असम के मोइदम्स (Moidams) को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया गया है, जिससे यह भारत की 43वीं विश्व धरोहर स्थल बन गई है। यह घोषणा विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र के दौरान की गई, जो नई दिल्ली में आयोजित हुआ।
भारत पहली बार संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) के 1972 के विश्व धरोहर कन्वेंशन में शामिल होने के बाद विश्व धरोहर समिति के सत्र की मेजबानी कर रहा है। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है जो भारत की सांस्कृतिक धरोहर को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर मान्यता दिलाती है।
असम की तीसरी विश्व धरोहर स्थल:
मोइदम्स असम की तीसरी विश्व धरोहर स्थल और सांस्कृतिक श्रेणी में पहली विश्व धरोहर स्थल है। असम की दो अन्य विश्व धरोहर स्थल काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और मानस राष्ट्रीय उद्यान हैं। यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जिससे देश की सांस्कृतिक धरोहर की अंतर्राष्ट्रीय मान्यता को बढ़ावा मिलता है।
भारत विश्व धरोहर स्थलों की संख्या के मामले में विश्व में छठे स्थान पर है, जो देश की समृद्ध सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर को दर्शाता है।
अहोम मोइदम्स के बारे में:
मोइदम्स अहोम राजाओं, रानियों और कुलीन लोगों के कब्रगाह के टीले हैं। यद्यपि मोइदम्स ऊपरी असम के सभी जिलों में पाए जाते हैं, लेकिन अहोमों की पहली राजधानी चराइदेव, अहोम के लगभग सभी शाही लोगों का कब्रिस्तान था। इन मोइदम्स की तुलना अक्सर मिस्र के पिरामिडों से की जाती है।
13वीं शताब्दी में, अहोम साम्राज्य के संस्थापक छौ लुंग सुकफा ने पटकाई पहाड़ियों की तलहटी में स्थित चराइदेव में अपनी पहली राजधानी बनाई थी। यह स्थल अहोम संस्कृति और इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो उनके समृद्ध इतिहास और परंपराओं को दर्शाता है।
मोइदम्स की स्थापत्य संबंधी विशेषताएं:
मोइदम का बाहरी भाग अर्धगोलाकार होता है। मोइदम का आकार मामूली टीले से लेकर एक छोटी पहाड़ी जितनी ऊंचाई तक का हो सकता है। इनका आकार दफनाए गए व्यक्ति की सत्ता, दर्जा और उसके संसाधनों पर निर्भर करता है।
मोइदम में निम्नलिखित तीन प्रमुख विशेषताएं पाई जाती हैं:
- एक गुंबदाकार कक्ष, जिसमें बीच में एक ऊंचा चबूतरा होता है। यहां शव को रखा जाता था।
- मिट्टी का एक अर्धगोलाकार टीला, जो ईंट की संरचना (चाउ-चाली) वाले कक्ष को ढके हुए है। ईंट की इस संरचना के ऊपर प्रतिवर्ष चढ़ावा चढ़ाया जाता है।
- टीले के आधार के चारों ओर अष्टकोणीय दीवार है। इसके पश्चिम में एक मेहराबदार प्रवेश द्वार है।
यूनेस्को विश्व धरोहर साइट्स (WHS) के बारे में:
यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल उत्कृष्ट सांस्कृतिक या प्राकृतिक महत्त्व के स्थान होते हैं। इन्हें मानवता के लिए सार्वभौमिक मूल्य का माना जाता है।
इन्हें यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर कन्वेंशन (1972) के तहत विश्व धरोहर सूची में शामिल किया जाता है।
विश्व धरोहर सूची में शामिल होने के लिए, स्थलों को उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य का होना चाहिए और संबंधित स्थल को चयन संबंधी 10 मानदंडों में से कम-से-कम एक को अवश्य पूरा करना चाहिए।
निष्कर्ष:
मोइदम्स का यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल होना असम और भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह न केवल भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाता है, बल्कि यह देश के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण और संवर्धन के प्रयासों को भी प्रोत्साहित करता है।
यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण करें और इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखें। मोइदम्स की यह मान्यता हमें इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है।
FAQs:
मोइदम्स क्या हैं?
मोइदम्स अहोम राजाओं, रानियों और कुलीन लोगों के कब्रगाह के टीले हैं। ये अर्धगोलाकार टीले हैं जो असम में पाए जाते हैं और इनकी तुलना मिस्र के पिरामिडों से की जाती है।
असम में अन्य कौन सी विश्व धरोहर स्थल हैं?
असम में अन्य दो विश्व धरोहर स्थल काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और मानस राष्ट्रीय उद्यान हैं।
मोइदम्स की विशेषताएं क्या हैं?
मोइदम्स में निम्नलिखित विशेषताएं पाई जाती हैं:
1. गुंबदाकार कक्ष जिसमें बीच में एक ऊंचा चबूतरा होता है।
2. मिट्टी का अर्धगोलाकार टीला, जो ईंट की संरचना वाले कक्ष को ढके हुए है।
3. टीले के आधार के चारों ओर अष्टकोणीय दीवार।
भारत में कुल कितनी यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं?
मोइदम्स के शामिल होने के बाद, भारत में कुल 43 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं।
मोइदम्स किस क्षेत्र में स्थित हैं?
मोइदम्स मुख्यतः असम के ऊपरी जिलों में पाए जाते हैं, विशेष रूप से चराइदेव में जो अहोमों की पहली राजधानी थी।