रक्षा प्रणालियों में खुद को सक्षम बनाने की दिशा में भारत लगातार कदम बढ़ा रहा है। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने हाल ही में एक स्वदेशी प्रौद्योगिकी आधारित क्रूज मिसाइल (ITCM) का सफल परीक्षण किया। यह उल्लेखनीय परीक्षण 18 अप्रैल, 2024 को देश के पूर्वी तट पर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR), चांदीपुर (ओडिशा) में किया गया। इस स्वदेशी क्रूज मिसाइल का विकास भारत की रक्षा प्रौद्योगिकी में एक सफल अध्याय जोड़ता है।आईए, इस मिसाइल की विशेषताओं, सामरिक महत्व, और भारत द्वारा अपने पूर्वी तट से मिसाइल परीक्षणों एवं उपग्रह प्रक्षेपण के पीछे के कारणों को विस्तार से समझते हैं।
स्वदेशी क्रूज मिसाइल ITCM: तकनीक और विशेषताएं
- देशी तकनीक का कमाल: स्वदेशी प्रौद्योगिकी आधारित क्रूज मिसाइल (ITCM) की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसे डीआरडीओ के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (ADE) द्वारा स्वदेशी तकनीकों का उपयोग करते हुए विकसित किया गया है। यह भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के बढ़ते कदम को प्रदर्शित करता है।
- लंबी दूरी तक अचूक हमला: यह मिसाइल दुश्मन के ठिकानों पर लंबी दूरी तक अचूक और घातक हमले करने में सक्षम है। इसकी यह खूबी इसे विशेष रूप से प्रभावी बनाती है।
- सबसोनिक क्षमता:यह मिसाइल ध्वनि से कम गति (लगभग 0.8 मैक) पर उड़ान भरती है, इसलिए इसे सबसोनिक क्रूज मिसाइल कहा जाता है।
- मानव रहित: क्रूज मिसाइलें मानव रहित होती हैं यानी इन्हें उड़ाने के लिए किसी पायलट की जरूरत नहीं होती। एक कंप्यूटर सिस्टम, पूर्व निर्धारित लक्ष्य की ओर पूरी सटीकता के साथ इन्हें नियंत्रित करता है।
- भूमि के निकट उड़ान: क्रूज मिसाइलें अपनी उड़ान के दौरान जमीन से कुछ मीटर की ऊंचाई पर रहती हैं, जिससे रडार इनका आसानी से पता नहीं लगा पाते।
स्वदेशी क्रूज मिसाइलों का सामरिक महत्व:
स्वदेशी रूप से विकसित क्रूज मिसाइलें कई कारणों से भारत की रक्षा क्षमताओं के लिए महत्वपूर्ण हैं। यहाँ जानिए कैसे:
- दुश्मनों पर बढ़त: इस तरह की उन्नत मिसाइल प्रणालियों के विकास से भारत अपने शत्रुओं के प्रति आक्रामक क्षमता में बढ़ोतरी करता है, जिससे दुश्मन सीधी कार्रवाई से पहले कई बार सोचने पर विवश होंगे।
- आत्मरक्षा में सुधार: यह मिसाइल आवश्यकता पड़ने पर भारत की आत्मरक्षा को मजबूत करेगी और देश की सीमाओं की सुरक्षा में महत्वपूर्ण साबित होगी। इससे विरोधी भारत पर सीधे प्रहार का जोखिम कम लेंगे।
- रक्षा आयात पर निर्भरता में होगी कमी: स्वदेशी प्रौद्योगिकी पर आधारित होने के कारण, ITCM जैसे मिसाइल सिस्टम रक्षा उपकरणों के आयात पर भारत की निर्भरता को कम करने में मदद करेंगे। यह भारत के खजाने को बचाने में अहम होगा।
- भविष्य में हथियार निर्यातक के रूप में भारत: डीआरडीओ की सफलता भारत के लिए भविष्य के पथ को प्रशस्त करती है। इससे ना केवल तकनीकी क्षमताएं बढ़ेंगी बल्कि भारत को रक्षा उपकरणों के सशक्त निर्यातक के रूप में भी स्थापित किया जा सकेगा।
