Analysis of the Relationship between Urban Heat Islands and Pollutants; शहरी ऊष्मा द्वीप और प्रदूषकों के बीच संबंध: एक अध्ययन का विश्लेषण:

शहरी क्षेत्र तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे पर्यावरणीय चिंताएँ बढ़ रही हैं। शहरी ऊष्मा द्वीप (Urban Heat Island – UHI) प्रभाव इन्हीं चिंताओं में से एक है, जो विशेष रूप से भारत जैसे गर्म जलवायु वाले देशों के लिए एक गंभीर समस्या है। UHI एक ऐसी घटना है जहां शहर, आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में काफी उच्च तापमान का अनुभव करते हैं। यह प्रभाव मानव स्वास्थ्य, ऊर्जा खपत और समग्र पर्यावरणीय गुणवत्ता के लिए गंभीर नतीजों के साथ, शहरों को रहने के लिए कम आरामदायक बना सकता है।

एक हालिया अध्ययन, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT), त्रिची द्वारा किया गया, शहरी ऊष्मा द्वीपों की तीव्रता और शहरों में वायु प्रदूषण के बीच के संबंध को उजागर करता है।

शहरी ऊष्मा द्वीप (UHI) क्या है?

अर्बन हीट आइलैंड (UHI) एक विशेष घटना है जहां शहरी क्षेत्र में तापमान आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में काफी अधिक हो जाता है। तापमान में यह अंतर कुछ शहरों में 5°C से 10°C तक पहुँच सकता है, विशेष रूप से शुष्क क्षेत्रों में और गर्मी के महीनों के दौरान। UHI प्रभाव हीट वेव्स की तीव्रता को बढ़ा सकता है, जिससे विभिन्न पर्यावरणीय और स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होने का खतरा रहता है।

शहरी ऊष्मा द्वीप में प्रदूषकों की भूमिका:

वायु प्रदूषण और शहरी ऊष्मा द्वीप दो अलग-अलग लेकिन आपस में जुड़ी हुई पर्यावरणीय समस्याएं हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT), त्रिची के एक हालिया अध्ययन में, UHI घटना और विभिन्न प्रदूषकों के बीच संबंध पर प्रकाश डाला गया है।

  • अध्ययन के मुख्य अंश: इस अध्ययन ने प्रदूषकों और शहरी ऊष्मीय द्वीप प्रभाव के बीच एक मजबूत सकारात्मक संबंध प्रदर्शित किया। इसमें पाया गया कि शहरी क्षेत्र ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में प्रदूषकों की काफी अधिक सांद्रता (concentration) प्रदर्शित करते हैं।
  • प्रमुख प्रदूषक: एरोसोल, कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), और ओजोन (O3) ऐसे प्रदूषक हैं जो UHI प्रभाव को सीधे प्रभावित करते हैं। हैदराबाद शहर के उच्च तापमान वाले क्षेत्रों में CO, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, O3, फॉर्मेल्डिहाइड (HCHO), एरोसोल और सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) जैसे प्रदूषकों की अधिक मात्रा दर्ज की गई।

शहरी ऊष्मा द्वीप के कारण:

शहरीकरण के परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाले कई कारक शहरी ऊष्मा द्वीप के निर्माण के लिए उत्तरदायी हैं। इनमें शामिल है:

  • प्राकृतिक सतहों का अभाव: शहरों में पेड़, पौधे, जल निकाय, मिट्टी जैसे प्राकृतिक तत्वों का स्थान कंक्रीट, डामर, और अन्य निर्माण सामग्री ने ले लिया है। ये कृत्रिम सतहें सूर्य की किरणों को अधिक मात्रा में सोखती हैं और धीरे-धीरे छोड़ती हैं जिससे परिवेश का तापमान बढ़ जाता है।
  • शहरी संरचना: ऊंची इमारतों और संकरी गलियों के कारण शहरों में हवा का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है और ऊष्मा (गर्मी) उनमें फंसकर रह जाती है। इसके अलावा, घनी संरचनाएं बहुत अधिक सतह क्षेत्र बनाते हैं जो गर्मी को सोखकर वातावरण में छोड़ता है।
  • मानवजनित गतिविधियाँ: वाहनों, उद्योगों, एयर कंडीशनरों और अन्य मानव निर्मित उपकरणों से निकलने वाली ऊष्मा शहरी तापमान को और बढ़ा देती है।
  • एल्बिडो में कमी: एल्बिडो किसी सतह द्वारा परावर्तित होने वाले सौर विकिरण का अंश होता है। शहरी क्षेत्रों में गहरे रंग की सतहें (कम एल्बिडो) अधिक सौर विकिरण अवशोषित करती हैं, जिससे आसपास का तापमान बढ़ जाता है।

शहरी ऊष्मा द्वीप (UHI) के प्रभाव:

