Can India Touch $10 Trillion? WEF Chief’s Predictions Ignite Hope at Davos; भविष्य का 10 ट्रिलियन डॉलर का आर्थिक महाशक्ति? WEF अध्यक्ष का अनुमान जगाता है उम्मीदें:

दुनिया के दिग्गज नेताओं और अर्थशास्त्रियों का जमावड़ा लगाने वाले वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) में इस बार भारत के लिए अच्छी खबर आई है। WEF के अध्यक्ष Borge Brende ने एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बताया है कि आने वाले दो दशकों में भारत $10 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बन सकता है। ये भविष्यवाणी उन्होंने दावोस में आयोजित WEF वार्षिक बैठक के 54वें संस्करण में Business Today के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर Rahul Kanwal को दिए इंटरव्यू में की है।

ब्रेन्डे के इस अनुमान ने भारत के भविष्य के लिए उम्मीद जगाई है और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में उसके महत्व को रेखांकित किया है। आइए जानते हैं कि Brende के इस विश्वास के पीछे क्या तर्क है और भारत को इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए किन कारकों पर ध्यान देना होगा।

भारत का बढ़ता हुआ वैश्विक महत्व:

  • तेज आर्थिक विकास: भारत पिछले कुछ सालों में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक रहा है। 2023-24 में 7.3% और 2024-25 में 6.5% की अनुमानित विकास दर, भारत को वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में एक मजबूत स्थान देती है।
  • डिजिटल क्रांति का लाभ: भारत का मजबूत आईटी क्षेत्र और तेजी से बढ़ता हुआ इंटरनेट उपयोग डिजिटल क्रांति में एक अग्रणी खिलाड़ी के रूप में उभरने का संकेत देता है। Brende ने भारत के डिजिटल अर्थव्यवस्था के तेजी से विकास पर भी जोर दिया, जो सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देगा और विकास को गति देगा।
  • युवा आबादी का लाभ: भारत के पास दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी में से एक है, जो देश के लिए कुशल कार्यबल का एक बड़ा स्रोत है। युवाओं के कौशल और उद्यमशीलता को सही दिशा देने पर भारत आने वाले वर्षों में आर्थिक रूप से ऊंचाइयां छू सकता है।
  • ट्रेड वॉर का लाभ: वैश्विक व्यापार युद्धों के बीच भारत तेजी से एक आकर्षक निवेश गंतव्य के रूप में उभर रहा है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां चीन जैसे पारंपरिक उत्पादन केंद्रों से अपना रुख हटाकर भारत की ओर देख रही हैं, जिससे विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिल सकता है।
  • जियो-पॉलिटिकल लैंडस्केप में रणनीतिक स्थिति: भारत का रणनीतिक भौगोलिक स्थान और क्षेत्रीय शक्ति के रूप में इसका उदय इसे वैश्विक मामलों में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाता है। भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और लोकतांत्रिक मूल्यों पर जोर, इसे वैश्विक व्यापार और सहयोग में एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में स्थापित करता है।
  • ग्रीन टेक्नोलॉजी में अग्रणी: भारत नवीकरणीय ऊर्जा और हरित प्रौद्योगिकियों में निवेश बढ़ा रहा है, जो वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ता हुआ बाजार है। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों में भारत का फोकस इसे भविष्य की अर्थव्यवस्था में एक अग्रणी स्थान दिला सकता है।

चुनौतियों से निपटने की रणनीति:

  • रोजगार सृजन: तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ रोजगार के पर्याप्त अवसर पैदा करना भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है। सरकार को स्किल डेवलपमेंट और उद्यमिता को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान देना होगा।
  • भौतिक अवसंरचना का विकास: बेहतर सड़क, रेल, बंदरगाह और हवाई अड्डे जैसे बुनियादी ढांचे का विकास आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देगा और व्यापार में आसानी को बढ़ाएगा।
  • सामाजिक असमानता को कम करना: आर्थिक विकास का लाभ सभी तक पहुंचे, इसके लिए सामाजिक असमानता को कम करना जरूरी है। शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा पर निवेश महत्वपूर्ण है।
  • शिक्षा और कौशल विकास: तेजी से बदलते तकनीकी परिदृश्य में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए भारत को अपने शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने और युवाओं को आवश्यक कौशल प्रदान करने की आवश्यकता है। STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) शिक्षा,Vocational Training और उद्यमिता को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।
  • विनिर्माण क्षमता का विस्तार: केवल सेवा क्षेत्र पर निर्भर रहने के बजाय, भारत को अपने विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत करना होगा। इसके लिए बुनियादी ढांचे में निवेश, सरकारी प्रोत्साहन और अनुसंधान एवं विकास पर जोर देना आवश्यक है।
  • स्वास्थ्य और पर्यावरण का ध्यान: आर्थिक विकास के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाओं और पर्यावरण संरक्षण पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। स्वस्थ और टिकाऊ विकास ही असली मायने में सफलता की निशानी होगी।

निष्कर्ष:

Brende का अनुमान भारत के लिए एक बड़ी प्रेरणा है और विकास की अपार संभावनाओं को दर्शाता है। लेकिन इस लक्ष्य को प्राप्त करना मुश्किल होगा और इसके लिए कड़े परिश्रम सही नीतियों और जनता के समर्थन की आवश्यकता है। अगर भारत सही रास्ते पर चलता है तो भविष्य में 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का सपना साकार हो सकता है। सरकार उद्योग और जनता के साझा प्रयासों से ही भारत अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता है और एक स्थिर, समृद्ध और वैश्विक शक्ति के रूप में उभर सकता है। 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि भारत के लोगों के लिए बेहतर जीवन का मार्ग है।

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