भारत सरकार ने ‘जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर’ (JeI) को लगातार पांच सालों के लिए ‘गैर-कानूनी संगठन’ घोषित कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा 27 फरवरी 2024 को जारी अधिसूचना में यह कठोर कदम गैर-कानूनी क्रियाकलाप (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967 की धारा 3 के तहत लिया गया है।
JeI पर प्रतिबंध: कारण और अतीत
केंद्र सरकार के अनुसार, जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर (JeI) पर जम्मू और कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने, हिंसक आतंकवाद को प्रोत्साहित करने और भारत के खिलाफ दुष्प्रचार में संलग्न होने के आरोप हैं। इसके अतिरिक्त, सरकार ने संगठन के ऐसे प्रयासों को रेखांकित किया, जिन्होंने जम्मू और कश्मीर की शांति, सुरक्षा और सामाजिक सद्भाव को लगातार नुकसान पहुंचाया है। सरकार ने माना है कि इस संगठन के उद्देश्य और गतिविधियां भारत की संप्रभुता, एकता, अखंडता, और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा हैं।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने अक्सर JeI के सदस्यों पर जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी समूहों के लिए ओवर ग्राउंड वर्कर्स’ (OGWs) के रूप में काम करने का आरोप लगाया है। OGWs आतंकवादियों को रसद संबंधी सहायता (logistical support), शरण और अन्य सहायता प्रदान करते हैं, जिससे उनकी गुप्त गतिविधियों में आसानी होती है।
ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs) के कार्य और खतरे
जम्मू और कश्मीर में भारत के आतंकवाद विरोधी अभियानों के दौरान ओवर ग्राउंड वर्कर्स’ या OGWs नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है। सुरक्षा बलों के अनुसार, OGW आतंकवादी संगठनों की रीढ़ हैं और आतंकवादी कृत्यों के सफल क्रियान्वयन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आइए समझते हैं कि OGW कैसे आतंकवादी गतिविधियों में सहायता प्रदान करते हैं:
- भर्ती: OGWs की एक मुख्य भूमिका होती है स्थानीय युवाओं को आतंकवादी गुटों में भर्ती करना। इसमें अक्सर जबरन भर्ती और ब्रेनवॉशिंग के आरोप भी लगते हैं।
- वित्तीय सहायता: आतंकवादी गतिविधियों को आर्थिक मदद पहुँचाने के लिए OGWs विभिन्न अवैध धंधों का सहारा लेते हैं। नकली करेंसी, हवाला, अवैध व्यापार, और टैक्स चोरी इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
- अन्य संगठनों से समन्वय: OGWs अलगाववादी नेताओं, संगठित अपराध की दुनिया, और अन्य आतंकी संगठनों के साथ सहयोग का काम भी करते हैं।
- आतंक को जायज ठहराना: प्रोपेगेंडा फैलाना, धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा देना, और स्थानीय मुद्दों को तोड़-मरोड़कर पेश करने के जरिये OGWs अक्सर आतंक का समर्थन करते हैं और आम जनता के सामने उसे सही साबित करने का प्रयास करते हैं।
OGWs के कुप्रभाव को सीमित करने के उपाय
आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए OGW नेटवर्क को बेअसर (neutralize) करना एक अनिवार्य आवश्यकता है। निम्नलिखित उपायों के माध्यम से देश में आतंकवाद विरोधी अभियानों को मजबूत किया जा सकता है:
- सामाजिक कल्याण: जम्मू-कश्मीर के वंचित और असंतुष्ट वर्गों के बीच सामाजिक-आर्थिक विकास योजनाओं को लागू करना महत्वपूर्ण है। कल्याण पहल में अनाथ बच्चों, महिलाओं और आतंकवाद प्रभावित परिवारों के व्यापक पुनर्वास के प्रावधान भी शामिल होने चाहिए। सरकार द्वारा संचालित ‘ऑपरेशन सद्भावना (गुडविल)’ इस क्षेत्र में एक सकारात्मक कदम है।
- खुफिया तंत्र में सुधार: कट्टरपंथ के प्रसार के स्रोतों और गतिविधियों पर पैनी नजर रखने के लिए तकनीकी रूप से उन्नत, व्यापक और बेहतर खुफिया तंत्र का विकास करना एक प्रमुख आवश्यकता है।
- त्वरित न्याय प्रक्रियाएं: भारत के विरुद्ध हिंसक गतिविधियों में संलिप्त आतंकवादियों और उनके OGW सहायकों के मामलों में त्वरित सुनवाई और निर्णय सुनिश्चित करने के लिए विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट्स स्थापित किए जाने चाहिए।
गैर कानूनी क्रियाकलाप (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967
गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967 देश की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए भारत सरकार की शक्तियों को बढ़ाता है। यह कानून व्यक्तियों और संगठनों द्वारा गैर-कानूनी गतिविधियों, जैसे अलगाववाद, जासूसी और आतंकवादी कृत्यों के निवारण, अभियोजन, और दंड का प्रावधान करता है।
- व्यक्तियों और संगठनों की कुछ गैर-कानूनी गतिविधियों को रोकता है।
- UAPA (संशोधन) अधिनियम, 2019 ने सरकार को संगठनों के अलावा व्यक्तियों को भी आतंकवादी घोषित करने की शक्ति दी।
- गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967 में परमाणु आतंकवाद के कृत्यों के दमन हेतु अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन (2005) को शामिल किया गया है। इसका मतलब है कि UAPA के तहत अब परमाणु आतंकवाद से जुड़े अपराधों को भी दंडित किया जा सकता है।
JeI पर प्रतिबंध का संभावित प्रभाव
‘जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर’ पर प्रतिबंध का सकारात्मक असर होने की उम्मीद है। यह कदम जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद की भावना को कम करने में मदद करेगा और साथ ही भारत की आंतरिक सुरक्षा को भी मजबूत करेगा।
निष्कर्ष
केंद्र सरकार द्वारा जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर पर प्रतिबंध देश की सुरक्षा के लिहाज से जरूरी था। हालांकि, आतंकवाद को पूरी तरह समाप्त करने के लिए सिर्फ प्रतिबंध लगाना काफी नहीं है। OGWs के नेटवर्क को तोड़ने, सामाजिक कल्याण को बढ़ाने, और खुफिया तंत्र को मजबूत करने पर समग्र रूप से ध्यान देना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
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