G-7 Summit 2024: Discussions from Food Security to AI; G-7 शिखर सम्मेलन 2024: खाद्य सुरक्षा से लेकर AI तक की चर्चा:

50वां “ग्रुप ऑफ सेवन (G-7)” शिखर सम्मेलन इटली के अपुलिया में आयोजित किया गया, जिसमें प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की गई। इस शिखर सम्मेलन में भारत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऊर्जा, अफ्रीका और भूमध्यसागरीय क्षेत्र विषयों पर G-7 आउटरीच सत्र में भाग लिया। शिखर सम्मेलन के प्रमुख परिणामों में G-7 अपुलिया खाद्य प्रणाली पहल (AFSI) का शुभारंभ, वैश्विक अवसंरचना निवेश के लिए भागीदारी (PGII) पहल की घोषणा, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर अंतर्राष्ट्रीय आचार संहिता का विकास शामिल हैं। यह लेख 50वें G-7 शिखर सम्मेलन के मुख्य परिणामों और इसकी प्रासंगिकता पर विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा।

50वें G-7 शिखर सम्मेलन की महत्वपूर्ण घोषणाएं:

G-7 अपुलिया खाद्य प्रणाली पहल (AFSI) का शुभारंभ

इस पहल का उद्देश्य खाद्य सुरक्षा और पोषण सुनिश्चित करने में आ रही संरचनात्मक बाधाओं को दूर करने के प्रयासों को तेज करना है। AFSI के माध्यम से, G-7 देशों ने यह सुनिश्चित करने का संकल्प लिया है कि सभी लोगों को पर्याप्त और पोषक भोजन मिल सके।

वैश्विक अवसंरचना निवेश के लिए भागीदारी (PGII) पहल की घोषणा

PGII के माध्यम से, 2027 तक 600 बिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि जुटाई जाएगी। यह G-7 देशों की संयुक्त पहल है, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक और निजी निवेश के जरिए विकासशील देशों में अवसंरचना परियोजनाओं को वित्त-पोषित करना है। इस पहल का मकसद विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करना और वैश्विक आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर घोषणा

“उन्नत AI सिस्टम विकसित करने वाले संगठनों के लिए अंतर्राष्ट्रीय आचार संहिता” को लागू करने में सहायता करने के लिए एक ब्रांड विकसित करने की घोषणा की गई। यह पहल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सुरक्षित और नैतिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है।

G-7 शिखर सम्मेलन के बारे में:

G-7 एक अनौपचारिक अंतर्राष्ट्रीय फोरम है, जो इटली, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, जापान, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका को विभिन्न विषयों पर चर्चा करने के लिए एक साथ लाता है। इसके अलावा, यूरोपीय संघ भी इस शिखर सम्मेलन में भाग लेता है। इस संगठन की स्थापना 1973 के ऊर्जा संकट से निपटने के लिए की गई थी और इसका पहला शिखर सम्मेलन 1975 में आयोजित किया गया था।

1997 से 2013 तक रूस भी इसका सदस्य था और तब इसे G-8 कहा जाता था। हालांकि, 2014 में क्रीमिया के विलय के बाद रूस की सदस्यता निलंबित कर दी गई। तब से यह G-7 के रूप में आयोजित होता रहा है। इस संगठन की कोई स्थायी प्रशासनिक संरचना नहीं है।

वर्तमान में G-7 की प्रासंगिकता:

G-7 के सदस्य देशों की सामूहिक आर्थिक शक्ति काफी मजबूत है। यह आर्थिक शक्ति उन्हें वैश्विक आर्थिक नीतियों को दिशा देने, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय विनियमनों का समन्वय करने तथा व्यापार असंतुलन, मुद्रा में उतार-चढ़ाव और वित्तीय संकट जैसी आर्थिक चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम बनाती है।

चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) की प्रतिक्रिया में वैश्विक अवसंरचना निवेश के लिए भागीदारी (PGII) की शुरुआत भी इस समूह की प्रासंगिकता को दर्शाती है। इसके अलावा, इस संगठन ने फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) जैसे अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

निष्कर्ष:

50वें G-7 शिखर सम्मेलन ने वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श और महत्वपूर्ण पहलों की घोषणा के साथ अपने उद्देश्य को पूरा किया। यह सम्मेलन वैश्विक आर्थिक स्थिरता और विकास के लिए सदस्य देशों की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। G-7 की यह बैठक वैश्विक आर्थिक नीतियों को दिशा देने और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

यह सम्मेलन यह साबित करता है कि G-7 समूह आज भी वैश्विक अर्थव्यवस्था और राजनीति में एक प्रभावशाली शक्ति है, जो वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए तत्पर है।

FAQs:

50वां G-7 शिखर सम्मेलन कहां आयोजित किया गया था?

50वां G-7 शिखर सम्मेलन इटली के अपुलिया में आयोजित किया गया था।

G-7 शिखर सम्मेलन की स्थापना कब और क्यों की गई थी?

G-7 की स्थापना 1973 के ऊर्जा संकट से निपटने के लिए आर्थिक और वित्तीय सहयोग के उद्देश्य से की गई थी। इसका पहला शिखर सम्मेलन 1975 में आयोजित किया गया था।

G-7 के वर्तमान सदस्य कौन-कौन से हैं?

वर्तमान G-7 सदस्य देश इटली, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, जापान, यूनाइटेड किंगडम, और संयुक्त राज्य अमेरिका हैं। यूरोपीय संघ भी इस शिखर सम्मेलन में भाग लेता है।

G-7 की प्रासंगिकता क्या है?

G-7 की सामूहिक आर्थिक शक्ति उन्हें वैश्विक आर्थिक नीतियों को दिशा देने, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय विनियमनों का समन्वय करने, और आर्थिक चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम बनाती है। यह समूह अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

G-7 में रूस की सदस्यता क्यों निलंबित की गई थी?

2014 में क्रीमिया के विलय के बाद रूस की सदस्यता निलंबित कर दी गई थी। तब से G-8 फिर से G-7 बन गया।

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