हाल ही में जर्मनी के बॉन शहर में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP) संपन्न हुआ, जिसमें जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों पर विचार-विमर्श हुआ। इस सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई, जिनमें अनुकूलन संकेतकों और पेरिस जलवायु समझौते के अनुच्छेद 6 के तहत बेहतर कार्यशील अंतरराष्ट्रीय कार्बन बाजार की दिशा में प्रगति हुई है। आइए इस सम्मेलन की प्रमुख बातों पर विस्तृत रूप से चर्चा करें।
पेरिस जलवायु समझौता और अनुच्छेद 6:
पेरिस जलवायु समझौते का अनुच्छेद 6 दो मुख्य बाजार तंत्रों के जरिये देशों के उत्सर्जन-न्यूनीकरण लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है:
- देशों के बीच द्विपक्षीय समझौते:
- इस तंत्र के अंतर्गत, देश आपस में सहयोग करके अपने उत्सर्जन को कम करने के लिए कार्बन क्रेडिट्स का आदान-प्रदान कर सकते हैं। इससे एक देश अपने अतिरिक्त कार्बन क्रेडिट्स को दूसरे देश को बेच सकता है, जो अपने उत्सर्जन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए इन्हें खरीदता है।
- एक नया वैश्विक ऑफसेट बाजार:
- यह तंत्र एक वैश्विक कार्बन बाजार का निर्माण करता है, जिसमें देश और कंपनियां अपने उत्सर्जन को कम करने के लिए कार्बन क्रेडिट्स की खरीद और बिक्री कर सकते हैं। इससे वैश्विक स्तर पर कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में मदद मिलती है।
सम्मेलन में जलवायु वित्त पर नया सामूहिक मात्रात्मक लक्ष्य (NCQG) और मिटीगेशन वर्क प्रोग्राम (MWP) जैसे विषयों पर कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई।
नया सामूहिक मात्रात्मक लक्ष्य (NCQG):
COP21 में 2025 के बाद के लिए जलवायु वित्त लक्ष्य (नया लक्ष्य) निर्धारित करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था।
- 2009 में UNFCCC के पक्षकारों ने 2020 तक सालाना 100 बिलियन डॉलर जुटाने का निर्णय लिया था। इसे बाद में 2025 तक बढ़ा दिया गया था। हालांकि, विकसित देशों द्वारा वित्त-पोषण प्राप्त नहीं होने के कारण यह लक्ष्य हासिल नहीं हो सका है।
- नए सामूहिक मात्रात्मक लक्ष्य के तहत 100 बिलियन डॉलर के वार्षिक लक्ष्य को बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। साथ ही, मौजूदा जलवायु वित्त-पोषण तंत्र में मुख्य कमियों को दूर करने पर भी जोर दिया गया है।
मिटीगेशन वर्क प्रोग्राम (MWP):
इसकी स्थापना COP26 में की गई थी। इसका उद्देश्य पेरिस समझौते के तहत तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु उत्सर्जन में कमी के प्रयासों को तत्काल बढ़ाना और इस पर कार्यवाही करना है।
- 2024 में “सिटीज: बिल्डिंग एंड अर्बन सिस्टम्स” कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- परिचालनात्मक यानि ऑपरेशनल उत्सर्जन (हीटिंग व कूलिंग) को कम करना;
- दक्षता बढ़ाने के लिए बिल्डिंग एन्वेलप को डिजाइन करना (रेट्रोफिटिंग);
- संपूर्ण प्रक्रिया (Embodied) से उत्सर्जन (निर्माण सामग्री) को कम करना आदि।
निष्कर्ष:
बॉन जलवायु परिवर्तन सम्मेलन ने वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और नीतिगत दिशा-निर्देशों के महत्व को और मजबूत किया है। इसका उद्देश्य न केवल उत्सर्जन को कम करना है, बल्कि देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए एक साझा मंच प्रदान करना भी है। इस सम्मेलन ने वैश्विक जलवायु नीतियों को सुदृढ़ करने और कार्बन बाजार तंत्र को बेहतर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
इस सम्मेलन में उठाए गए मुद्दे और प्रस्ताव वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए महत्वपूर्ण हैं और भविष्य में जलवायु नीतियों और कार्यवाहियों के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होंगे।
FAQs:
बॉन जलवायु परिवर्तन सम्मेलन क्या है?
बॉन जलवायु परिवर्तन सम्मेलन एक अंतरराष्ट्रीय सभा है जहां विभिन्न देशों के प्रतिनिधि जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों पर चर्चा करते हैं। इस सम्मेलन का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर जलवायु नीतियों को सुदृढ़ करना और सहयोग को बढ़ावा देना है।
पेरिस जलवायु समझौते का अनुच्छेद 6 क्या है?
पेरिस जलवायु समझौते का अनुच्छेद 6 देशों को अपने उत्सर्जन-न्यूनीकरण लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए दो मुख्य बाजार तंत्रों को परिभाषित करता है:
1. द्विपक्षीय समझौते
2. वैश्विक ऑफसेट बाजार।
ये तंत्र कार्बन क्रेडिट्स के आदान-प्रदान के माध्यम से देशों को अपने उत्सर्जन को कम करने में मदद करते हैं।
कार्बन बाजार कैसे काम करता है?
कार्बन बाजार के माध्यम से देश और कंपनियां अपने उत्सर्जन को कम करने के लिए कार्बन क्रेडिट्स की खरीद और बिक्री कर सकते हैं। यह तंत्र वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में मदद करता है और देशों को अपने उत्सर्जन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करता है।
बॉन जलवायु सम्मेलन का महत्व क्या है?
बॉन जलवायु सम्मेलन का महत्व वैश्विक जलवायु नीतियों को सुदृढ़ करना, देशों के बीच सहयोग बढ़ाना और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए एक साझा मंच प्रदान करना है। इस सम्मेलन के माध्यम से वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते हैं।