ईसाई धर्म में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक ‘गुड फ्राइडे’ का विशेष स्थान है। यह पवित्र सप्ताह (Holy Week) का हिस्सा है, और ईस्टर संडे से पहले के शुक्रवार को मनाया जाता है। गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं। यह दिन प्रभु यीशु मसीह द्वारा मानवता के लिए दिए गए सर्वोच्च बलिदान की याद में मनाया जाता है। यीशु मसीह, जिन्हें ईसाई, परमेश्वर का पुत्र मानते हैं, को इसी दिन सूली पर चढ़ाया गया था। इस दिन चर्च और गिरजाघर शोक के रंग में रंगे दिखाई देते हैं, और प्रार्थनाओं व उपवास की गूंज के साथ ईसाई समुदाय यीशु मसीह के जीवन तथा बलिदान के अर्थ को आत्मसात करने का प्रयास करता है।
गुड फ्राइडे का ऐतिहासिक और धार्मिक संदर्भ:
गुड फ्राइडे को ‘पवित्र शुक्रवार’ के रूप में भी जाना जाता है। यह ईसाइयों के पवित्र सप्ताह (Holy Week) का हिस्सा है, जो ईस्टर संडे से पहले आता है। ऐसा माना जाता है कि यीशु मसीह द्वारा बहाए गए रक्त ने कलवारी के क्रॉस को पवित्र किया, और उनके द्वारा किया गया सर्वोच्च बलिदान ही मानवता को पापों से मुक्ति दिलाता है।
यह भी मान्यता है कि प्रभु यीशु, ईश्वर के पुत्र थे, और वे मानव जाति के पापों के बोझ से उसे मुक्त कराने के लिए धरती पर अवतरित हुए थे। यही कारण है कि गुड फ्राइडे को शोक के साथ मनाया जाता है, परन्तु इसके पीछे छिपी है आशा, प्रेम, और अमरत्व की अद्भुत भावना।
गुड फ्राइडे एक ऐसा दिन है जो मानवता के अंधकारमय पहलुओं को उजागर करता है। यीशु मसीह, जिन्होंने प्रेम और करुणा का संदेश दिया, धोखे और विश्वासघात के शिकार बने। उनके जीवन, मृत्यु, और पुनरूत्थान ने ईसाई धर्म की नींव रखी और परमेश्वर की असीम कृपा पर विश्वास की एक अटूट डोर को स्थापित किया।
यीशु मसीह के बलिदान का इतिहास:
बाइबल के अनुसार, प्रभु यीशु मसीह के बलिदान की कथा उनके अंतिम भोज (Last Supper) से शुरू होती है। अपने बारह शिष्यों के साथ ये अंतिम भोजन उन्होंने गुड फ्राइडे से एक दिन पहले किया। इसी भोज के दौरान यीशु ने अपने शिष्यों पर आने वाले संकट का आभास कराया, और यह भी बताया कि उनमें से ही एक उन्हें धोखा देगा।
अंतिम भोज के बाद यीशु को गेथसमेन के बगीचे में गिरफ्तार किया गया। ऐसा माना जाता है कि उनके अपने शिष्य, यहूदा इस्करियोती ने धोखा देते हुए रोमन सैनिकों तक इस बात की खबर कर दी थी। गिरफ्तार किए जाने के बाद, यीशु मसीह के साथ अन्याय हुआ, उनकी खिल्ली उड़ाई गई और उन्हें कठोर यातनाएं दी गईं। उनके सिर पर कांटों का ताज पहनाया गया और अंत में सूली पर चढ़ा दिया गया।
कलवारी हिल पर क्रॉस पर लटकाए जाने से पहले उन्हें बड़ी क्रूरता के साथ पूरे शहर में घुमाया गया, उनका मजाक उड़ाया गया, और भीड़ ने उनकी ओर पत्थर बरसाए। अंततः उन्होंने सूली पर अपने प्राण त्यागे और यह माना जाता है कि इसके बाद उन्हें एक गुफा में दफनाया गया। लेकिन यीशु मसीह की कहानी यहीं खत्म नहीं होती!
