Ethanol 100: Key to a Clean and Self-Reliant Energy Future; इथेनॉल 100: स्वच्छ और आत्मनिर्भर ऊर्जा भविष्य की कुंजी:

पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा इथेनॉल 100 ईंधन को लॉन्च करना भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए एक क्रांतिकारी कदम है। यह ईंधन न केवल देश की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि हरित एवं स्वच्छ विकास के मार्ग को भी प्रशस्त करेगा, जिससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आएगी और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। आइए जानते हैं इथेनॉल 100 ईंधन की विशेषताओं, भारत के लिए इसके महत्व और देश की ऊर्जा सुरक्षा एवं आर्थिक विकास पर इसके प्रभाव के बारे में।

इथेनॉल 100 के बारे में:

इथेनॉल 100 एक अक्षय ऊर्जा स्रोत है, जिसे गन्ने, मकई, और अन्य जैव-आधारित सामग्री जैसे कृषि उत्पादों के किण्वन (fermentation) से प्राप्त किया जाता है। यह पारंपरिक पेट्रोल का एक स्वच्छ और हरित विकल्प है, जिसमें 92-94 प्रतिशत इथेनॉल, 4-5 प्रतिशत मोटर स्पिरिट (फ्लेम को दृश्यमान बनाने के लिए) और 1.5 प्रतिशत सह-विलायक हायर सैचुरेटेड अल्कोहल का मिश्रण होता है।

भारत में, सरकार द्वारा इथेनॉल 100 को बढ़ावा देने का उद्देश्य देश की जीवाश्म ईंधन निर्भरता को कम करना, पर्यावरणीय प्रभाव को सकारात्मक रूप से प्रभावित करना और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को मजबूत करना है। आइए, इथेनॉल 100 को बेहतर ढंग से समझने के लिए इसके मुख्य लाभों पर एक नज़र डालें:

इथेनॉल 100 के लाभ:

  • वातावरण के अनुकूल (Eco-friendly): इथेनॉल 100 पर्यावरण के लिए एक बेहतर ईंधन विकल्प है क्योंकि यह वाहनों से होने वाले ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन को कम करता है। ‘वेल टू व्हील’ के आधार पर, यह लगभग 63% तक उत्सर्जन को कम करता है। ‘वेल टू व्हील’ उत्सर्जन में ईंधन के पूरे जीवन-चक्र के उत्सर्जन को शामिल किया जाता है, यानी ईंधन उत्पादन, प्रसंस्करण, वितरण और उपयोग तक।
  • उच्च ऑक्टेन रेटिंग: इथेनॉल की उच्च ऑक्टेन संख्या होती है, जिसका अर्थ है कि यह उच्च-संपीड़न (high-compression) वाले इंजनों में उपयोग के लिए अधिक उपयुक्त है। यह आज की उच्च प्रदर्शन वाली कारों और मोटरसाइकिलों के लिए अनुकूल है, जिससे बेहतर दक्षता और पावर आउटपुट मिलता है।
  • आयात पर निर्भरता में कमी: भारत अपनी तेल आवश्यकताओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा आयात करता है, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव पड़ता है और अर्थव्यवस्था की बाहरी झटकों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है। इथेनॉल 100 स्वदेशी है, इसलिए इसका व्यापक उत्पादन और उपयोग क्रूड आयल के आयात को कम करके ऊर्जा सुरक्षा बढ़ा सकता है। इससे विदेशी मुद्रा की बचत होती है और देश के भीतर आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ती हैं।
  • आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा : स्वदेशी रूप से निर्मित इथेनॉल 100 ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का एक महत्वपूर्ण घटक है। देश में इथेनॉल 100 के उत्पादन, वितरण और उपयोग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इथेनॉल उत्पादन सुविधाओं में, ईंधन के परिवहन में, वाहन अनुकूलन क्षेत्र (vehicle retrofitting) में और इथेनॉल से जुड़े अन्य उद्योगों में काम मिलने की संभावना बढ़ेगी।
  • किसानों के लिए आय में वृद्धि : इथेनॉल के उत्पादन में गन्ना, मक्का और अन्य कृषि उत्पादों का उपयोग किया जाता है। इथेनॉल 100 को प्रोत्साहन देने से किसानों की आय बढ़ाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की अपार संभावना है।

इथेनॉल 100 ईंधन अपनाने में चुनौतियाँ:

