“Arunachal Pradesh will always remain a part of India; Strong reaction from Indian Foreign Minister on China’s actions; अरुणाचल प्रदेश हमेशा भारत का हिस्सा रहेगा; चीन के कृत्यों पर भारतीय विदेश मंत्री की कड़ी प्रतिक्रिया:

चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में 30 स्थानों का नाम बदलने की एकतरफा कार्रवाई के बाद, भारत के विदेश मंत्री ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग था, है और हमेशा रहेगा। चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश को “दक्षिण तिब्बत” कहकर इस क्षेत्र पर अपना दावा करना ऐतिहासिक तथ्यों को विकृत करने वाला और एक राजनीतिक हथकंडा है।

भारत-चीन के बीच जटिल सीमा विवाद का इतिहास:

भारत और चीन के बीच की सीमा को नियंत्रित करने वाली सबसे महत्वपूर्ण रेखा है ‘वास्तविक नियंत्रण रेखा’ या LAC। यह दोनों देशों के बीच एक अस्थायी विभाजन रेखा है, जो किसी औपचारिक संधि से परिभाषित नहीं है। यहां तक कि दोनों देश LAC की लंबाई पर भी एकमत नहीं हैं। भारत के अनुसार यह 3,488 किलोमीटर लंबी है, जबकि चीन इसे केवल 2,000 किलोमीटर मानता है।

इस सीमा विवाद को तीन बड़े सेक्टर्स में बांटा जा सकता है:

  • वेस्टर्न सेक्टर (लद्दाख): इस क्षेत्र में भारत 1865 में तय की गई जॉनसन लाइन को सीमा मानता है। दूसरी ओर, चीन इसे अस्वीकार करता है और 1893 में एकतरफा तौर पर घोषित मैकडॉनल्ड लाइन को वास्तविक सीमा मानने पर जोर देता है।
  • मिडिल सेक्टर (हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड): यह क्षेत्र तुलनात्मक रूप से कम विवादित है, हालांकि यहां भी कुछ सीमावर्ती गांवों पर दोनों देश अपनी-अपनी दावेदारी पेश करते हैं।
  • ईस्टर्न सेक्टर (अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम): यही वह क्षेत्र है, जहां विवाद अपने सबसे जटिल रूप में है। चीन अरुणाचल प्रदेश को तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र का हिस्सा मानता है और इस पर अपना दावा करता है। यहां की LAC का आधार 1914 के शिमला सम्मेलन के दौरान तय की गई मैकमोहन रेखा है। इस सम्मेलन में ब्रिटिश भारत, चीन और तिब्बत शामिल हुए थे।

1949: स्थिति में तब्दीली और चीन का नया रुख

1949 में जब चीन में कम्युनिस्ट सरकार आई, तो उसने पूर्व की सरकारों के साथ किए गए कई अंतरराष्ट्रीय समझौतों को “असमान” और “भेदभावपूर्ण” बताते हुए उन्हें मानने से इनकार कर दिया। अरुणाचल प्रदेश से संबंधित समझौते भी इस इनकार का हिस्सा बन गए। चीन तिब्बत पर अपना नियंत्रण स्थापित करने के बाद से अरुणाचल प्रदेश पर दावा करने लगा है।

भारत-चीन विवाद: मुख्य बातचीत और शांति प्रयास

समय के साथ विवाद सुलझाने की दिशा में भारत और चीन के बीच कई कूटनीतिक प्रयास हुए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख बातचीत के दौर इस प्रकार हैं:

  • 1993: LAC पर शांति और स्थिरता के रखरखाव पर समझौता।
  • 1996: LAC पर सैन्य क्षेत्र में विश्वास-निर्माण उपायों पर समझौता।
  • 2013: सीमा रक्षा सहयोग समझौता।

इन समझौतों के बावजूद, वास्तविक ज़मीनी स्थिति में कोई बड़ा सुधार नहीं देखा गया है। हाल के वर्षों में कुछ गतिरोध हुए हैं, जिसमें 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प भी शामिल है, जिसने राजनीतिक एवं सैन्य तनाव को बढ़ा दिया है।

भारत की दृढ़ प्रतिक्रिया:

चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में विभिन्न स्थानों के नाम बदलने की कार्रवाई पर भारतीय विदेश मंत्री की टिप्पणी आई है:

  • आलोचना: चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के नाम मनमाने ढंग से बदले जाने के कृत्य को भारत ने “असंवेदनशील” और “अस्वीकार्य” करार दिया है। चीन को इन गतिविधियों से बचने के लिए कहा गया है।
  • अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग: भारत ने अपनी स्थिति स्पष्ट की – अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग है, था और हमेशा रहेगा। चीन के दावों को पूरी तरह से खारिज किया गया।
  • LAC पर शांति की अपील: भारत ने चीन से LAC पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए सहयोग करने का आग्रह किया है ताकि संवाद के जरिए सीमा विवाद का हल निकाला जा सके।

अरुणाचल प्रदेश का भारत के लिए महत्व:

भौगोलिक अखंडता: अरुणाचल प्रदेश भारत के पूर्वोत्तर में स्थित एक राज्य है जो भारत की भौगोलिक अखंडता का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह चीन, भूटान और म्यांमार के साथ सीमा साझा करता है और भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थान रखता है।

रणनीतिक महत्व:

  • सीमा सुरक्षा: चीन के साथ सीमा विवाद के कारण, अरुणाचल प्रदेश भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
  • पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार: यह राज्य भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र का प्रवेश द्वार है और इस क्षेत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • सैन्य महत्व: चीन के बढ़ते सैन्य प्रभाव के कारण, अरुणाचल प्रदेश में भारत की सैन्य उपस्थिति महत्वपूर्ण है।

आर्थिक महत्व:

  • प्राकृतिक संसाधन: अरुणाचल प्रदेश में खनिज, वन और जल संसाधनों का भंडार है।
  • पर्यटन: यह राज्य अपनी प्राकृतिक सुंदरता और विविध संस्कृति के कारण पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है।
  • कृषि: यहां चावल, जौ, मक्का, फल और सब्जियों की खेती होती है।

सांस्कृतिक महत्व:

  • विभिन्न जनजातियाँ: अरुणाचल प्रदेश में 26 से अधिक विभिन्न जनजातियाँ और 100 से अधिक उप जनजातियाँ रहती हैं, जिनकी अपनी अनूठी संस्कृति और परंपराएं हैं।
  • भारतीय संस्कृति का हिस्सा: यह राज्य भारत की समृद्ध और विविध संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

    निष्कर्ष:

    अरुणाचल प्रदेश भारत के लिए एक महत्वपूर्ण राज्य है। यह न सिर्फ भारत की भौगोलिक अखंडता का हिस्सा है, बल्कि रणनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश पर किए गए दावों को भारत पूरी तरह से खारिज करता है और इस क्षेत्र में अपनी संप्रभुता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। इस मुद्दे पर भारत का पक्ष और रुख पूरी तरह से स्पष्ट है। संवाद और सहयोग के माध्यम से ही इस विवाद का शांतिपूर्ण समाधान निकालने का प्रयास भारत निरंतर कर रहा है।

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