Budget 2024 Highlights and Announcements: Will the Common Man Benefit; बजट 2024 के मुख्य बिंदु और घोषणाएँ: क्या आम आदमी को मिलेगा लाभ:

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत बजट 2024 कई महत्वपूर्ण घोषणाओं के साथ अर्थव्यवस्था को गति देने का प्रयास करता है। करदाताओं, स्टार्ट-अप्स, मध्यम वर्ग, निवेशकों, बुनियादी ढांचे आदि विभिन्न क्षेत्रों पर इसके संभावित प्रभावों को गहराई से समझने के लिए, आइए आगे बढ़ें:

करदाताओं के लिए राहत या बोझ?

पहली नज़र में, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर दरों में कोई बदलाव न होना राहत लग सकता है। लेकिन, मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए, कर की वास्तविक दर प्रभावी रूप से बढ़ जाती है। कुछ क्षेत्रों में अप्रत्यक्ष कर वृद्धि का भी संदेह है, जिसका बोझ आम आदमी को उठाना पड़ सकता है।

हालांकि, छोटे करदाताओं (25,000 रुपये तक पुरानी मांग माफी) के लिए राहत है। वहीं, उच्च आय वर्ग के लिए टैक्स सेविंग विकल्प कम हो सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार को प्रत्यक्ष करों को युक्तिसंगत बनाने और कर स्लैब को बढ़ाने पर विचार करना चाहिए था।

किफायती घरों का सपना:

किराएदारों के लिए किफायती घर योजना का स्वागत किया गया है। लेकिन, इसकी सफलता पात्रता शर्तों, ब्याज दरों और सब्सिडी पर निर्भर करती है। स्पष्ट उल्लेख न होने से संदेह बना हुआ है। पीटीआई के अनुसार, “विशेषज्ञों का मानना है कि योजना का प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि इसे कैसे कार्यान्वित किया जाता है। ब्याज दरें और सब्सिडी महत्वपूर्ण कारक होंगे।”

युवाओं और स्टार्ट-अप्स के लिए उम्मीद की किरण:

स्टार्ट-अप्स को निवेश और कर लाभ योजना को मार्च 2025 तक बढ़ाना, युवा उद्यमियों के लिए सकारात्मक है। “यह नवाचार को बढ़ावा देगा और रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करेगा,” आर्थिक टाइम्स के अनुसार। हालांकि, बाजार की स्थितियां और फंडिंग उपलब्धता भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

बुनियादी ढांचे पर जोर:

पूंजीगत व्यय में 11% की वृद्धि बुनियादी ढांचे को गति दे सकती है, जिससे रोजगार और आर्थिक विकास बढ़ेगा। लेकिन, यह खर्च राजकोषीय घाटे को बढ़ा सकता है, जिसका बोझ भविष्य में जनता को उठाना पड़ सकता है। द हिंदू बिजनेसलाइन के विश्लेषण के अनुसार, “इस बढ़े हुए खर्च का दक्षतापूर्वक उपयोग महत्वपूर्ण है।”

राजकोषीय घाटा:

सरकार ने 2025-26 में राजकोषीय घाटे को 5.1% तक कम करने का अनुमान लगाया है, जो पिछले साल के अनुमान से कम है। इसे आर्थिक स्थिरता की दिशा में सकारात्मक कदम माना जा सकता है। हालांकि, यह कमी किन खर्चों में कटौती या राजस्व बढ़ाने के उपायों से हासिल होगी, यह स्पष्ट नहीं है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि सरकार को खर्च कम करने और गैर-कर राजस्व बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।

अन्य महत्वपूर्ण घोषणाएँ और उनके मायने:

  • 2014 से पहले की आर्थिक कुप्रबंधन पर श्वेत पत्र: अतीत की गलतियों से सबक लेकर भविष्य की नीतियों को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।
  • अगली पीढ़ी के सुधार: राज्यों और हितधारकों के साथ मिलकर किए जाने वाले ये सुधार आने वाले समय में भारत के आर्थिक विकास को दिशा दे सकते हैं, लेकिन इसमें समय लगेगा और इनके प्रभावों का पूरी तरह से आकलन करना मुश्किल है।
  • जनसंख्या वृद्धि समिति: जनसंख्या नियंत्रण और जनसांख्यिकीय बदलावों का समाधान ढूंढने के लिए गठित यह समिति दीर्घकालिक विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है, परन्तु राजनीतिक इच्छाशक्ति और सामाजिक संवेदनशीलता एक चुनौती होगी।

निष्कर्ष:

बजट 2024 विभिन्न क्षेत्रों के लिए राहत और चिंता दोनों का मिश्रण है। अर्थव्यवस्था को गति देने के प्रयास किए गए हैं, लेकिन कई घोषणाओं का वास्तविक प्रभाव उनकी कार्यान्वयन पर निर्भर करेगा। आम आदमी पर क्या असर होगा, यह देखना बाकी है, मुद्रास्फीति और खर्चों को लेकर सतर्कता जरूरी है। निवेशकों के लिए बाजार की स्थितियां और वैश्विक कारकों का भी ध्यान रखना होगा। कुल मिलाकर, यह बजट भविष्य के लिए दिशा दिखाता है, लेकिन अभी यह कहना मुश्किल है कि यह दिशा कहां ले जाएगी।

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