हालाँकि इथेनॉल 100 एक आशाजनक ईंधन विकल्प है, लेकिन इसके व्यापक उपयोग के लिए कुछ चुनौतियों को दूर करने की आवश्यकता है:

  • इंजन संगतता: सभी मौजूदा वाहन इथेनॉल 100 के साथ संगत नहीं हैं। वाहनों में ईंधन प्रणाली (fuel system) से जुड़े कुछ बदलाव आवश्यक हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इथेनॉल 100 का उपयोग कुशल और इंजनों को नुकसान पहुँचाए बिना हो सके।
  • इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता: इथेनॉल 100 के वितरण और भंडारण के लिए विशेष इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता होती है क्योंकि इथेनॉल पारंपरिक ईंधन की तुलना में जंग (corrosion) का कारक हो सकता है।
  • लागत-प्रभावशीलता: इथेनॉल 100 का उत्पादन वर्तमान में पारंपरिक ईंधन की तुलना में थोड़ा अधिक महंगा हो सकता है। लागत-प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए उत्पादन बढ़ाने और नए तकनीकी नवाचारों की आवश्यकता होगी।

भारत में इथेनॉल उत्पादन की वर्तमान स्थिति:

वर्तमान में, भारत गैसोलीन में इथेनॉल के सम्मिश्रण के लिए गन्ने के रस और अनाज-आधारित आसवनियों (distilleries) का उपयोग करता है। सरकार ने 2025 तक 20% इथेनॉल सम्मिश्रण प्राप्त करने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है, जो इथेनॉल 100 की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, सरकार इथेनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने और बायोमास से इथेनॉल के उत्पादन के लिए नई प्रौद्योगिकियों के विकास में निवेश कर रही है।

भारत की बढ़ती ऊर्जा मांग और पर्यावरणीय चिंताओं के कारण इथेनॉल 100 देश के ऊर्जा भविष्य के लिए एक आवश्यक अंग है। इसमें न केवल भारत को अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में आत्मनिर्भर बनाने की क्षमता है, बल्कि यह स्थायी विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने, वायु प्रदूषण को कम करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

सरकार के प्रयास:

भारत में इथेनॉल 100 को बढ़ावा देने के लिए सरकार के प्रयासों में शामिल हैं:

  • राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति: इस नीति का उद्देश्य इथेनॉल उत्पादन क्षमता में वृद्धि, सम्मिश्रण लक्ष्यों को बढ़ाना और बायोमास से इथेनॉल के उत्पादन के लिए नई प्रौद्योगिकियों में निवेश करना है।
  • इथेनॉल उत्पादन के लिए ब्याज सबवेंशन: सरकार इथेनॉल उत्पादन क्षमता में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए ब्याज सबवेंशन प्रदान करती है।
  • सहायक विनियमन: सरकार ने इथेनॉल सम्मिश्रण को अनिवार्य करने और इथेनॉल 100 वितरण के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विनियमों को लागू किया है।
  • इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम (EBP): यह कार्यक्रम पेट्रोल में इथेनॉल के मिश्रण के लिए एक अनिवार्य लक्ष्य निर्धारित करता है। इसका लक्ष्य 2025 तक 20% इथेनॉल सम्मिश्रण प्राप्त करना है।

इथेनॉल 100 कीमत:

E100 की कीमत अभी पेट्रोल के समान है – दिल्ली में 94.72 रुपये/लीटर, महाराष्ट्र में 104.21 रुपये/लीटर और चेन्नई में 100.75 रुपये/लीटर। हालांकि, जैसे-जैसे इसका उपयोग बढ़ेगा, इथेनॉल की कम लागत के कारण E100 निश्चित रूप से पेट्रोल या डीजल से सस्ता हो जाएगा। सरकार जैव ईंधन को बढ़ावा देकर कच्चे तेल के आयात को कम करना चाहती है, जिससे E100 की लागत और कम होने की संभावना है। इथेनॉल का उत्पादन कृषि से होता है, जो किसानों के लिए अतिरिक्त आय का जरिया भी है।

निष्कर्ष:

इथेनॉल 100 स्वच्छ ऊर्जा और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अभिनव कदम है। यदि इसे सफलतापूर्वक अपनाया जाता है, तो यह भारत के ऊर्जा परिदृश्य को बदल सकता है, और देश को ऊर्जा सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास के रास्ते पर आगे बढ़ने में सक्षम बनाता है।

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