कैंसर, जिस नाम से ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं, लाखों लोगों की जिंदगी पर कहर बरपाता रहा है। पारंपरिक इलाजों जैसे कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के बावजूद कई बार मरीजों को राहत नहीं मिल पाती। लेकिन उम्मीद की एक नई किरण जगी है – CAR-T सेल थेरेपी। हाल ही में भारत में पहली बार इस तकनीक का इस्तेमाल कर एक मरीज को कैंसर मुक्त घोषित किया गया है, जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। आइए, इस लेख में CAR-T सेल थेरेपी को गहराई से समझें और जानें कि यह कैंसर के इलाज में क्रांति लाने वाली क्यों मानी जा रही है।
क्या है CAR-T सेल थेरेपी?
CAR-T सेल थेरेपी एक तरह से जीन थेरेपी है, जिसमें मरीज की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली का ही इस्तेमाल कर कैंसर से लड़ते हैं। इसमें मरीज की सफेद रक्त कोशिकाओं में से खास T-कोशिकाओं को निकाला जाता है। फिर प्रयोगशाला में इन कोशिकाओं में आनुवंशिक बदलाव किया जाता है, जिससे उन्हें खास प्रोटीन कैमेरिक एंटीजन रिसेप्टर्स (CAR) से लैस कर दिया जाता है। इसके बाद इन संशोधित T-कोशिकाओं को, जिन्हें अब CAR-T कोशिकाएं कहा जाता है, वापस मरीज के शरीर में डाला जाता है। ये CAR प्रोटीन कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और उनसे चिपकने में मदद करते हैं। ये CAR-T कोशिकाएं कैंसर कोशिकाओं को पहचानकर उनसे लड़ती हैं और उन्हें खत्म कर देती हैं।
CAR-T सेल थेरेपी के फायदे:
- टारगेटेड थेरेपी: यह पारंपरिक इलाजों से अलग है, जो पूरे शरीर पर असर डालते हैं। CAR-T सेल थेरेपी सीधे कैंसर कोशिकाओं को निशाना बनाती है, जिससे स्वस्थ कोशिकाओं को कम नुकसान पहुंचता है। कैंसर के उपचार मेें कम समय लगता है और रोगी अधिक तेजी से ठीक होता है।
- दीर्घकालिक प्रभाव: CAR-T कोशिकाएं शरीर में लंबे समय तक रह सकती हैं और कैंसर कोशिकाओं को दोबारा बढ़ने से रोक सकती हैं। CAR-T-कोशिकाओं को “लिविंग ड्रग्स” भी कहा जाता है।
- कुछ कैंसरों में कारगर: यह थेरेपी खासकर ल्यूकेमिया और लिम्फोमा जैसे खून के कैंसर के इलाज में काफी प्रभावी साबित हुई है।
CAR-T सेल थेरेपी की चुनौतियां:
- नया और महंगा इलाज: यह अभी भी एक नया और काफी महंगा इलाज है, जिससे सभी के लिए इसकी उपलब्धता सीमित है।
- दुष्प्रभाव: इस थेरेपी के कुछ गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे साइटोकाइन स्टॉर्म (cytokine storm) और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं।
- सभी कैंसरों में कारगर नहीं: यह सभी प्रकार के कैंसर के इलाज में अभी तक कारगर नहीं है।
भारत में CAR-T सेल थेरेपी की उपलब्धि:
भारत में पहली बार NexCAR19 नामक स्वदेशी CAR-T सेल थेरेपी का इस्तेमाल कर एक मरीज को कैंसर मुक्त घोषित किया जाना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इम्यूनोएडॉप्टिव सेल थेरेपी (ImmunoACT) नामक एक कंपनी ने NexCAR19 नामक CAR-T सेल थेरेपी विकसित की है, जो भारत की पहली स्वदेशी CAR-T सेल थेरेपी है। यह कंपनी IIT-बॉम्बे और टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के सहयोग से स्थापित की गई है। NexCAR19 को 2023 में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा व्यावसायिक उपयोग के लिए अनुमोदित किया गया था। CAR-T सेल थेरेपी की उपलब्धि इस बात का संकेत देती है कि भारत भी इस क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है। इससे भविष्य में इस थेरेपी को और सस्ता और सुलभ बनाने की उम्मीद जगी है।
भविष्य की राह:
CAR-T सेल थेरेपी अभी अपने शुरुआती दौर में है, लेकिन इसमें कैंसर के इलाज में क्रांति लाने की क्षमता है। निरंतर शोध और विकास के माध्यम से इस थेरेपी को और कारगर और किफायती बनाने की कोशिशें की जा रही हैं। उम्मीद है कि आने वाले समय में यह तकनीक और लोगों के लिए सुलभ होगी और कैंसर से लड़ाई में एक महत्वपूर्ण हथियार बनकर उभरेगी।
इसके अलावा, यह सफलता भारत में चिकित्सा अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देगी और अन्य नवीन चिकित्सा तकनीकों के विकास को प्रोत्साहित करेगी। यह न केवल कैंसर के क्षेत्र में, बल्कि अन्य गंभीर बीमारियों के इलाज में भी क्रांति लाने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह यात्रा अभी शुरुआत है। चुनौतियां बनी रहेंगी, लेकिन इस उपलब्धि ने एक उम्मीद जगाई है। CAR-T सेल थेरेपी के क्षेत्र में निरंतर प्रगति के साथ, भविष्य में कैंसर का पूरी तरह से इलाज संभव हो सकता है।
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