26 जनवरी का ये गणतंत्र दिवस सिर्फ राष्ट्रीय गौरव ही नहीं लेकर आया, बल्कि विज्ञान और कृषि के सफल सम्मेलन की एक झलक भी दिखाई। जी हाँ, इस बार गणतंत्र दिवस पर सीएसआईआर (CSIR) की झांकी ने “बैंगनी क्रांति” और देश के पहले महिला-अनुकूल कॉम्पैक्ट इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर “पीआरआईएमए ईटी11” को प्रमुखता से दर्शाया।
झांकी के अगले हिस्से में लैवेंडर के खूबसूरत खेतों के बीच एक सशक्त किसान महिला की आकृति बनी थी, जो ये दर्शाती है कि कैसे बैंगनी क्रांति ने जम्मू-कश्मीर के किसानों, खासकर महिलाओं के जीवन में बदलाव लाया है। सीएसआईआर के वैज्ञानिकों ने उन्नत किस्मों और कृषि तकनीकों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसके कारण लैवेंडर की खेती में भारी वृद्धि हुई है।
बीच के हिस्से में कलाकारों को सीएसआईआर वैज्ञानिकों के रूप में दिखाया गया था, जो कि लैब में रिसर्च कर रहे हैं। इससे ये संदेश दिया गया कि विज्ञान कृषि विकास का एक मजबूत स्तंभ है और किसानों की सफलता में वैज्ञानिकों का योगदान अहम है।
झांकी के पिछले हिस्से में पीआरआईएमए ईटी11 इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर का मॉडल प्रमुखता से प्रदर्शित था। यह देश का पहला महिला-अनुकूल कॉम्पैक्ट इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर है जिसे खासकर छोटे खेतों के लिए विकसित किया गया है। पर्यावरण अनुकूल होने के साथ-साथ ये ट्रैक्टर महिलाओं के लिए भी काफी आसान हैं, जिससे खेती के काम में उनकी भागीदारी बढ़ सकती है।
सीएसआईआर की झांकी ने ना सिर्फ प्राकृतिक सौंदर्य और तकनीकी प्रगति का मेल प्रस्तुत किया, बल्कि ये संदेश भी दिया कि विज्ञान और कृषि के साथ मिलकर भारत आत्मनिर्भरता और सतत विकास के लक्ष्य को हासिल कर सकता है।
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