EU Launches Investigation into Meta Platforms for Child Safety Violations Under DSA; बाल सुरक्षा के उल्लंघन पर EU की मेटा प्लेटफ़ार्म की जांच: क्या कहता है डिजिटल सर्विस एक्ट?

यूरोपीय संघ (EU) ने मेटा कंपनी के फेसबुक और इंस्टाग्राम प्लेटफ़ार्म पर बाल सुरक्षा के मुद्दे पर गंभीर चिंता जताई है और इसके तहत जांच शुरू की है। EU का मानना है कि मेटा ने डिजिटल सर्विस एक्ट (Digital Services Act – DSA) का उल्लंघन किया है। यह एक्ट ऑनलाइन प्लेटफार्म्स को अधिक जिम्मेदार और उत्तरदायी बनाता है और उन्हें ऑनलाइन दुष्प्रचार, शॉपिंग स्कैम्स, बाल शोषण और अन्य हानिकारक कंटेंट के लिए उत्तरदायी ठहराता है।

डिजिटल सर्विस एक्ट (DSA) के बारे में:

डिजिटल सर्विस एक्ट (DSA) पिछले साल अस्तित्व में आया था। इसका मुख्य उद्देश्य इंटरनेट पर मौजूद हानिकारक और अवांछनीय सामग्री को नियंत्रित करना और डिजिटल प्लेटफ़ार्म्स को जिम्मेदार बनाना है। इसके तहत कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होता है कि उनके प्लेटफ़ार्म पर किसी भी प्रकार का अवैध या हानिकारक कंटेंट ना हो।

DSA के प्रमुख बिंदु:

  1. ऑनलाइन दुष्प्रचार और शॉपिंग स्कैम्स पर रोक: DSA के तहत, कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होता है कि उनके प्लेटफ़ार्म पर कोई भी धोखाधड़ी या गलत जानकारी न फैलाई जाए।
  2. बाल शोषण से सुरक्षा: DSA का एक महत्वपूर्ण पहलू बाल शोषण सामग्री को रोकना है। कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होता है कि उनके प्लेटफ़ार्म पर बाल शोषण सामग्री न हो और वे इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।
  3. उत्तरदायित्व: DSA कंपनियों को उनके प्लेटफ़ार्म पर होने वाली सभी गतिविधियों के लिए उत्तरदायी बनाता है और उन्हें अपने यूजर्स की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता होती है।

मेटा प्लेटफ़ार्म के विरुद्ध जांच के कारण:

मेटा प्लेटफ़ार्म के एज-वेरिफिकेशन टूल को लेकर कुछ चिंताएं जाहिर की गई हैं। फेसबुक और इंस्टाग्राम का उपयोग करने के लिए यूजर्स की आयु कम से कम 13 वर्ष होनी चाहिए। हालांकि, इन प्लेटफॉर्म्स पर बाल सुरक्षा के मानकों का पालन नहीं करने के आरोप हैं।

प्रमुख चिंताएं:

एज-वेरिफिकेशन टूल:
मेटा प्लेटफ़ार्म के एज-वेरिफिकेशन टूल को लेकर संदेह है कि यह सही तरीके से काम नहीं कर रहा है, जिससे नाबालिग यूजर्स इन प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर सकते हैं।

बच्चों की सुभेद्यता:
इन प्लेटफॉर्म्स के जरिए बच्चों की सुभेद्यता और अनुभवहीनता का फायदा उठाया जा सकता है, जिससे वे नशे की लत के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं।

रैबिट होल इफेक्ट:
डिस्टर्बिंग या विचलित करने वाले कंटेंट का सुझाव बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इससे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

सोशल मीडिया का बच्चों पर प्रभाव:

सोशल मीडिया का बच्चों पर कई तरह का प्रभाव पड़ सकता है:

साइबर बुलिंग और ऑनलाइन उत्पीड़न:
साइबर बुलिंग और ऑनलाइन उत्पीड़न से बच्चों में भावनात्मक समस्याएं, एंजाइटी और अवसाद हो सकता है। यह उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

माता-पिता के दुलार के बीच मोबाइल फोन:
बच्चों को दुलार करने से बॉन्डिंग हार्मोन ऑक्सीटोसिन रिलीज होता है, जो बच्चों को तनाव से निपटने में मदद करता है। हालांकि, मोबाइल फोन का अत्यधिक उपयोग इस बॉन्डिंग को प्रभावित कर सकता है।

अत्यधिक स्क्रीन टाइम:
अत्यधिक स्क्रीन टाइम के चलते बच्चों में खुले में कम खेलना, खराब स्लीप पैटर्न और मोटापा, मधुमेह जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

आभासी दुनिया को हकीकत समझना:
बच्चों को यह तय करने में कठिनाई हो सकती है कि क्या सामान्य है और क्या असामान्य। यह उनकी निर्णय लेने की क्षमता और वास्तविकता की समझ को प्रभावित कर सकता है।

