अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) की वार्षिक “ग्लोबल मीथेन ट्रैकर 2024” रिपोर्ट चौंकाने वाली जानकारी के साथ सामने आई है। यह रिपोर्ट बताती है कि 2023 में ऊर्जा क्षेत्र से मीथेन उत्सर्जन रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो वैश्विक जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में एक गंभीर चुनौती पेश करता है। आइए, रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं, मीथेन के प्रभावों और रोकथाम के तरीकों पर एक नज़र डालें।
मीथेन: एक रंगहीन, गंधहीन लेकिन खतरनाक गैस
- मीथेन (CH4) एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है, जो कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के बाद ग्लोबल वार्मिंग में दूसरी सबसे बड़ी योगदानकर्ता है।
- मीथेन एक अल्पकालिक जलवायु प्रदूषक (SLCP) है, जिसका अर्थ है कि यह वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड से कम समय तक रहती है, लेकिन इसकी वार्मिंग क्षमता बहुत अधिक होती है।
- मीथेन उत्सर्जन, धरातलीय ओजोन के निर्माण में भी एक प्रमुख भूमिका निभाता है, एक ऐसा वायु प्रदूषक जो मनुष्यों, जानवरों और पौधों के स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है।
मीथेन उत्सर्जन के स्रोत
IEA की रिपोर्ट बताती है कि 2023 में मीथेन उत्सर्जन रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया। आइए उन मुख्य स्रोतों पर एक नज़र डालते हैं जहां से मीथेन उत्पन्न होती है:
- जीवाश्म ईंधन: तेल, कोयला और प्राकृतिक गैस सहित ऊर्जा क्षेत्र मीथेन उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत है। इसके अंतर्गत निष्कर्षण, प्रसंस्करण (processing), वितरण और इन ईंधनों के उपयोग के दौरान होने वाले रिसाव शामिल हैं।
- कृषि: पशुधन पाचन और अपशिष्ट अपघटन (decomposition) मीथेन उत्सर्जन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चावल की खेती भी मीथेन का एक प्रमुख स्रोत है।
- अपशिष्ट: लैंडफिल और अपशिष्ट जल उपचार सुविधाओं (wastewater treatment facilities) से मीथेन उत्सर्जन होता है।
- उद्योग: तेल और गैस उत्पादन, सीमेंट निर्माण और रसायन उत्पादन जैसी औद्योगिक प्रक्रियाओं से भी मीथेन उत्सर्जन होता है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
- खतरनाक स्तर पर मीथेन उत्सर्जन: IEA की रिपोर्ट से पता चलता है कि ऊर्जा क्षेत्र से मीथेन उत्सर्जन 2023 में उच्चतम स्तर पर रहा।
- टॉप उत्सर्जकों पर फोकस: जीवाश्म ईंधन से लगभग 70% मीथेन उत्सर्जन के लिए शीर्ष 10 उत्सर्जनकर्ता देश जिम्मेदार हैं। तेल और गैस परिचालन से सबसे अधिक मीथेन उत्सर्जक संयुक्त राज्य अमेरिका है, उसके बाद रूस है, जबकि कोयला क्षेत्र में चीन आगे है।
- मीथेन में कमी का खर्च: मीथेन उत्सर्जन में 75% तक की कटौती लाने के लिए 2030 तक लगभग 170 बिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता होगी। यह निवेश हमारे ग्रह के भविष्य के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
- IEA की रिपोर्ट के अनुसार, जीवाश्म ईंधन के उत्पादन व उपयोग, जिसमें तेल, प्राकृतिक गैस और कोयले शामिल हैं, से लगभग 120 मिलियन टन (MT) मीथेन को वातावरण में छोड़ा गया। इसके अलावा, जैव ऊर्जा से भी लगभग 10 मिलियन टन मीथेन का उत्सर्जन हुआ।
मीथेन उत्सर्जन के पर्यावरणीय प्रभाव
IEA की रिपोर्ट पर प्रकाश डालने के अलावा, यह समझना आवश्यक है कि मीथेन पर्यावरण को कैसे प्रभावित कर रही है:
