फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF), जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण से निपटने के लिए वैश्विक मानक तय करने वाली संस्था है, ने वर्चुअल एसेट्स (VAs) और वर्चुअल एसेट्स सर्विस प्रोवाइडर (VASPs) से जुड़े जोखिमों को लेकर चिंता जताई है। इस संदर्भ में, फरवरी 2023 में FATF ने इनके नियमन को सशक्त बनाने के लिए एक रोडमैप पर सहमति व्यक्त की थी। यह कदम इस बात का प्रमाण है कि वैश्विक समुदाय वर्चुअल एसेट्स द्वारा उत्पन्न वित्तीय अपराधों के जोखिमों को लेकर चिंतित है। आइए, वर्चुअल एसेट्स द्वारा उत्पन्न चुनौतियों और FATF के दिशानिर्देशों पर विस्तार से चर्चा करें।
वर्चुअल एसेट्स: परिभाषा और विशेषताएं
वर्चुअल एसेट्स, जिन्हें अक्सर क्रिप्टो एसेट्स या क्रिप्टोकरेंसी के रूप में जाना जाता है, तेजी से लोकप्रिय होती डिजिटल संपत्तियां हैं। ये मूल्य का एक डिजिटल रूप हैं जिनका उपयोग वस्तुओं या सेवाओं के भुगतान, निवेश के साधन, या डिजिटल लेनदेन के अन्य माध्यमों के लिए किया जा सकता है। वर्चुअल एसेट्स, फिएट मुद्राओं (जैसे रुपये, डॉलर) से काफी अलग हैं क्योंकि वे किसी केंद्रीय बैंक या सरकारी संस्था द्वारा जारी या नियंत्रित नहीं होती हैं। इसके बजाय, वे विकेंद्रीकृत नेटवर्क पर निर्भर करती हैं और अक्सर ब्लॉकचेन तकनीक द्वारा संचालित होती हैं।
वर्चुअल एसेट्स विशेषकर निम्न कारणों से आकर्षक हैं:
- विकेंद्रीकरण: वर्चुअल एसेट्स किसी केंद्रीय प्राधिकरण के नियंत्रण से स्वतंत्र हैं, जो पारंपरिक वित्तीय प्रणालियों के मुकाबले अधिक स्वायत्तता और उपयोगकर्ताओं के बीच सीधे लेन-देन की अनुमति देती हैं। इनकी अंतर्निहित ब्लॉकचेन तकनीक विकेंद्रीकृत होती है, जिसका अर्थ है किसी एक संस्था द्वारा नियंत्रित नहीं होती। अधिकारियों के लिए इन्हें ट्रैक करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- पारदर्शिता: ब्लॉकचैन जैसी तकनीक पर आधारित होने के कारण, वर्चुअल एसेट्स से जुड़े लेन-देन अक्सर पारदर्शी होते हैं, जिसे बढ़ी हुई जवाबदेही और कम धोखाधड़ी गतिविधियों की संभावना के रूप में देखा जा सकता है।
- अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के पार उपयोग: वर्चुअल एसेट्स की डिजिटल प्रकृति उन्हें सरलता से अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के पार भेजने की अनुमति देती है, जिससे उन देशों में वित्तीय पहुंच बढ़ सकती है जहां पारंपरिक बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच सीमित है।
- निवेश के अवसर: कुछ वर्चुअल एसेट्स, जैसे बिटकॉइन, में उच्च मूल्य वृद्धि देखी गई है, जो उन्हें निवेशकों के लिए आकर्षक बनाती है।
- गुमनामी: ये एक निश्चित स्तर की गुमनामी प्रदान कर सकती हैं, जो उन्हें आपराधिक उद्देश्यों के लिए आकर्षक बनाती है।
वर्चुअल एसेट्स से जुड़े प्रमुख जोखिम:
वर्चुअल एसेट्स की बढ़ती लोकप्रियता के साथ-साथ, उनकी नियामक चुनौतियां, अवैध गतिविधियों में संभावित दुरुपयोग, और समग्र वित्तीय स्थिरता के प्रभाव सामने आते हैं।
- मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फाइनेंसिंग: वर्चुअल एसेट्स की वितरित प्रकृति और कुछ मामलों में लेनदेन की बढ़ी हुई गुमनामी, उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग तथा आतंकवाद को वित्तपोषित करने जैसी आपराधिक गतिविधियों के लिए आकर्षक बनाती है।
- विभिन्न देशों में असंगत नियम: विश्वस्तर पर वर्चुअल एसेट्स का नियमन अभी विकसित होने के दौर में है। अलग-अलग देशों की विनियामक नीतियों में भिन्नता होने से अपराधियों के लिए न्यायिक क्षेत्रों के बीच अंतर का फायदा उठा कर वैध रूप से काम करने का बहाना बनाते हुए नियमों से बचना आसान हो जाता है।
- तकनीकी जोखिम: वर्चुअल एसेट्स कई तरह से तकनीकी जोखिमों से घिरी हैं। साइबर हमले, सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी, और डिजिटल वॉलेट्स की सुरक्षा से समझौता करने से निवेशकों को भारी वित्तीय नुकसान हो सकता है।
- साइबर अपराध: वर्चुअल एसेट एक्सचेंज और वॉलेट साइबर अपराधियों के लिए प्रमुख लक्ष्य हैं।
- निवेशकों का शोषण: नियामक निरीक्षण के अभाव में गलत सूचना और बाजार में हेरफेर के जरिए बेखबर निवेशकों का इसमें शोषण संभव है।
- मूल्यहीन होने की आशंका: वर्चुअल एसेट्स अत्यधिक अस्थिर होते हैं और इनके मूल्यहीन होने की भी आशंका बनी रहती है।
FATF मानक – एक वैश्विक दृष्टिकोण
