रेरित करती है।
- जलवायु परिवर्तन का सामना: ग्रीन बॉण्ड्स स्वच्छ ऊर्जा के विकास, हरित इमारतों के निर्माण, प्रदूषण नियंत्रण प्रणालियों, और अन्य संधारणीय परियोजनाओं में निवेश के लिए प्रोत्साहन देते हैं।
- सामाजिक विकास: सोशल बॉण्ड्स स्वास्थ्य देखभाल, किफायती आवास, रोजगार, शिक्षा, लैंगिक समानता, और आर्थिक सशक्तीकरण को समर्थन देने वाली परियोजनाओं में निवेश की ओर बढ़ते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC): एक परिचय
मुख्यालय: वाशिंगटन, डीसी (संयुक्त राज्य अमेरिका) स्थापना: 1956 सदस्यता: विश्व बैंक समूह कार्यक्षेत्र: विकासशील देशों में निजी क्षेत्र पर केंद्रित
IFC के बारे में:
- अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) विश्व बैंक समूह का एक सदस्य है जो विकासशील देशों में निजी क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देता है।
- IFC 1956 में स्थापित किया गया था और यह विकासशील देशों में निजी क्षेत्र पर केंद्रित सबसे बड़ा वैश्विक विकास संस्थान है।
- IFC निवेश, सलाहकार सेवाओं और परिसंपत्ति प्रबंधन सेवाओं के माध्यम से विकासशील देशों में निजी क्षेत्र के विकास का समर्थन करता है।
- IFC का उद्देश्य विकासशील देशों में गरीबी को कम करना और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
निष्कर्ष:
अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम की “ग्रीन एंड सोशल बॉण्ड इम्पैक्ट रिपोर्ट, 2023” विकासशलशील देशों की सहायता करने और साथ ही वैश्विक स्तर पर संधारणीय वित्त को प्रोत्साहित करने में IFC की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है। ग्रीन बॉण्ड और सोशल बॉण्ड का जारी करना बताता है कि कैसे वित्तीय संस्थान पर्यावरणीय और सामाजिक चुनौतियों का समाधान करते हुए मुनाफ़ा भी कमा सकते हैं। भारत जैसे देशों के लिए यह मॉडल विशेष रूप से प्रासंगिक है, जो तेज़ी से विकास के साथ संधारणीय भविष्य को भी सुनिश्चित करना चाहते हैं।
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