केंद्र सरकार ने हाल ही में नीति आयोग का पुनर्गठन किया है, यह पुनर्गठन इस साल जून में नई सरकार के गठन के बाद किया जाना प्रस्तावित था। ज्ञातव्य है कि नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) को छोड़कर आयोग का कार्यकाल केंद्र सरकार के कार्यकाल के साथ समाप्त हो जाता है।
नीति आयोग के बारे में:
नीति आयोग, जिसे नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (NITI) भी कहा जाता है, सरकार का एक थिंक-टैंक है। इसका गठन 2015 में केंद्रीय मंत्रिमंडल के एक संकल्प के जरिए किया गया था। यह योजना आयोग की जगह स्थापित किया गया था और इसका उद्देश्य सरकार को नीति निर्माण में सहयोग प्रदान करना है।

नीति आयोग की संरचना:
1. अध्यक्ष:
भारत का प्रधान मंत्री नीति आयोग के अध्यक्ष होते हैं।
2. शासी निकाय:
नीति आयोग के शासी निकाय में निम्नलिखित सदस्य शामिल होते हैं:
- प्रधान मंत्री
- सभी राज्यों और विधान सभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री
- अन्य केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल/ प्रशासक
- पदेन सदस्य
- उपाध्यक्ष, नीति आयोग
- पूर्णकालिक सदस्य, नीति आयोग
- विशेष आमंत्रित सदस्य
3. पदेन सदस्य:
प्रधान मंत्री द्वारा नामित केंद्रीय मंत्रिपरिषद के अधिकतम 4 सदस्य शामिल होते हैं।
4. विशेष आमंत्रित सदस्य:
प्रधान मंत्री द्वारा नामित प्रासंगिक क्षेत्रक का ज्ञान रखने वाले विशेषज्ञ, स्पेशलिस्ट और प्रैक्टिशनर्स शामिल होते हैं।
क्षेत्रीय परिषदें:
नीति आयोग की क्षेत्रीय परिषदों का मुख्य कार्य एक से अधिक राज्य या किसी एक क्षेत्र को प्रभावित करने वाली विशिष्ट समस्याओं और आकस्मिकताओं का समाधान करना है। यह क्षेत्रीय परिषदें विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देती हैं और समन्वय स्थापित करती हैं।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO):
नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) का पद भारत सरकार के सचिव रैंक के अधिकारी को प्रदान किया जाता है। CEO की नियुक्ति प्रधान मंत्री द्वारा की जाती है और यह पद एक निश्चित कार्यकाल के लिए होता है।
नीति आयोग के प्रमुख कार्य:
- सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को अपनाने का पर्यवेक्षण और निगरानी करना:
नीति आयोग देश में सतत विकास लक्ष्यों को अपनाने और उनकी प्रगति की निगरानी करता है। यह सुनिश्चित करता है कि विभिन्न नीतियां और कार्यक्रम सतत विकास के सिद्धांतों के अनुरूप हों। - राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच प्रतिस्पर्धी और सहकारी संघवाद की भावना को बढ़ावा देना:
नीति आयोग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और सहयोग को बढ़ावा देता है, जिससे देश के विकास में सभी की भागीदारी सुनिश्चित हो सके।
भारत के विकास एजेंडे में नीति आयोग की भूमिका:
सहकारी संघवाद:
नीति आयोग राष्ट्रीय विकास एजेंडे की दिशा में काम करने के लिए राज्यों को ‘टीम इंडिया’ के रूप में एक साथ लाता है। यह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ समन्वय स्थापित करता है और उन्हें राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।
प्रतिस्पर्धी संघवाद:
नीति आयोग पारदर्शी रैंकिंग और विभिन्न सूचकांकों के माध्यम से राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है। उदाहरण के लिए, आकांक्षी जिला कार्यक्रम, सतत विकास लक्ष्य भारत सूचकांक आदि।
क्षेत्रीय और क्षेत्रक-वार उपाय:
