हाल ही में, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) ने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) द्वारा आयोजित वैज्ञानिक फोरम ‘एटम्स4फूड’ (Atoms4Food) में हिस्सा लिया। यह फोरम वैश्विक खाद्य सुरक्षा बढ़ाने और कृषि सुधार में परमाणु तकनीक के उपयोग पर केंद्रित है। ‘एटम्स4फूड’ फोरम की लॉन्चिंग 2023 में वर्ल्ड फूड फोरम के दौरान रोम, इटली में हुई थी। इसे IAEA और खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा संयुक्त रूप से लॉन्च किया गया, ताकि खाद्य सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को हल करने के लिए परमाणु तकनीक का अधिकतम उपयोग किया जा सके।
‘एटम्स4फूड’ फोरम: उद्देश्य और महत्व
‘एटम्स4फूड’ का प्रमुख उद्देश्य यह है कि परमाणु तकनीकों और अन्य उन्नत वैज्ञानिक नवाचारों के माध्यम से खाद्य उत्पादन में सुधार किया जाए। इस फोरम का उद्देश्य उन देशों की मदद करना है, जो खाद्य सुरक्षा संकट से जूझ रहे हैं। यह फोरम न केवल कृषि और पशुधन उत्पादकता में सुधार लाने का प्रयास करता है, बल्कि खाद्य अपशिष्ट को कम करने में भी सहायक साबित होता है।
फोरम के मुख्य उद्देश्य:
- परमाणु तकनीक का उपयोग:
यह फोरम कृषि और पशुधन के उत्पादन में सुधार करने और खाद्य अपशिष्ट को कम करने के लिए परमाणु तकनीकों का उपयोग करता है। - वैश्विक खाद्य सुरक्षा में सुधार:
दुनिया की बढ़ती आबादी के साथ खाद्य आपूर्ति को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। FAO के अनुसार, 2030 तक लगभग 600 मिलियन लोग कुपोषित हो सकते हैं। यह फोरम इस चुनौती से निपटने में महत्वपूर्ण योगदान देता है। - भुखमरी से निपटना:
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, 2050 तक दुनिया की जनसंख्या में एक तिहाई की वृद्धि होगी। विकासशील देशों में यह वृद्धि सबसे अधिक होगी, और इन देशों में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है।
कृषि और खाद्य सुरक्षा में परमाणु तकनीक का योगदान:
परमाणु तकनीक न केवल कृषि उत्पादन को बढ़ाने में मददगार होती है, बल्कि यह खाद्य संरक्षण, मृदा स्वास्थ्य, और जल प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यहां कुछ प्रमुख परमाणु तकनीकों का विवरण दिया गया है, जो खाद्य सुरक्षा और कृषि सुधार में मदद करती हैं:
1. विकिरण (Irradiation) तकनीक:
विकिरण तकनीक का उपयोग खाद्य पदार्थों में उपस्थित सूक्ष्मजीवों और कीटों को नष्ट करने के लिए किया जाता है। इससे खाद्य पदार्थों की शेल्फ लाइफ बढ़ाई जाती है, जिससे खाद्य अपशिष्ट में कमी आती है और उपभोक्ताओं तक सुरक्षित भोजन पहुंचाया जा सकता है।
2. फॉलआउट रेडियोन्यूक्लाइड (FRN) तकनीक:
यह तकनीक मिट्टी में रेडियोन्यूक्लाइड की मात्रा का विश्लेषण करके मृदा अपरदन के पैटर्न को मापती है। इस तकनीक से कृषि भूमि के संरक्षण में मदद मिलती है, जिससे फसलों की उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है।
3. कॉस्मिक-रे न्यूट्रॉन सेंसर (CRNS) तकनीक:
यह तकनीक बड़े क्षेत्रों में मृदा नमी का मापन करने में उपयोगी है। यह मृदा में परावर्तित कॉस्मिक-रे न्यूट्रॉन का पता लगाती है और इससे किसानों को सिंचाई प्रबंधन में सहायता मिलती है।
4. रेडियोइम्यूनोसे (RIA) तकनीक:
