FAO Releases ‘State of the World’s Forests 2024’ Report: Accelerating Forest Solutions through Innovation; FAO ने ‘स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स फॉरेस्ट्स 2024’ रिपोर्ट जारी की: नवाचार के माध्यम से वन संरक्षण में तेजी

खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने हाल ही में ‘स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स फॉरेस्ट्स 2024’ रिपोर्ट जारी की है। इस वर्ष की रिपोर्ट की थीम है: “नवाचार के माध्यम से वन समाधानों में तेजी लाना“। यह रिपोर्ट वैश्विक वनों की स्थिति और उनके संरक्षण के लिए नवाचार की आवश्यकता पर जोर देती है।

स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स फॉरेस्ट्स 2024 रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र:

वनों की कटाई की दर:

    • 1990-2000 में वनों की कटाई की दर 15.8 मिलियन हेक्टेयर प्रति वर्ष थी, जो 2015-2020 में घटकर 10.2 मिलियन हेक्टेयर प्रति वर्ष हो गई थी। यह दर्शाता है कि वनों की कटाई की गति में सुधार हुआ है, लेकिन इसे और अधिक घटाने की आवश्यकता है।

    भारत की स्थिति:

      • वर्ष 2010-2020 के बीच वन क्षेत्र में औसत वार्षिक निवल वृद्धि के मामले में भारत तीसरे स्थान पर रहा।
      • भारत में गैर-काष्ठ (Non-Timber) वनोत्पाद लगभग 275 मिलियन लोगों की आजीविका का आधार हैं, जो यह दर्शाता है कि वन उत्पादों का आर्थिक महत्व कितना व्यापक है।

      वन क्षेत्र में नवाचार की आवश्यकता:

      जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न संकट:

        • जलवायु परिवर्तन के प्रभाव जैसे जंगल की आग, कीट हमले आदि की बढ़ती घटनाओं से निपटने के लिए नई वन एवं भूमि प्रबंधन रणनीतियों को अपनाने की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करेगा कि वन इन संकटों से सुरक्षित रहें और उनकी जैव विविधता संरक्षित रहे।

        जैव-अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ना:

          • शून्य कार्बन उत्सर्जन करने वाली जैव-अर्थव्यवस्था (Bioeconomy) को बढ़ावा देने हेतु काष्ठ-आधारित वनोत्पादों के विविध और दक्षतापूर्वक उपयोग में नवाचार की आवश्यकता है। जैव-अर्थव्यवस्था का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों का जिम्मेदारीपूर्वक उपयोग करना और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है।
            • जैव-अर्थव्यवस्था वास्तव में वनस्पतियों, जीवों और समुद्री जीवों जैसे प्राकृतिक संसाधनों का जिम्मेदारीपूर्वक उपयोग करना है। साथ ही, यह विविध उद्योगों में आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए जैविक ज्ञान का उपयोग करना है।

          गैर-काष्ठ वनोत्पादों में अवसर:

            • जंगलों से प्राप्त खाद्य पदार्थों में प्रचुर मात्रा में सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं और ये उच्च पोषण सामग्री के स्रोत हैं। इन उत्पादों का उपयोग बढ़ाने के लिए नवाचार आवश्यक है, जिससे स्थानीय समुदायों की आजीविका में सुधार हो सके।

            नवाचार के प्रकार:

            तकनीकी नवाचार:

              • रिमोट-सेंसिंग और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी तकनीकों का उपयोग वनों से संबंधित उच्च गुणवत्ता वाले डेटा एकत्रित करने के लिए किया जा रहा है। इस डेटा का उपयोग वनों के प्रबंधन में सुधार के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, नासा के लैंडसैट और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के कोपरनिकस कार्यक्रम से प्राप्त डेटा का उपयोग।

              सामाजिक, नीतिगत और संस्थागत नवाचार:

                • महिलाओं, युवाओं एवं मूलवासी लोगों की भागीदारी बढ़ानी चाहिए। उदाहरण के लिए, भारत के संयुक्त वन प्रबंधन कार्यक्रम ने वन से संबंधित समितियों में महिलाओं को 1/3 प्रतिनिधित्व देना अनिवार्य किया है।

                वित्तीय नवाचार:

                  • वनों के मूल्य में वृद्धि करने, प्राकृतिक स्थिति को बहाल करने के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए नवाचार की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, स्क्रिप्ट (SCRIPT) जैसे नवाचार।