ईस्टर संडे: मृत्यु पर विजय:
ईस्टर संडे मृत्युंजय के उत्सव का दिन है। इस दिन ईसाई मान्यता के अनुसार, यीशु मृत्यु पर विजय प्राप्त करके फिर से जीवित हो उठे थे। गुड फ्राइडे और ईस्टर संडे एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, एक शोक के साथ तो दूसरा असीम आशा और प्रेरणा के साथ।
गुड फ्राइडे का महत्व और संदेश:
यह त्योहार मनुष्यता के लिए प्रभु यीशु द्वारा किए गए सर्वोच्च बलिदान का स्मरण कराता है। ईसाई मान्यताओं के अनुसार, यीशु मसीह ने स्वेच्छा से कष्ट उठाए और लोगों के पापों के लिए खुद को बलिदान कर दिया। उनकी यह कुर्बानी ईश्वर के मानवता के प्रति असीम प्रेम को दर्शाती है।
गुड फ्राइडे शोक का दिन तो है ही, लेकिन अंततः यह प्रेम, क्षमा, आशा और बलिदान के गुणों का भी उत्सव है। यीशु मसीह का बलिदान इस संदेश को प्रबल करता है कि अंधकार चाहे कितना भी गहरा हो, अंत में जीत सदैव प्रकाश की ही होती है।
गुड फ्राइडे के रीति-रिवाज और परंपराएं:
विश्व के विभिन्न हिस्सों में ईसाई समुदाय गुड फ्राइडे को शोक और श्रद्धा के साथ मनाता है। इस दिन चर्चों में विशेष प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया जाता है। लोग यीशु मसीह के बलिदान को याद करते हैं और उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं। अनेक लोग इस दिन उपवास रखते हैं। पारंपरिक रूप से लोग चर्च में काला या गहरे रंग के वस्त्र धारण करते हैं।
कई जगहों पर ईसा मसीह के सूली पर चढ़ाए जाने के मार्ग को ‘स्टेशंस ऑफ द क्रॉस’ (Stations of the Cross) के रूप में चिह्नित करके प्रतीकात्मक रूप से याद किया जाता है। चर्चों में गुड फ्राइडे पर विशेष प्रवचन आयोजित होते हैं, जिसमें यीशु मसीह के जीवन और उनके संदेशों पर विस्तार से प्रकाश डाला जाता है। अनेक प्रार्थना सभाओं में इस दिन मसीह के जीवन पर आधारित नाटकों का मंचन आदि भी किए जाते हैं।
भारत में गुड फ्राइडे:
भारत की विविधतापूर्ण संस्कृति में ईसाई समुदाय का महत्वपूर्ण योगदान है। खासकर दक्षिण भारतीय राज्यों केरल, गोवा, तमिलनाडु के साथ-साथ पूर्वोत्तर राज्यों में ईसाई आबादी अच्छी-खासी संख्या में मौजूद है। इन जगहों पर गुड फ्राइडे धूमधाम के साथ मनाया जाता है। चर्चों में विशेष प्रार्थनाएं आयोजित की जाती हैं और विशाल जुलूस निकाले जाते हैं।
निष्कर्ष:
गुड फ्राइडे, भले ही एक शोक का दिन है, लेकिन अंततः प्रेम एवं आशा के संदेश को समाहित करता है। यह मानवता को निस्वार्थ प्रेम के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। गुड फ्राइडे का त्योहार ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास, अंधकार पर प्रकाश की जीत, और अनंत क्षमाशीलता का संदेश देता है। यह दिन हमें सिखाता है कि सबसे कठिन समय में भी आशा को नहीं छोड़ा जाना चाहिए और प्रभु के मार्गदर्शन में अच्छाई के रास्ते पर चलते रहना चाहिए।
Also Read:
200 YEARS OF RANI CHENNAMMA’S REBELLION AGAINST THE BRITISH EAST INDIA COMPANY: A HISTORICAL REVIEW; ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ रानी चेन्नम्मा के विद्रोह की 200वीं वर्षगांठ: एक ऐतिहासिक समीक्षा