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) एक वैश्विक, अंतर-सरकारी संगठन है जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए मानक निर्धारित करता है। FATF ने वर्चुअल एसेट्स तथा वर्चुअल एसेट्स सर्विस प्रोवाइडर्स (VASPs) को लेकर सुझाव जारी किए हैं जो इन एसेट्स के दुरुपयोग को रोकने में देशों का मार्गदर्शन करते हैं।
FATF मानकों के मुख्य क्षेत्र
- जोखिम आधारित दृष्टिकोण: वर्चुअल एसेट सेक्टर से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फाइनेंसिंग के जोखिमों को पूरी तरह से समझना, और इन जोखिमों को कम करने के लिए उपयुक्त उपाय करना।
- VASPs का लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन: यह सुनिश्चित करना कि वर्चुअल एसेट्स सर्विस प्रोवाइडर्स को लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता है, ताकि उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके तथा गैर-कानूनी क्रियाकलापों में उनकी संलिप्तता पर लगाम लगाई जा सके।
- VASPs की निगरानी: अन्य वित्तीय संस्थानों की तरह ही वर्चुअल एसेट्स सेक्टर की निगरानी सुनिश्चित करना।
- ग्राहक पहचान (KYC): VASPs को अपने ग्राहकों के बारे में जानकारी एकत्र करने और उनकी पहचान सत्यापित करने हेतु ‘ग्राहक को जानें’ (KYC) प्रक्रिया को लागू करने की आवश्यकता है।
- रिकॉर्ड रखना: VASPs द्वारा लेनदेन से संबंधित जानकारी रिकॉर्ड करने और संरक्षित करने के नियम लागू करना, जिससे जरूरत पड़ने पर जांच में आसानी रहे।
- संदिग्ध लेन-देन की रिपोर्टिंग: VASPs को संदिग्ध लेन-देन के बारे में अधिकारियों को रिपोर्ट करने के दायित्वों का पालन करना।
- ‘ट्रैवल नियम’ का अनुपालन: वर्चुअल एसेट्स प्रेषित करने वाले VASPs से किसी लेनदेन के दौरान लाभार्थी और मूल प्रेषक के बारे में जानकारी हासिल करने और साझा करने की अपेक्षा करना।
- सूचना का आदान-प्रदान: FATF मानकों के लिए देशों के बीच वर्चुअल एसेट लेनदेन से संबंधित जानकारी के सहयोग और आदान-प्रदान की आवश्यकता होती है।
भारत में वर्चुअल एसेट्स कानून:
भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) वर्चुअल एसेट्स और क्रिप्टोकरेंसी के बारे में सावधान रहे हैं। यद्यपि भारत ने क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया है, लेकिन देश में इसके विनियमन के लिए एक स्पष्ट कानूनी ढांचा मौजूद नहीं है। हालांकि, सरकार द्वारा वर्चुअल एसेट्स पर टैक्स लगाने का कदम बाजार को लेकर एक अनिश्चितता पैदा करता है।
फिलहाल, VASPs को मनी लॉन्ड्रिंग रोधी (AML) और KYC नियमों का पालन करना आवश्यक है। भारत सरकार वर्चुअल एसेट्स बाजार के समग्र विनियमन के लिए एक व्यापक रूपरेखा विकसित करने की दिशा में काम कर रही है।
- करारोपण: भारत के 2022 के बजट में वर्चुअल एसेट्स हस्तांतरण पर 30% कर लगाया गया।
- भारतीय रिज़र्व बैंक का रुख: RBI ने क्रिप्टोकरेंसी अपनाने के खिलाफ लगातार चेतावनी जारीकी है, ये तर्क देते हुए कि वे देश की वित्तीय स्थिरता केलिए जोखिम पैदा करते हैं।
- CBDC की दिशा में कदम: RBI ने अपनी डिजिटल मुद्रा, सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के साथ प्रयोग करना शुरू कर दिया है। इसे वर्चुअल एसेट्स केअनियमित उपयोग के सुरक्षित विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
FATF मूल्यांकन में भारत:
- VASPs का निरीक्षण: भारत में VASPs की निगरानी या तो की जा चुकी है या उन्हें वर्तमान निरीक्षण योजनाओं के तहत लाया जा रहा है।
- प्रवर्तन कार्रवाई: कई VASPs के खिलाफ प्रवर्तन कार्रवाई या अन्य नियामक कार्रवाई की गई है।
- ‘ट्रैवल रुल’ से संबंधित कानून: VASPs के लिए ‘ट्रैवल रुल’ (Travel Rule) संबंधी विधेयकों को पारित किया गया है या नियम विकसित किए गए हैं।
आगे का रास्ता:
वर्चुअल एसेट्स तकनीकी नवाचार का एक रोमांचक क्षेत्र है और इसमें वैश्विक अर्थव्यवस्था को बदलने की क्षमता है। हालांकि, उनके उपयोग से जुड़े अपराधों को समाप्त किए बिना इस क्षेत्र की पूरी क्षमता का उपयोग नहीं किया जा सकता है। FATF मानकों के प्रभावी कार्यान्वयन से इस क्षेत्र को वैधता प्रदान करने और अपराध को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका मिलेगी।
निष्कर्ष:
हालांकि भारत ने FATF मानकों के कार्यान्वयन में प्रगति की है, फिर भी वर्चुअल एसेट्स के दुरुपयोग को रोकने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने बाकी हैं। इनमें VASPs के लिए लाइसेंसिंग या पंजीकरण प्रणाली को मजबूत करना, इस क्षेत्रक की निगरानी के लिए एक प्रभावी ढांचा स्थापित करना और वर्चुअल एसेट्स से जुड़े अपराधों के लिए कठोर दंड का प्रावधान करना शामिल है।
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