नए साल के पहले दिन, 1 जनवरी 2024 को जापान के पश्चिमी तट पर आए एक शक्तिशाली भूकंप और सुनामी ने देश को झकझोर कर रख दिया। इशिकावा प्रांत के नोटो प्रायद्वीप के पास केंद्रित 7.6 तीव्रता के इस भूकंप ने इशिकावा, निगाता और टोयामा प्रांतों में भारी तबाही मचाई।
भूकंप के झटके इतने तेज थे कि घरों की दीवारें दरक गईं, बिजली के तार टूट गए और हड़कंप मच गया। इस भयानक कंपन के बाद एक और खतरा मंडराने लगा – सुनामी का। मौसम विभाग ने तुरंत चेतावनी जारी कर दी, लोगों को सुरक्षित ऊंचाई पर जाने के लिए कहा गया।

भूकंप और सुनामी का सबसे ज्यादा प्रकोप इशिकावा प्रांत पर पड़ा। वाजिमा शहर पूरी तरह तबाह हो गया। 12 फीट (3.6 मीटर) तक ऊंची लहरों ने तटीय इलाकों पर कहर बरपाया, घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को नष्ट कर दिया। सड़कें बह गईं, पुल टूट गए और पानी में तैरते मलबे का तांडव शुरू हो गया।

राहत और बचाव कार्य जारी हैं। आपदा प्रबंधन टीमें और बचाव दल मलबे में दबे लोगों की तलाश में जुटे हैं। घायलों को अस्पतालों में पहुंचाया गया है और विस्थापितों के लिए राहत शिविर बनाए गए हैं।
भूकंप के कारण इशिकावा में 32,500 से अधिक घरों में बिजली गुल हो गई है। पानी की पाइपलाइनों को भी नुकसान पहुंचा है, जिससे लोगों को पीने के साफ पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।

भूकंप के बाद परमाणु संकट की आशंका भी लोगों के मन में घर कर गई थी। हालांकि, अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि फुकुशिमा और अन्य परमाणु संयंत्रों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है और किसी रेडियोधर्मी रिसाव का खतरा नहीं है।
जापान को इस विनाशकारी भूकंप और सुनामी से उबरने में काफी समय और संसाधन लगेंगे। क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे को फिर से खड़ा करना, अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना और लोगों का मनोबल बढ़ाना ये आने वाली बड़ी चुनौतियां हैं।
यह भूकंप और सुनामी जापान के लिए एक और बड़ी चुनौती है। इसने देश को एक बार फिर याद दिलाया है कि प्राकृतिक आपदाओं के सामने हम कितने नाजुक हैं। हमें इस घटना से सबक सीखना चाहिए और भविष्य में होने वाली ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए।