AI Treaty Signed by Global Powers: Protecting Human Rights in the Digital Age; AI पर अंतर्राष्ट्रीय संधि: मानवाधिकार और लोकतंत्र के लिए एक नई दिशा

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते उपयोग के साथ, इसके संभावित खतरों को पहचानते हुए हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों ने AI पर पहली कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय संधि पर हस्ताक्षर किए। इस संधि का उद्देश्य AI के उपयोग से उत्पन्न मानवाधिकारों, लोकतंत्र और कानून के शासन पर खतरों को कम करना है, ताकि AI का जिम्मेदार और सुरक्षित रूप से उपयोग हो सके।

संधि का परिचय और उद्देश्य:

इस संधि का नाम है “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मानवाधिकार, लोकतंत्र और कानून के शासन पर फ्रेमवर्क कन्वेंशन“। यह संधि यूरोपीय परिषद द्वारा तैयार की गई है और इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि AI के विकास और उपयोग में मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन हो। इस संधि ने पहली बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर AI के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार किया है, जो इसके उपयोग में पारदर्शिता, जिम्मेदारी और नैतिकता की आवश्यकता पर बल देता है।

यूरोपीय संघ का AI अधिनियम:

यह संधि यूरोपीय संघ के AI अधिनियम से अलग है, जो अगस्त 2024 में लागू हुआ था। यह अधिनियम मुख्य रूप से AI से संबंधित गतिविधियों के लिए मानक और कानून स्थापित करने के लिए तैयार किया गया था, ताकि AI सिस्टम की लाइफ साइकिल में मानवाधिकारों और कानून के शासन का पालन किया जा सके। इस अधिनियम का प्रमुख उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि AI के उपयोग से उत्पन्न जोखिमों का सही तरीके से आकलन और प्रबंधन किया जा सके।

संधि के प्रमुख प्रावधान:

  1. जोखिम-आधारित दृष्टिकोण
    संधि में AI का उपयोग केवल तभी अनुमत है जब उससे कोई जोखिम न हो। यदि कोई AI प्रणाली मानवाधिकारों का उल्लंघन करती है या कानून के शासन को चुनौती देती है, तो उसे प्रतिबंधित किया जाएगा।
  2. सार्वजनिक और निजी क्षेत्र पर लागू
    यह संधि सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों पर लागू होगी। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी AI प्रणालियाँ मानवीय मूल्यों और कानूनों के अनुरूप हों।
  3. वैश्विक कानूनी विविधता का समायोजन
    इस संधि के तहत पक्षकारों को इस कन्वेंशन के अनुरूप या इसके विकल्प के रूप में निजी क्षेत्र को विनियमित करने का अधिकार दिया गया है, जिससे वे अपने कानूनी ढांचे के अनुकूल उपाय लागू कर सकें।
  4. राष्ट्रीय सुरक्षा और अनुसंधान पर छूट
    राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा, और अनुसंधान से जुड़े मामलों में यह संधि लागू नहीं होती है। इन क्षेत्रों में नवाचार और सुरक्षा के लिए छूट प्रदान की गई है।

AI का मानवाधिकार, लोकतंत्र और कानून के शासन पर प्रभाव:

  1. मानवाधिकारों पर प्रभाव
    AI तकनीक निजता का उल्लंघन कर सकती है। इसके कारण भेदभावपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं, जिससे मानवाधिकारों का हनन हो सकता है। खासकर, बायोमेट्रिक तकनीक जैसे चेहरे की पहचान का दुरुपयोग लोगों की निजता और स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है।
  2. लोकतंत्र पर प्रभाव
    AI के माध्यम से की जाने वाली बायोमेट्रिक निगरानी, जनता के विचारों और राजनीतिक विमर्श को प्रभावित कर सकती है। इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया बाधित हो सकती है, और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं।
  3. कानून के शासन पर प्रभाव
    AI प्रणालियों पर अमीर और शक्तिशाली वर्ग का ज्यादा नियंत्रण, डेवलपर्स का AI पर अधिक नियंत्रण, और नागरिकों की निगरानी जैसी गतिविधियां न्याय और कानून के सामने समानता को कमजोर करती हैं।

AI के वैश्विक विनियमन की दिशा में यह संधि क्यों महत्वपूर्ण है?

इस संधि का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर AI के लिए एक मानक स्थापित करना है, ताकि इसका उपयोग जिम्मेदारी से और मानवता की भलाई के लिए किया जा सके। यह तकनीकी नवाचार के बीच नैतिकता, पारदर्शिता और जिम्मेदारी को बढ़ावा देने में मददगार साबित होगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि AI प्रणाली का उपयोग मानवाधिकारों का उल्लंघन किए बिना, लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए हो।

निष्कर्ष:

AI तकनीक का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, और इस संधि ने यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है कि AI का उपयोग मानवता की भलाई के लिए हो। इससे मानवाधिकारों की रक्षा, लोकतंत्र की सुरक्षा, और कानून के शासन की स्थिरता सुनिश्चित हो सकेगी। AI के विकास में यह एक मील का पत्थर है, जो वैश्विक स्थिरता और सुरक्षा के लिए आवश्यक है।

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