Delhi High Court grants protection to the personality rights of renowned Bollywood actor Jackie Shroff; दिल्ली हाई कोर्ट ने एक प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेता जैकी श्रॉफ के व्यक्तित्व अधिकार (Personality Rights) को सुरक्षा प्रदान की:

हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेता जैकी श्रॉफ के व्यक्तित्व अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक अंतरिम आदेश जारी किया है। इस आदेश में विभिन्न संस्थाओं (जैसे ई-कॉमर्स स्टोर, AI चैटबॉट्स आदि) को अभिनेता की सहमति के बिना उनके नाम, छवि, आवाज और समरूपता का दुरुपयोग करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है। इस लेख में, हम व्यक्तित्व अधिकार के महत्व, इस फैसले के प्रभाव और इससे संबंधित कानूनी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

Table Of Contents
  1. व्यक्तित्व अधिकार के बारे में:
  2. मरणोपरांत व्यक्तित्व अधिकार:
  3. व्यक्तित्व अधिकार के संबंध में महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय:
  4. दिल्ली हाई कोर्ट का जैकी श्रॉफ के मामले में निर्णय:
  5. निष्कर्ष:
  6. FAQs

व्यक्तित्व अधिकार के बारे में:

व्यक्तित्व अधिकार (Personality Rights) नाम, आवाज, हस्ताक्षर, छवियों या जनता द्वारा आसानी से पहचानी जाने वाली किसी अन्य विशेषता को व्यक्त करते हैं, जो किसी सेलिब्रिटी आदि के व्यक्तित्व का प्रतीक हैं। देश के किसी भी कानून में व्यक्तित्व अधिकार या उसके संरक्षण का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया गया है। हालांकि, निजता के अधिकार और संपत्ति के अधिकार में इसके तत्व विद्यमान हैं।

व्यक्तित्व अधिकार के प्रकार:

भारत में “व्यक्तित्व अधिकार” में निम्नलिखित दो प्रकार के अधिकार शामिल हैं:

पब्लिसिटी का अधिकार (Right of Publicity): यह किसी व्यक्ति की छवि एवं अन्य विशेषताओं को बिना उसकी अनुमति या संविदात्मक मुआवजे के भुगतान के बिना व्यावसायिक रूप से दुरुपयोग होने से बचाने के अधिकार से संबंधित है। यह ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 और कॉपीराइट अधिनियम, 1957 जैसे कानूनों द्वारा शासित होता है।

निजता का अधिकार (Right to Privacy): इसमें किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व को बिना उसकी अनुमति के सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित न करने का अधिकार शामिल है। निजता का अधिकार मोटे तौर पर संविधान के अनुच्छेद 21 और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) के. एस. पुट्टास्वामी मामले (2018) में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के तहत शासित होता है।

मरणोपरांत व्यक्तित्व अधिकार:

व्यक्तित्व अधिकार केवल जीवित व्यक्तियों तक सीमित नहीं हैं। भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत, यदि कोई व्यक्ति किसी मृतक या उसके परिवार की प्रतिष्ठा के खिलाफ नकारात्मक टिप्पणी करता है या अपमानजनक सामग्री प्रकाशित करता है, तो उस व्यक्ति पर मानहानि का मुकदमा दायर किया जा सकता है।

प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950

यह कानून इस अधिनियम की अनुसूची में सूचीबद्ध कुछ गणमान्य व्यक्तियों (पदों) के नामों और प्रतीकों के अनधिकृत उपयोग पर रोक लगाता है। यह कानून व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी उनके नाम और प्रतीकों के अनधिकृत उपयोग से बचाव करता है।

व्यक्तित्व अधिकार के संबंध में महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय:

ICC डेवलपमेंट (इंटरनेशनल) लिमिटेड बनाम अरवी एंटरप्राइजेज, 2003 (दिल्ली हाई कोर्ट)

इस मामले में, दिल्ली हाई कोर्ट ने निर्णय दिया कि व्यक्तियों का पब्लिसिटी अधिकार छीनने का कोई भी प्रयास संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 का उल्लंघन होगा। यह निर्णय व्यक्तित्व अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

अरुण जेटली बनाम नेटवर्क सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड और अन्य मामला, 2011 (दिल्ली हाई कोर्ट)