नीति आयोग विभिन्न क्षेत्रीय और क्षेत्रक-वार पहलों के माध्यम से विकास को बढ़ावा देता है। उदाहरण के लिए, केंद्र द्वारा पूर्वोत्तर के लिए नीति फोरम, प्रोजेक्ट SATH-E (सस्टेनेबल एक्शन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग ह्यूमन कैपिटल इन एजुकेशन) आदि।
नीति आयोग और योजना आयोग में प्रमुख अंतर:
नीति आयोग | योजना आयोग |
यह एक सलाहकार थिंक टैंक के रूप में कार्य करता है। | इसने एक संवैधानिक निकाय के रूप में कार्य किया था, जबकि इसे ऐसा दर्जा नहीं मिला था। |
यह सदस्यों की व्यापक विशेषज्ञता पर बल देता है। | यह सीमित विशेषज्ञता पर निर्भर था। |
यह सहकारी संघवाद की भावना पर कार्य करता है क्योंकि यह राज्यों की समान भागीदारी सुनिश्चित करता है। | इसकी वार्षिक योजना बैठकों में राज्यों की भागीदारी बहुत कम रहती थी। |
प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त सचिवों को CEO के रूप में जाना जाता है। | सचिवों को सामान्य प्रक्रिया के माध्यम से नियुक्त किया जाता था। |
यह Bottom-Up Approach पर कार्य करता है। | यह Top-Down Approach पर कार्य करता था। |
इसे नीतियाँ लागू करने का अधिकार नहीं है। | यह राज्यों के लिये नीतियाँ बनाता था और स्वीकृत परियोजनाओं के लिये धन आवंटित करता था। |
इसे धन आवंटित करने की शक्तियाँ नहीं हैं जो वित्त मंत्री में निहित हैं। | इसे मंत्रालयों और राज्य सरकारों को धन आवंटित करने की शक्तियाँ प्राप्त थीं। |
निष्कर्ष:
यह पुनर्गठन न केवल नीति आयोग की कार्यप्रणाली को मजबूत करेगा बल्कि भारत के विकास एजेंडे को नई दिशा देने में भी सहायक सिद्ध होगा। इससे नीति निर्माण प्रक्रिया में पारदर्शिता और समन्वय बढ़ेगा, जिससे सरकार के विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। नीति आयोग का यह पुनर्गठन भारत के विकास को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
FAQs:
नीति आयोग क्या है?
नीति आयोग, जिसे नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (NITI) भी कहा जाता है, एक सरकारी थिंक-टैंक है। इसका गठन 2015 में केंद्रीय मंत्रिमंडल के एक संकल्प के जरिए किया गया था।
नीति आयोग की क्षेत्रीय परिषदों का क्या कार्य है?
नीति आयोग की क्षेत्रीय परिषदों का मुख्य कार्य एक से अधिक राज्य या किसी एक क्षेत्र को प्रभावित करने वाली विशिष्ट समस्याओं और आकस्मिकताओं का समाधान करना है।
नीति आयोग सहकारी संघवाद को कैसे बढ़ावा देता है?
नीति आयोग राष्ट्रीय विकास एजेंडे की दिशा में काम करने के लिए राज्यों को ‘टीम इंडिया’ के रूप में एक साथ लाता है और समन्वय स्थापित करता है, जिससे सभी राज्यों की भागीदारी सुनिश्चित होती है।
नीति आयोग प्रतिस्पर्धी संघवाद को कैसे बढ़ावा देता है?
नीति आयोग पारदर्शी रैंकिंग और विभिन्न सूचकांकों के माध्यम से राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है। उदाहरण के लिए, आकांक्षी जिला कार्यक्रम और सतत विकास लक्ष्य भारत सूचकांक।
नीति आयोग और योजना आयोग में क्या अंतर है?
नीति आयोग एक सलाहकार थिंक टैंक के रूप में कार्य करता है, जबकि योजना आयोग एक संवैधानिक निकाय के रूप में कार्य करता था। नीति आयोग सहकारी संघवाद की भावना पर कार्य करता है और Bottom-Up Approach को अपनाता है, जबकि योजना आयोग Top-Down Approach पर कार्य करता था। नीति आयोग को नीतियाँ लागू करने का अधिकार नहीं है, जबकि योजना आयोग राज्यों के लिये नीतियाँ बनाता था और स्वीकृत परियोजनाओं के लिये धन आवंटित करता था।