- ग्लोबल वार्मिंग में योगदान: मीथेन कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में वातावरण में गर्मी को अधिक कुशलता से अवशोषित (absorb) करती है। इस प्रकार, बढ़ता हुआ मीथेन उत्सर्जन वैश्विक तापमान वृद्धि में महत्वपूर्ण रूप से योगदान देता है।
- अल्पकालिक जलवायु बल (Short-Lived Climate Forcer)): इसकी अपेक्षाकृत कम आयु के बावजूद, मीथेन के दीर्घकालिक जलवायु प्रभावों का आकलन (assess) करने के लिए अल्पकालिक वार्मिंग प्रभाव महत्वपूर्ण हैं।
- धरातलीय ओजोन निर्माण: मीथेन वातावरण में प्रतिक्रियाओं की एक श्रृंखला के माध्यम से धरातलीय ओजोन बनाने में योगदान देती है। यह ओजोन श्वसन संबंधी समस्याओं, फसल को नुकसान और पारिस्थितिक तंत्र के क्षरण का कारण बनती है।
- वायु प्रदूषण: मीथेन वायुमंडल में अन्य रसायनों के साथ क्रिया करके वायु प्रदूषण और स्मॉग के निर्माण में एक भूमिका निभा सकती है।
मीथेन उत्सर्जन को नियंत्रित करने की पहल
मीथेन उत्सर्जन को कम करने के बढ़ते वैश्विक प्रयास महत्वपूर्ण हैं। इस दिशा में कुछ महत्वपूर्ण पहलें निम्नलिखित हैं:
- इंटरनेशनल मीथेन एमिशन ऑब्ज़र्वेटरी (IMEO): संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा स्थापित, IMEO विश्वसनीय तरीके से वैश्विक स्तर पर मीथेन उत्सर्जन डेटा एकत्रित करने और उसका विश्लेषण करने की सुविधा देता है। इस जानकारी के साथ, देश बेहतर निर्णय ले सकते हैं।
- ग्लोबल मीथेन प्लेज: COP26 (2021) के दौरान लॉन्च हुए इस ग्लोबल मीथेन प्लेज का लक्ष्य 2030 तक मानव-जनित मीथेन उत्सर्जन में कम से कम 30% की कमी करना है।
- ग्लोबल मीथेन इनिशिएटिव: इस पहल का ध्यान मीथेन को नियंत्रित करने के लिए तकनीक प्रदान करने और इस मूल्यवान ऊर्जा स्रोत के उपयोग को बढ़ावा देने पर है।
भारत भी कर रहा है मीथेन उत्सर्जन पर काम
भारत मीथेन उत्सर्जन को कम करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों को लागू कर रहा है:
- गोबरधन योजना: इस योजना में बायोगैस प्लांट लगाने पर जोर है जो पशुओं के गोबर और कृषि अपशिष्ट का उपयोग कर सकते हैं। इससे ग्रामीण इलाकों में साफ ऊर्जा मिलने के साथ मीथेन उत्सर्जन कम करने में मदद मिलती है।
- राष्ट्रीय बायोगैस और जैविक खाद कार्यक्रम: इसे बायोगैस को बढ़ावा देने और जैविक खाद के उपयोग पर ध्यान देने के लिए शुरू किया गया था।
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA)
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) एक स्वतंत्र, अंतर-सरकारी संगठन है जो ऊर्जा नीति पर सलाह और विश्लेषण प्रदान करता है। इसकी स्थापना 1974 में हुई थी और इसका मुख्यालय पेरिस, फ्रांस में है। IEA के 31 सदस्य देश हैं, जिनमें ज्यादातर विकसित देश शामिल हैं। संगठन का मुख्य उद्देश्य ऊर्जा सुरक्षा और स्थायी विकास को बढ़ावा देना है। IEA अपनी सदस्य सरकारों को ऊर्जा नीति पर सलाह और विश्लेषण प्रदान करता है। यह ऊर्जा बाजारों की निगरानी करता है और ऊर्जा डेटा और सांख्यिकी प्रकाशित करता है। IEA ऊर्जा सुरक्षा और स्थायी विकास के मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भी काम करता है। भारत इसका एक एसोसिएट देश है। IEA का सदस्य होने के लिए OECD का सदस्य होना अनिवार्य है।
निष्कर्ष
IEA की रिपोर्ट मीथेन उत्सर्जन से निपटने की तात्कालिकता पर जोर देती है। ग्रीनहाउस गैस के रूप में मीथेन की शक्ति को देखते हुए, जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों में उत्सर्जन को कम करना अनिवार्य है। इस गंभीर मुद्दे से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और निवेश की आवश्यकता है।
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