Aditya-L1’s SUIT and VELC Payloads Capture Spectacular Solar Images; आदित्य-L1 के SUIT और VELC पेलोड्स ने ली सूर्य की शानदार तस्वीरें:

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने हाल ही में आदित्य-L1 अंतरिक्ष यान के पेलोड्स द्वारा ली गई सूर्य की शानदार तस्वीरें जारी की हैं। यह मिशन भारत का पहला अंतरिक्ष मिशन है जो सूर्य का पर्यवेक्षण करता है। इन तस्वीरों को दो रिमोट सेंसिंग पेलोड्स – सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT) और विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) द्वारा लिया गया है। इन तस्वीरों का वैज्ञानिक महत्व अत्यधिक है और ये सूर्य के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करेंगी।

सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT) के बारे में:

सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT) का उद्देश्य निकट पराबैंगनी (UV) रेंज में सोलर फोटोस्फीयर और क्रोमोस्फीयर की तस्वीरें लेना है। यह टेलीस्कोप निकट UV रेंज में सौर विकिरण की भिन्नताओं को मापने का काम करता है। SUIT के माध्यम से वैज्ञानिक सौर विकिरण की विविधताओं का अध्ययन कर सकते हैं, जो सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम को समझने में मददगार हो सकता है। इस पेलोड की तस्वीरें सोलर फ्लेयर्स, ऊर्जा वितरण और सन स्पॉट्स का अध्ययन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) के बारे में:

विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) का मुख्य कार्य सौर कोरोना और कोरोनल मास इजेक्शन (CME) की प्रक्रिया का अध्ययन करना है। VELC से ली गई तस्वीरें वैज्ञानिकों को सौर फ्लेयर्स, ऊर्जा वितरण और सन स्पॉट्स का गहन अध्ययन करने में मदद करेंगी। साथ ही, यह उपकरण अलग-अलग तरंगदैर्ध्य में सौर गतिविधियों और अल्ट्रावायलेट विकिरण की निगरानी भी करता है।

आदित्य L-1 के बारे में:

आदित्य L-1 भारत का पहला अंतरिक्ष मिशन है जो सूर्य का पर्यवेक्षण करने के लिए लैग्रेंजियन पॉइंट 1 (L1) के चारों ओर ‘प्रभामंडल कक्षा (Halo Orbit)’ से संचालित होता है। इसे 2023 में लॉन्च किया गया था। L1 बिंदु पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन कि.मी. दूर है। इस मिशन को पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) XL (PSLV-C57) से 7 पेलोड्स के साथ लॉन्च किया गया था। आदित्य L-1 मिशन से प्राप्त डेटा कोरोनल हीटिंग और सौर पवनों के त्वरण को समझने में मदद करेगा।

आदित्य L1 का महत्व:

  1. कोरोनल हीटिंग और सौर पवनों के त्वरण को समझने में मदद: आदित्य L-1 मिशन से प्राप्त डेटा कोरोनल हीटिंग और सौर पवनों के त्वरण को समझने में मदद करेगा।
  2. कणों और प्लाज्मा परिवेश का पर्यवेक्षण: यह मिशन सूर्य से निकलने वाले कणों की गतिकी का अध्ययन करने के लिए डेटा प्रदान करेगा।
  3. अंतरिक्ष के मौसम का अध्ययन: आदित्य L-1 अंतरिक्ष के मौसम को समझने और पूर्वानुमान लगाने में मदद करेगा।

विश्व के अन्य सौर मिशन:

  • नासा का पार्कर सोलर प्रोब मिशन सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करने और सौर हवा (Solar Wind) के त्वरण की प्रक्रिया को समझने के लिए डिजाइन किया गया है। यह मिशन सूर्य के ऊपरी वातावरण, जिसे कोरोना कहा जाता है, में प्रवेश करके डेटा एकत्र करता है। इस मिशन के मुख्य उद्देश्य हैं:
    • ऊर्जा के प्रवाह को ट्रेस करना जो सौर कोरोना और सौर हवा को गर्म और त्वरित करता है।
    • सौर हवा के स्रोतों पर प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्रों की संरचना और गतिकी को निर्धारित करना।
    • ऊर्जा कणों को त्वरित और परिवहन करने वाले तंत्रों का पता लगाना
  • यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की सोलर एंड हेलियोस्फेरिक ऑब्जर्वेटरी (SOHO): सोलर एंड हेलियोस्फेरिक ऑब्जर्वेटरी (SOHO) यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और नासा के बीच एक संयुक्त परियोजना है। इसे सूर्य के भीतरी कोर से लेकर बाहरी कोरोना और सौर हवा का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। SOHO का प्रमुख उद्देश्य सौर गतिविधियों और हेलियोस्फेरिक भौतिकी के विभिन्न पहलुओं को समझना है।
  • चीन का कुआफू-1 सोलर प्रोब: कुआफू-1, जिसे आधिकारिक रूप से एडवांस्ड स्पेस-बेस्ड सोलर ऑब्जर्वेटरी (ASO-S) के नाम से जाना जाता है, चीन का पहला व्यापक सौर प्रोब है। इस मिशन का उद्देश्य सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र, सौर फ्लेयर्स और कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) का अध्ययन करना है। यह मिशन 9 अक्टूबर, 2022 को लॉन्च किया गया था और यह पृथ्वी से लगभग 720 किलोमीटर ऊपर सन-सिंक्रोनस ऑर्बिट में स्थापित किया गया है।

लैग्रेंज पॉइंट (L1) के बारे में:

