Australia Bans Social Media for Children Under 16; ऑस्ट्रेलिया ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर लगाया प्रतिबंध:

ऑस्ट्रेलिया ने एक पहल करते हुए 16 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया का उपयोग करने से प्रतिबंधित करने वाला दुनिया का पहला कानून पारित किया है। इस कानून का उद्देश्य न केवल बच्चों को सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभावों से बचाना है, बल्कि उन्हें एक स्वस्थ डिजिटल जीवन जीने के लिए प्रेरित करना भी है। इस कानून के तहत टिकटॉक, मेटा (फेसबुक और इंस्टाग्राम) सहित सभी प्रमुख सोशल मीडिया कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके प्लेटफॉर्म पर 16 साल से कम उम्र के बच्चों के अकाउंट्स ब्लॉक कर दिए जाएं। यदि कंपनियां ऐसा करने में विफल रहती हैं, तो उन्हें भारी जुर्माने का सामना करना पड़ेगा।

साथ ही, इन कंपनियों को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे बच्चों को सोशल मीडिया की लत से बचाने और उनके मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाएं।

बच्चों में सोशल मीडिया की लत के मुख्य कारण:

  1. डोपामाइन का प्रभाव:
    सोशल मीडिया बच्चों के दिमाग के रिवॉर्ड सर्किट को प्रभावित करता है। लाइक, कमेंट और शेयर जैसी गतिविधियां डोपामाइन रिलीज को बढ़ाती हैं, जिससे बच्चे बार-बार इन प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करने के लिए प्रेरित होते हैं।
  2. भावनात्मक संबंधों की कमी:
    असली जीवन में भावनात्मक जुड़ाव की कमी या अकेलेपन के कारण बच्चे और किशोर सोशल मीडिया पर आभासी संबंधों की तलाश करते हैं।
  3. सामाजिक दबाव और तुलना:
    सोशल मीडिया पर दिखाए गए आदर्श जीवन और उपलब्धियों से प्रेरित होकर बच्चे खुद को दूसरों से तुलना करने लगते हैं, जिससे वे इसका अधिक उपयोग करने लगते हैं।

सोशल मीडिया की लत के नकारात्मक प्रभाव:

  1. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर:
    सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से बच्चों की नींद पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
    इससे अवसाद, तनाव, और खाने की आदतों में बदलाव जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
  2. शैक्षणिक प्रदर्शन में गिरावट:
    सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताने के कारण बच्चों का ध्यान पढ़ाई और अन्य शैक्षणिक गतिविधियों से हट जाता है, जिससे उनका प्रदर्शन खराब हो सकता है।
  3. मनोवैज्ञानिक प्रभाव:
    सोशल मीडिया पर दिखाए गए आदर्श जीवन और छवियों के कारण बच्चों में आत्मसम्मान की कमी हो सकती है।
    इसके अलावा, साइबर-बुलिंग और सोशल मीडिया पर अपमानजनक टिप्पणियों से मानसिक तनाव बढ़ सकता है।
  4. खतरनाक कंटेंट का प्रभाव:
    सोशल मीडिया पर मौजूद हानिकारक कंटेंट, जैसे कि आत्महत्या, हिंसा, और चरमपंथी विचारधारा, बच्चों के कोमल मन पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं।
  5. सामाजिक कौशल में गिरावट:
    अधिकतर समय ऑनलाइन बिताने से बच्चों के वास्तविक जीवन के सामाजिक कौशल और रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

सोशल मीडिया प्रतिबंध के संभावित नकारात्मक प्रभाव:

  1. सकारात्मक अवसरों से वंचित:
    सोशल मीडिया बच्चों को डिजिटल कौशल, नेटवर्किंग, और रचनात्मकता को विकसित करने के कई अवसर प्रदान करता है। प्रतिबंध के कारण वे इनसे वंचित हो सकते हैं।
  2. अनुचित प्लेटफॉर्म्स का उपयोग:
    सोशल मीडिया प्रतिबंध के चलते बच्चे डार्क वेब या अन्य असुरक्षित इंटरनेट नेटवर्क का उपयोग कर सकते हैं, जिससे उनके लिए नए खतरे पैदा हो सकते हैं।

सोशल मीडिया लत से निपटने के वैकल्पिक उपाय:

  1. आयु-आधारित नियंत्रण:
    मेटा और इंस्टाग्राम जैसी कंपनियों ने पहले ही 13 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए अकाउंट खोलने पर प्रतिबंध लगाया है। यह एक अच्छा उदाहरण है।
  2. डिजिटल वेलनेस टूल्स का उपयोग:
    सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में ऐसे टूल्स को शामिल किया जा सकता है जो बच्चों को उनके स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करने और उपयोग को संतुलित करने में मदद करें।
  3. शिक्षा और जागरूकता:
    माता-पिता और शिक्षकों को बच्चों को सोशल मीडिया के उपयोग के खतरों और लाभों के बारे में जागरूक करना चाहिए।
  4. सर्वोत्तम कार्य-पद्धतियों को अपनाना:
    केरल पुलिस का डिजिटल डी-एडिक्शन केंद्र (D-DAD) बच्चों को सोशल मीडिया की लत से बाहर निकालने और उन्हें सही मार्गदर्शन देने के लिए एक आदर्श मॉडल है।

निष्कर्ष:

ऑस्ट्रेलिया का यह कानून बच्चों की सुरक्षा और उनके शारीरिक व मानसिक विकास के लिए एक आवश्यक कदम है। हालांकि, यह जरूरी है कि सोशल मीडिया के सकारात्मक पहलुओं को नजरअंदाज न किया जाए और बच्चों को डिजिटल दुनिया के लाभकारी उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया जाए। अन्य देशों को भी इस दिशा में प्रभावी कदम उठाने चाहिए, ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित और उज्ज्वल हो सके।

FAQs:

सोशल मीडिया की लत बच्चों को कैसे प्रभावित करती है?

सोशल मीडिया की लत बच्चों में स्क्रीन टाइम बढ़ाती है, शारीरिक गतिविधियां घटाती है, मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है, और पढ़ाई व अन्य गतिविधियों में ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को कम करती है।

क्या यह प्रतिबंध बच्चों के डिजिटल कौशल को प्रभावित करेगा?

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रतिबंध बच्चों को सोशल मीडिया के सकारात्मक उपयोग, जैसे डिजिटल कौशल, रचनात्मक अभिव्यक्ति, और अभिरुचि आधारित नेटवर्किंग, से वंचित कर सकता है।

सोशल मीडिया प्रतिबंध का विकल्प क्या हो सकता है?

विकल्पों में आयु आधारित सीमाएं, प्रौद्योगिकी-आधारित टूल्स का उपयोग, डिजिटल एडिक्शन केंद्र, और बच्चों को सुरक्षित डिजिटल आदतें सिखाने के प्रयास शामिल हैं।

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