यह तकनीक जानवरों में हार्मोन के स्तर का पता लगाने में मदद करती है, जिससे कृत्रिम गर्भाधान के लिए सटीक समय निर्धारित किया जा सकता है। इससे पशुधन की उत्पादकता और सुधार में महत्वपूर्ण योगदान मिलता है।
5. स्टरलाईट इन्सेक्ट तकनीक (SIT):
इस तकनीक के अंतर्गत जंगली कीटों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए बंध्या कीटों को खेतों में छोड़ा जाता है। इससे कीटों के नुकसान को नियंत्रित किया जा सकता है और फसल की पैदावार बढ़ाई जा सकती है।
अन्य परमाणु प्रौद्योगिकियाँ:
परमाणु तकनीकों के अलावा, अन्य प्रौद्योगिकियाँ भी कृषि सुधार में मदद करती हैं, जैसे:
- नाइट्रोजन-15 तकनीक:
यह तकनीक पौधों की जड़ों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण का पता लगाने में मदद करती है, जिससे फसलों की उत्पादकता में सुधार होता है। - आइसोट्रोपिक ट्रेसिंग तकनीक:
यह तकनीक फसल पोषण और जल प्रबंधन में उपयोगी है, जिससे खेती की उत्पादकता को बेहतर बनाया जा सकता है।
भारत में परमाणु तकनीक का उपयोग और खाद्य सुरक्षा:
भारत सरकार ने भी खाद्य सुरक्षा और कृषि सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) के अंतर्गत बहुउत्पाद खाद्य विकिरण इकाइयों की स्थापना की जा रही है। यह इकाइयाँ खाद्य अपशिष्ट को कम करने और खाद्य पदार्थों के संरक्षण में मददगार साबित हो रही हैं। BARC ने गामा विकिरण तकनीक के माध्यम से उच्च उपज देने वाली 42 प्रकार की बीज किस्मों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके अलावा, BARC ने महाराष्ट्र के वाशी और नासिक में दो प्रमुख विकिरण केंद्र स्थापित किए हैं, जो खाद्य सुरक्षा और कृषि सुधार में अहम योगदान दे रहे हैं।
निष्कर्ष:
‘एटम्स4फूड’ फोरम के माध्यम से परमाणु तकनीक का उपयोग कृषि और खाद्य सुरक्षा में सुधार के लिए किया जा रहा है। इससे दुनिया भर में खाद्य संकट से निपटने में मदद मिलेगी और खाद्य उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। भारत, BARC जैसी संस्थाओं के माध्यम से इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है, जिससे देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भी योगदान दिया जा सके।
कृषि और खाद्य सुरक्षा में परमाणु तकनीक का उपयोग न केवल एक स्थायी समाधान है, बल्कि यह बढ़ती जनसंख्या और बदलते जलवायु परिवर्तन के दौर में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी एक आवश्यक मार्ग है।
FAQs:
एटम्स4फूड क्या है?
एटम्स4फूड एक वैज्ञानिक मंच है जिसे अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) और खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा खाद्य सुरक्षा और कृषि में परमाणु तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए लॉन्च किया गया है। इसका उद्देश्य परमाणु तकनीक और अन्य उन्नत तकनीकों के माध्यम से खाद्य उत्पादन और संरक्षण को बढ़ाना है।
परमाणु तकनीक कृषि में कैसे मदद करती है?
परमाणु तकनीक जैसे विकिरण (Irradiation), रेडियोइम्यूनोसे (RIA) और स्टरलाईट कीट तकनीक (SIT) का उपयोग कृषि में खाद्य उत्पादन बढ़ाने, कीटों से सुरक्षा, बीजों की गुणवत्ता सुधारने और मृदा की नमी मापने के लिए किया जाता है। इन तकनीकों से खाद्य उत्पादन में वृद्धि होती है और खाद्य अपव्यय को कम किया जा सकता है।