लैग्रेंज पॉइंट्स वे बिंदु होते हैं जहां दो विशाल द्रव्यमान वाले पिंडों का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव और किसी छोटे पिंड को उनके साथ-साथ घूमने के लिए आवश्यक अभिकेंद्रीय बल बराबर होते हैं। L1 बिंदु पर उपग्रह अपने नियत बिंदु पर बने रहते हैं और बिना किसी अवरोध या ग्रहण परिघटना के लगातार सूर्य का पर्यवेक्षण कर सकते हैं।

  1. स्थिरता: L1, L2 और L3 अस्थिर होते हैं जबकि L4 और L5 स्थिर होते हैं। हालाँकि, L1 और L2 इतने अस्थिर नहीं हैं कि किसी अंतरिक्ष यान को इनके पास स्थापित न किया जा सके।
  2. उपग्रह की स्थिति: L1 पर स्थापित उपग्रह बिना किसी अवरोध के लगातार सूर्य का पर्यवेक्षण कर सकता है।

निष्कर्ष:

आदित्य-L1 मिशन के द्वारा ली गई सूर्य की तस्वीरें वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। ये तस्वीरें सौर गतिविधियों, सोलर फ्लेयर्स और अंतरिक्ष मौसम को समझने में मदद करेंगी। इसरो का यह मिशन न केवल भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सौर विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देगा। इस प्रकार, आदित्य-L1 मिशन भविष्य के सौर मिशनों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा।

FAQs:

आदित्य-L1 मिशन क्या है?

आदित्य-L1 मिशन भारत का पहला अंतरिक्ष मिशन है जो सूर्य का पर्यवेक्षण करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह मिशन सूर्य और पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण प्रणाली के लैग्रेंजियन पॉइंट 1 (L1) के चारों ओर ‘प्रभामंडल कक्षा (Halo Orbit)’ से संचालित होता है।

SUIT (सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप) का कार्य क्या है?

SUIT का उद्देश्य निकट पराबैंगनी (UV) रेंज में सोलर फोटोस्फीयर और क्रोमोस्फीयर की तस्वीरें लेना और निकट UV रेंज में सौर विकिरण की भिन्नताओं को मापना है। यह उपकरण सोलर फ्लेयर्स, ऊर्जा वितरण और सन स्पॉट्स का अध्ययन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

VELC (विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ) का कार्य क्या है?

VELC का मुख्य कार्य सौर कोरोना और कोरोनल मास इजेक्शन (CME) की प्रक्रिया का अध्ययन करना है। यह उपकरण अलग-अलग तरंगदैर्ध्य में सौर गतिविधियों और अल्ट्रावायलेट विकिरण की निगरानी भी करता है।

लैग्रेंजियन पॉइंट (L1) क्या है?

लैग्रेंजियन पॉइंट्स वे बिंदु होते हैं जहां दो विशाल द्रव्यमान वाले पिंडों का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव और किसी छोटे पिंड को उनके साथ-साथ घूमने के लिए आवश्यक अभिकेंद्रीय बल बराबर होते हैं। L1 बिंदु पर उपग्रह अपने नियत बिंदु पर बने रहते हैं और बिना किसी अवरोध या ग्रहण परिघटना के लगातार सूर्य का पर्यवेक्षण कर सकते हैं।

विश्व के अन्य प्रमुख सौर मिशन कौन-कौन से हैं?

दुनिया के अन्य प्रमुख सौर मिशनों में नासा का पार्कर सोलर प्रोब, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की सोलर एंड हेलियोस्फेरिक ऑब्जर्वेटरी (SOHO), और चीन का कुआफू-1 सोलर प्रोब शामिल हैं।

पार्कर सोलर प्रोब मिशन का उद्देश्य क्या है?

नासा का पार्कर सोलर प्रोब मिशन सूर्य के बाहरी वातावरण, जिसे कोरोना कहा जाता है, का अध्ययन करने और सौर हवा (Solar Wind) के त्वरण की प्रक्रिया को समझने के लिए डिजाइन किया गया है। इसका उद्देश्य सौर कोरोना और सौर हवा को गर्म और त्वरित करने वाले ऊर्जा के प्रवाह को ट्रेस करना और सौर हवा के स्रोतों पर प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्रों की संरचना और गतिकी को निर्धारित करना है।

SOHO मिशन का उद्देश्य क्या है?

सोलर एंड हेलियोस्फेरिक ऑब्जर्वेटरी (SOHO) यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और नासा के बीच एक संयुक्त परियोजना है। इसका उद्देश्य सूर्य के भीतरी कोर से लेकर बाहरी कोरोना और सौर हवा का अध्ययन करना है। SOHO सौर गतिविधियों और हेलियोस्फेरिक भौतिकी के विभिन्न पहलुओं को समझने के लिए डिजाइन किया गया है।

चीन का कुआफू-1 सोलर प्रोब मिशन का उद्देश्य क्या है?

कुआफू-1, जिसे आधिकारिक रूप से एडवांस्ड स्पेस-बेस्ड सोलर ऑब्जर्वेटरी (ASO-S) के नाम से जाना जाता है, चीन का पहला व्यापक सौर प्रोब है। इसका उद्देश्य सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र, सौर फ्लेयर्स और कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) का अध्ययन करना है। यह मिशन 9 अक्टूबर, 2022 को लॉन्च किया गया था और यह पृथ्वी से लगभग 720 किलोमीटर ऊपर सन-सिंक्रोनस ऑर्बिट में स्थापित किया गया है।

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