रचनात्मकता क्षमता में वृद्धि:
सोशल मीडिया पर बच्चे अपनी रचनात्मकता व्यक्त कर सकते हैं, अपने विचार साझा कर सकते हैं और विभिन्न माध्यमों से अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन कर सकते हैं।

ऑनलाइन स्पेस में बच्चों की सुरक्षा के लिए भारत सरकार की पहलें:

भारत सरकार ने ऑनलाइन स्पेस में बच्चों की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं:

सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2000 की धारा 67B:
इसमें बाल यौन शोषण से जुड़े कंटेंट को ऑनलाइन प्रकाशित या प्रसारित करने या देखने पर सख्त सजा का प्रावधान है।

सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021:
इसके जरिए यूजर्स अपनी ऑनलाइन सुरक्षा के मामले में सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्म को जवाबदेह ठहरा सकते हैं।

डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023:
इसमें किसी बच्चे के व्यक्तिगत डेटा को प्रोसेस करने से पहले उस बच्चे के कानूनी अभिभावक से सत्यापन योग्य सहमति लेना अनिवार्य किया गया है।

निष्कर्ष:

EU द्वारा मेटा प्लेटफ़ार्म की जांच बाल सुरक्षा के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण कदम है। डिजिटल सर्विस एक्ट (DSA) के तहत कंपनियों को ऑनलाइन हानिकारक कंटेंट के लिए उत्तरदायी ठहराना आवश्यक है। बाल सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल प्लेटफ़ार्म्स को अपनी नीतियों और प्रक्रियाओं में सुधार करना चाहिए। इसके अलावा, सरकारों को भी सख्त कानून और नीतियों का पालन सुनिश्चित करना चाहिए ताकि बच्चों को ऑनलाइन स्पेस में सुरक्षित रखा जा सके।

बाल सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और मजबूत नीतियों की आवश्यकता है। मेटा और अन्य डिजिटल प्लेटफ़ार्म्स को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे अपने यूजर्स, विशेष रूप से बच्चों, की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं।

FAQs:

यूरोपीय संघ (EU) मेटा प्लेटफ़ार्म की जांच क्यों कर रहा है?

यूरोपीय संघ (EU) मेटा के फेसबुक और इंस्टाग्राम प्लेटफ़ार्म की जांच बाल सुरक्षा के मुद्दे पर कर रहा है। EU ने आशंका जताई है कि मेटा ने डिजिटल सर्विस एक्ट (DSA) का उल्लंघन किया है, जो ऑनलाइन हानिकारक कंटेंट को रोकने के लिए कंपनियों को उत्तरदायी बनाता है।

डिजिटल सर्विस एक्ट (DSA) क्या है?

डिजिटल सर्विस एक्ट (DSA) एक कानून है जो ऑनलाइन प्लेटफ़ार्म्स को अधिक जिम्मेदार और उत्तरदायी बनाता है। इसके तहत कंपनियों को ऑनलाइन दुष्प्रचार, शॉपिंग स्कैम्स, बाल शोषण और अन्य हानिकारक कंटेंट के लिए उत्तरदायी ठहराया जाता है।

मेटा प्लेटफ़ार्म पर जांच की प्रमुख चिंताएं क्या हैं?

मेटा प्लेटफ़ार्म पर जांच की प्रमुख चिंताएं हैं:
1 एज-वेरिफिकेशन टूल का सही तरीके से काम न करना।
2 बच्चों की सुभेद्यता का फायदा उठाया जाना।
3 रैबिट होल इफेक्ट के चलते डिस्टर्बिंग कंटेंट का सुझाव मिलना।

सोशल मीडिया का बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ता है?

सोशल मीडिया का बच्चों पर कई तरह का प्रभाव पड़ता है, जैसे:
1 साइबर बुलिंग और ऑनलाइन उत्पीड़न
2 अत्यधिक स्क्रीन टाइम के कारण स्वास्थ्य समस्याएं
3 आभासी दुनिया को हकीकत समझना
4 रचनात्मकता क्षमता में वृद्धि

भारत सरकार ने ऑनलाइन स्पेस में बच्चों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए हैं?

भारत सरकार ने ऑनलाइन स्पेस में बच्चों की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं:
1 सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2000 की धारा 67B
2 सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021
3 डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023

रैबिट होल इफेक्ट क्या है?

रैबिट होल इफेक्ट एक स्थिति है जिसमें किसी उपयोगकर्ता को एक प्रकार का कंटेंट देखने के बाद उसी प्रकार का और अधिक कंटेंट सुझाया जाता है, जिससे उपयोगकर्ता उस कंटेंट में और अधिक डूब जाता है। यह बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

डिजिटल प्लेटफ़ार्म्स के लिए DSA के तहत क्या जिम्मेदारियां हैं?

DSA के तहत डिजिटल प्लेटफ़ार्म्स को यह सुनिश्चित करना होता है कि उनके प्लेटफ़ार्म पर किसी भी प्रकार का अवैध या हानिकारक कंटेंट न हो और वे इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। उन्हें यूजर्स की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होती है और हानिकारक सामग्री को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने होते हैं।

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