इस मामले में अदालत ने निर्णय दिया कि वास्तविक दुनिया में किसी व्यक्ति की लोकप्रियता या प्रसिद्धि इंटरनेट की दुनिया पर भी लागू होती है; अर्थात, कोई व्यक्ति वास्तविक दुनिया में प्रसिद्ध है तो कोई अन्य व्यक्ति उस प्रसिद्ध व्यक्ति के नाम से अलग वेबसाइट बनाकर उसका लाभ नहीं उठा सकता।

दीपा जयकुमार बनाम ए.एल. विजय, 2019 (मद्रास हाई कोर्ट)

इस मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने निर्णय दिया कि किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व, पब्लिसिटी और निजता के अधिकार उसकी मृत्यु के बाद उसके कानूनी उत्तराधिकारी को विरासत में नहीं मिल सकते हैं।

दिल्ली हाई कोर्ट का जैकी श्रॉफ के मामले में निर्णय:

दिल्ली हाई कोर्ट ने जैकी श्रॉफ के व्यक्तित्व अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। इस आदेश में कहा गया है कि कोई भी संस्था या व्यक्ति जैकी श्रॉफ की सहमति के बिना उनके नाम, छवि, आवाज या समरूपता का उपयोग नहीं कर सकता। इस आदेश का उद्देश्य उनके व्यक्तित्व अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

इस फैसले का महत्व:

यह निर्णय व्यक्तित्व अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह फैसला न केवल जैकी श्रॉफ जैसे सेलिब्रिटी और प्रसिद्ध व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि उनका नाम, छवि और आवाज उनकी सहमति के बिना व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए उपयोग नहीं की जा सकती। इससे उन सभी संस्थाओं और व्यक्तियों को एक स्पष्ट संदेश जाता है जो बिना अनुमति के किसी के व्यक्तित्व का दुरुपयोग करते हैं।

निष्कर्ष:

दिल्ली हाई कोर्ट का यह निर्णय व्यक्तित्व अधिकारों की सुरक्षा के महत्व को दर्शाता है। व्यक्तित्व अधिकार व्यक्तिगत पहचान और गरिमा को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस फैसले से व्यक्ति के निजता और पब्लिसिटी अधिकारों की सुरक्षा होती है, जो एक लोकतांत्रिक समाज के महत्वपूर्ण पहलू हैं।

व्यक्तित्व अधिकारों का संरक्षण न केवल कानूनी दृष्टिकोण से बल्कि नैतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। ऐसे फैसलों से यह सुनिश्चित होता है कि व्यक्तियों के अधिकारों का सम्मान किया जाए और उनका दुरुपयोग न हो। जैकी श्रॉफ के मामले में लिया गया यह निर्णय न केवल उनके अधिकारों की सुरक्षा करता है बल्कि भविष्य में अन्य व्यक्तियों के लिए भी एक मिसाल कायम करता है।

FAQs

व्यक्तित्व अधिकार क्या हैं?

व्यक्तित्व अधिकार वे अधिकार हैं जो किसी व्यक्ति के नाम, छवि, आवाज, हस्ताक्षर और जनता द्वारा पहचाने जाने वाली अन्य विशेषताओं की सुरक्षा करते हैं।

दिल्ली हाई कोर्ट ने जैकी श्रॉफ के मामले में क्या निर्णय लिया है?

दिल्ली हाई कोर्ट ने विभिन्न संस्थाओं को जैकी श्रॉफ की सहमति के बिना उनके नाम, छवि, आवाज और समरूपता का दुरुपयोग करने से प्रतिबंधित कर दिया है।

व्यक्तित्व अधिकारों का संरक्षण क्यों महत्वपूर्ण है?

व्यक्तित्व अधिकारों का संरक्षण व्यक्तिगत पहचान और गरिमा को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करता है कि किसी व्यक्ति की पहचान का दुरुपयोग नहीं हो।

पब्लिसिटी और निजता के अधिकार में क्या अंतर है?

पब्लिसिटी का अधिकार व्यक्ति की छवि और विशेषताओं के व्यावसायिक उपयोग को नियंत्रित करता है, जबकि निजता का अधिकार व्यक्ति की पहचान को बिना उसकी अनुमति के सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित नहीं करने से संबंधित है।

व्यक्तित्व अधिकारों के संबंध में भारत में कौन से महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय हुए हैं?

कुछ महत्वपूर्ण निर्णयों में ICC डेवलपमेंट बनाम अरवी एंटरप्राइजेज (2003), अरुण जेटली बनाम नेटवर्क सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड (2011), और दीपा जयकुमार बनाम ए.एल. विजय (2019) शामिल हैं।

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