शहरी ऊष्मा द्वीपों के पर्यावरण, स्वास्थ्य और आर्थिक परिणाम हो सकते हैं। इनमें शामिल है:

  • ऊर्जा की खपत में वृद्धि: गर्म मौसम के कारण एयर कंडीशनिंग पर निर्भरता बढ़ने से ऊर्जा की खपत में वृद्धि होती है। यह न केवल बिजली के बिलों में वृद्धि करता है, बल्कि जीवाश्म ईंधन के अधिक उपयोग से अधिक प्रदूषण भी करता है।
  • स्वास्थ्य जोखिम: लंबे समय तक अत्यधिक गर्मी के संपर्क में रहने से हीट स्ट्रोक, सांस की बीमारियां, थकावट आदि स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। यूएचआई प्रभाव गर्मी से संबंधित मृत्यु दर को भी बढ़ा सकता है, विशेष रूप से शहरों में बुजुर्गों, बच्चों और बीमार व्यक्तियों के लिए।
  • वायु प्रदूषण में वृद्धि: उच्च तापमान कुछ वायु प्रदूषकों जैसे कि ओजोन के निर्माण में वृद्धि करता है। इससे शहरी क्षेत्रों में और भी ज्यादा प्रदूषित हवा हो जाती है, जिससे श्वसन संबंधी समस्याएं, हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य परेशानियां हो सकती हैं।
  • जीवन की गुणवत्ता में कमी: अत्यधिक गर्मी शारीरिक गतिविधियों को कठिन और असुविधाजनक बना सकती है, इससे लोगों का घर से बाहर निकलना कम हो जाता है। UHI प्रभाव मानसिक स्वास्थ्य को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।
  • जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: शहरी ऊष्मा द्वीप वैश्विक तापमान में वृद्धि में योगदान करके जलवायु परिवर्तन का प्रभाव बढ़ा सकते हैं।

शहरी ऊष्मा द्वीप को कम करने के उपाय:

शहरी ऊष्मा द्वीप (UHI) प्रभाव को कम करने के लिए विभिन्न रणनीतियाँ नियोजित की जा सकती हैं:

  • शहरी हरियाली बढ़ाना: पेड़ और पार्क छाया प्रदान करते हैं, और वाष्पीकरण शीतलन (evaporative cooling) के माध्यम से तापमान को कम करते हैं। शहरी इलाकों में पेड़-पौधे लगाने को बढ़ावा देना चाहिए।
  • ग्रीन रूफ और कूल मटेरियल्स: छतों पर गार्डन (ग्रीन रूफ) और ऊर्ध्वाधर उद्यान (वर्टिकल गार्डन) इमारतों की सतह को प्राकृतिक आवरण से ढकने में मदद करते हैं। उच्च परावर्तन क्षमता (high albedo) वाले कूल मटेरियल्स जैसे हल्के रंग की पेंट और चिंतनशील सतहें (reflective surfaces) सौर विकिरण अवशोषण कम कर शहरों को ठंडा रखने में मदद करती हैं।
  • शहरी नियोजन में परिवर्तन: चौड़ी सड़कें, खुले सार्वजनिक स्थान, पर्याप्त वेंटिलेशन के साथ भवन-निर्माण, वायु संचार को बढ़ावा देकर UHI प्रभाव को कम करता है।
  • टिकाऊ परिवहन: सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को प्रोत्साहित करना, साइकिलिंग को बढ़ावा देना, और पैदल चलने के लिए अनुकूल बुनियादी ढांचे का निर्माण करना वाहनों से होने वाले प्रदूषण और गर्मी पैदा करने में कमी लाएगा।
  • नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना: सौर ऊर्जा और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाना जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करता है और यूएचआई के लिए उत्तरदायी उत्सर्जन को कम करता है।
  • ऊर्जा के कुशल उपयोग को बढ़ावा देना: ऊर्जा की खपत को कम करने के लिए ऊर्जा-कुशल उपकरणों और प्रथाओं को प्रोत्साहित करने से यूएचआई प्रभाव में योगदान करने वाले कारकों को कम किया जा सकता है।
  • जागरूकता अभियान: शहरी ऊष्मा द्वीप से होने वाले प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने से व्यक्तियों, व्यवस्थानों और सरकार के स्तर पर सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा।

निष्कर्ष:

UHI प्रभाव एक गंभीर मुद्दा है जिसके लिए तत्काल समाधान की आवश्यकता है। शहरों को अधिक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए नीति निर्माताओं, शहरी नियोजकों और नागरिकों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। हरित पहल, ऊर्जा-कुशल प्रथाओं और टिकाऊ परिवहन विकल्पों को अपनाकर, हम UHI प्रभाव को कम कर सकते हैं और हमारे शहरों को रहने के लिए अधिक स्वस्थ और सुखद जगह बना सकते हैं।

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