संयुक्त राज्य अमेरिका में 25 जनवरी, 2024 को, केनेथ स्मिथ नाम के एक दोषी हत्यारे को पहली बार नाइट्रोजन गैस से मृत्युदंड दिया गया। यह सजा अलबामा राज्य में दी गई थी।
इस तरीके को लेकर संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार प्रमुख, मिशेल बाशलेट ने चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह तरीका “क्रूर, अमानवीय और अपमानजनक” है। उन्होंने कहा कि इस तरीके से मृत्युदंड देने से पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई होती है और उसे घुटन महसूस होती है।
इस घटना ने मृत्युदंड को लेकर फिर से बहस शुरू कर दी है। मृत्युदंड के पक्ष और विपक्ष में तर्क दिए जा रहे हैं।
मृत्युदंड के पक्ष में तर्क
- निवारण प्रभाव: मृत्युदंड के पक्ष में एक तर्क यह है कि यह अपराधों को रोकने में मदद कर सकता है। लोग जघन्य अपराध करने से पहले मृत्युदंड का डर महसूस करेंगे।
- दण्डात्मक न्याय: मृत्युदंड को कुछ अपराधों के लिए उचित प्रतिक्रिया के रूप में भी देखा जाता है। उदाहरण के लिए, कुछ लोग मानते हैं कि हत्या के लिए मृत्युदंड ही उचित सजा है।
- एक नैतिक अनिवार्यता: कुछ लोगों का मानना है कि पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए न्याय पाने का एकमात्र तरीका यह है कि दोषी को मृत्युदंड दिया जाए।
मृत्युदंड के खिलाफ तर्क
- मानवाधिकार और नैतिकता: मृत्युदंड के खिलाफ एक प्रमुख तर्क यह है कि यह सजा देने का क्रूर और अनैतिक तरीका है। यह किसी व्यक्ति के जीवन के अधिकार का उल्लंघन है।
- निवारक के रूप में कार्य करने का प्रमाण नहीं होना: मृत्युदंड के पक्ष में दिए जाने वाले निवारण प्रभाव के तर्क का समर्थन करने वाले कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं। वास्तव में, कुछ अध्ययनों से पता चला है कि मृत्युदंड अपराधों को रोकने में मदद नहीं करता है।
- अपरिवर्तनीयता: मृत्युदंड एक अपरिवर्तनीय सजा है। यदि किसी व्यक्ति को गलत तरीके से दोषी ठहराया जाता है और उसे मृत्युदंड दिया जाता है, तो उस अन्याय को ठीक करना असंभव है।
- पुनर्सुधार की संभावना: मृत्युदंड के खिलाफ एक अन्य तर्क यह है कि यह पुनर्वास की संभावना को समाप्त कर देता है। दोषी व्यक्ति को सुधारने और समाज में वापस लौटने का मौका नहीं मिलता है।
भारत में मृत्युदंड
भारत में मृत्युदंड एक वैध सजा है। सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में मृत्युदंड की संवैधानिक वैधता की पुष्टि की है। हालांकि, विधि आयोग ने सिफारिश की है कि आतंकवाद और युद्ध छेड़ने से संबंधित अपराधों के अलावा अन्य सभी अपराधों के लिए मृत्युदंड को समाप्त कर दिया जाना चाहिए। यह रिपोर्ट अगस्त 2015 मेें प्रस्तुत की गई थी।
संयुक्त राज्य अमेरिका में नाइट्रोजन गैस से मृत्युदंड की घटना ने मृत्युदंड को लेकर फिर से बहस शुरू कर दी है। यह बहस आने वाले वर्षों में भी जारी रहने की संभावना है।
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