                  वन क्षेत्र में नवाचार की बाधाएं:

                  नवाचार संस्कृति का अभाव:

                    • यह जिज्ञासा, रचनात्मकता एवं जोखिम लेने के प्रयासों को हतोत्साहित करता है।

                    अलग-अलग प्रकार की पूंजी की कमी:

                      • मानव पूंजी की कमी (कौशल की कमी), प्राकृतिक पूंजी की कमी (वन संसाधनों तक सीमित पहुंच), सामाजिक पूंजी की कमी (सीमित भू-धारण अधिकार) आदि नवाचार को बाधित करती हैं।

                      नीतिगत समर्थन का अभाव:

                        • नीतिगत समर्थन नहीं मिलने से नई प्रौद्योगिकी को अपनाने की दर धीमी रहती है।

                        नवाचार को बढ़ावा देने के लिए सिफारिशें:

                        नवाचारों को मान्यता और पुरस्कार:

                          • नवाचारों को मान्यता देने एवं पुरस्कृत करने से नवाचार अनुकूल संस्कृति को बढ़ावा मिल सकता है।

                          हितधारकों के कौशल, क्षमता और ज्ञान का विकास:

                            • वन-क्षेत्र से जुड़े हितधारकों के कौशल, क्षमता और ज्ञान को बढ़ावा देना चाहिए। इससे हितधारकों में नवाचारों के विकास एवं उन्हें अपनाने व प्रबंधन करने की क्षमता बढ़ेगी।

                            ज्ञान और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के अवसर:

                              • ज्ञान और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के अवसर प्रदान करने चाहिए। साथ ही, समुचित सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने चाहिए।

                              वित्तीय संसाधनों की प्राप्ति को आसान बनाना:

                                • सभी के लिए वित्तीय संसाधनों की प्राप्ति को आसान बनाना चाहिए।

                                निष्कर्ष:

                                स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स फॉरेस्ट्स 2024‘ रिपोर्ट वनों की स्थिति और उनके संरक्षण के लिए नवाचार की आवश्यकता को उजागर करती है। नवाचार के माध्यम से वन समाधानों में तेजी लाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि वनों की कटाई को रोका जा सके और वनों का सतत प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सके। FAO की यह रिपोर्ट वन प्रबंधन में सुधार और जैव-अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण दिशा निर्देश प्रदान करती है।

                                FAQs:

                                ‘स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स फॉरेस्ट्स 2024’ रिपोर्ट की थीम क्या है?

                                इस वर्ष की रिपोर्ट की थीम है “नवाचार के माध्यम से वन समाधानों में तेजी लाना”।

                                वनों की कटाई की दर में क्या बदलाव देखा गया है?

                                1990-2000 में वनों की कटाई की दर 15.8 मिलियन हेक्टेयर प्रति वर्ष थी, जो 2015-2020 में घटकर 10.2 मिलियन हेक्टेयर प्रति वर्ष हो गई थी।

                                भारत की स्थिति क्या है इस रिपोर्ट में?

                                वर्ष 2010-2020 के बीच वन क्षेत्र में औसत वार्षिक निवल वृद्धि के मामले में भारत तीसरे स्थान पर रहा। इसके अलावा, भारत में गैर-काष्ठ वनोत्पाद लगभग 275 मिलियन लोगों की आजीविका का आधार हैं।

                                वन क्षेत्र में नवाचार की बाधाएं क्या हैं?

                                नवाचार संस्कृति का अभाव, अलग-अलग प्रकार की पूंजी की कमी, और नीतिगत समर्थन का अभाव मुख्य बाधाएं हैं।

                                नवाचार को बढ़ावा देने के लिए क्या सिफारिशें की गई हैं?

                                नवाचारों को मान्यता और पुरस्कार देना, हितधारकों के कौशल, क्षमता और ज्ञान का विकास करना, ज्ञान और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के अवसर प्रदान करना, और वित्तीय संसाधनों की प्राप्ति को आसान बनाना शामिल हैं।

                                जैव-अर्थव्यवस्था क्या है?

                                जैव-अर्थव्यवस्था का उद्देश्य वनस्पतियों, जीवों और समुद्री जीवों जैसे प्राकृतिक संसाधनों का जिम्मेदारीपूर्वक उपयोग करना और विविध उद्योगों में आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है।

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