भारत के पूर्वी तट पर मिसाइल परीक्षण व उपग्रह प्रक्षेपण का वैज्ञानिक तर्क:
क्या आप जानते हैं कि भारत अपने अधिकांश मिसाइल परीक्षण तथा उपग्रहों का प्रक्षेपण अपने पूर्वी तट से ही क्यों करता है? आइए, जानते हैं इसके पीछे के वैज्ञानिक कारण:
- भूमध्य रेखा से निकटता का लाभ: पृथ्वी का घूर्णन पश्चिम से पूरब की ओर होता है, और भूमध्य रेखा के निकट यह गति अपेक्षाकृत तेज रहती है। पूर्वी तट से लॉन्च होने पर, उपग्रह या मिसाइलों को अतिरिक्त वेग मिलता है, जिससे उन्हें अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने का कार्य काफी आसान हो जाता है।
- रॉकेट ईंधन की लागत में बचत: पृथ्वी के प्राकृतिक घूर्णन का लाभ उठाने से रॉकेट ईंधन की बचत होती है और उपग्रह प्रक्षेपण की लागत में कमी आती है। यह भारत के सीमित संसाधनों के किफायती इस्तेमाल को भी सुनिश्चित करता है।
- लॉन्च की सुरक्षा: मिसाइल या उपग्रह के तकनीकी खराबी से विफल होने की स्थिति में, बंगाल की खाड़ी एक सुरक्षित ‘फॉल ज़ोन’ की तरह काम करती है। यह सुनिश्चित करता है कि मलबा रिहायशी इलाकों में गिरने के बजाय खुले समुद्र में ही नष्ट हो जाए।
- अंतर्राष्ट्रीय वायु व समुद्री मार्गों में कम व्यवधान: इस क्षेत्र में प्रमुख अंतरराष्ट्रीय नौवहन या हवाई मार्ग नहीं हैं, जिससे परीक्षण आसानी से किए जा सकते हैं। यदि फिर भी जरूरत होती है, तो परीक्षण से पहले कुछ समय के लिए समुद्री या हवाई मार्गों को अस्थायी रूप से बंद किया जा सकता है, कम से कम व्यवधान सुनिश्चित करते हुए।
वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (ADE):
भारत के स्वदेशी रक्षा अनुसंधान में वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (ADE) एक महत्वपूर्ण केंद्र है। आइए, इसकी विशेषताओं और उपलब्धियों को भी समझें:
- स्थिति: बेंगलुरु
- विशेषज्ञता: एयरोनॉटिकल सिस्टम का डिजाइन और विकास। यह भारत के अत्याधुनिक मानवरहित हवाई वाहनों (UAVs) और वैमानिकी प्रणालियों के विकास में अग्रणी संस्थान है।
- प्रमुख उपलब्धियां:
- अभ्यास (हाई-स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट): प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए एक विशेष मिसाइल
- रुस्तम-1: भारत का पहला मानवरहित विमान जो पारंपरिक रूप से टेक-ऑफ और लैंडिंग कर सकता है।
- अत्याधुनिक जड़त्वीय (inertial) और उपग्रह नेविगेशन सिस्टम सेंसर का निर्माण, जो UAV की उड़ान नियंत्रण व मार्गदर्शन में महत्वपूर्ण हैं।
निष्कर्ष:
ITCM का सफलतापूर्वक परीक्षण भारत की रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता के संकल्प को दर्शाता है। यह राष्ट्र को एक मजबूत और सक्षम सैन्य शक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। डीआरडीओ की नवीनता सेना को दुश्मनों से निपटने के लिए आधुनिक हथियार दे रही है और भविष्य में ऐसे और भी उन्नत स्वदेशी सिस्टम भारतीय सशस्त्र बलों की सेवा में होंगे।