Grey-Zone Warfare: China’s Strategic Moves and Their Impact; ग्रे-ज़ोन युद्ध: चीन की रणनीतिक चालें और उनका प्रभाव

चीन अपने सामरिक और रणनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए ताइवान, दक्षिण चीन सागर और भारत के साथ सीमा विवाद वाले क्षेत्रों में ग्रे-ज़ोन युद्ध नीतियां अपना रहा है। यह युद्ध नीति प्रत्यक्ष संघर्ष और शांति के बीच की एक अस्पष्ट स्थिति होती है। इसमें तकनीकी प्रगति और नेटवर्क-केंद्रित युद्ध-रणनीति का उपयोग किया जाता है, जिससे विरोधी को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया जाता है।

ग्रे-ज़ोन युद्ध:

ग्रे-ज़ोन युद्ध का उद्देश्य विरोधी को इस प्रकार नुकसान पहुंचाना होता है कि उसे कोई खतरा महसूस न हो या उसे यह एहसास न हो कि उस पर हमला हो रहा है। इसमें युद्ध के पारंपरिक और गैर-पारंपरिक दोनों तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है।

ग्रे-ज़ोन युद्ध नीति की कार्यप्रणाली

इसमें सलामी स्लाइसिंग जैसी कुटिल चालें शामिल होती हैं, जिसमें विरोधी देश के क्षेत्र को टुकड़ों में जीतने के लिए छोटी सैन्य कार्रवाइयां की जाती हैं। इसके अलावा, इसमें कुटिल आर्थिक गतिविधियां (जैसे प्रतिबंध), साइबर हमले, मनोवैज्ञानिक ऑपरेशन्स (जैसे दुष्प्रचार अभियान), प्रॉक्सी बलों का उपयोग आदि शामिल हैं।

सलामी स्लाइसिंग एक कुटिल रणनीति है जिसका उपयोग एक देश द्वारा अपने विरोधी के क्षेत्र को टुकड़ों में जीतने के लिए किया जाता है। इसमें छोटे-छोटे और लगातार कदम उठाए जाते हैं, जिनसे धीरे-धीरे बड़े लक्ष्यों को प्राप्त किया जाता है। यह रणनीति प्रत्यक्ष युद्ध से बचते हुए विरोधी को कमजोर करने के लिए अपनाई जाती है।

ग्रे-ज़ोन युद्ध की विशेषताएं:

1. ऐसी कार्रवाई जो युद्ध की श्रेणी में नहीं आती

हमलावर देश गैर-सैन्य उपकरणों का उपयोग करता है, जिनके खिलाफ विपक्षी देश द्वारा सैन्य कार्रवाई को उचित नहीं ठहराया जाता।

2. धीरे-धीरे साहसिक कदम उठाना

इस तरह की कार्रवाई वर्षों या दशकों तक चलती रहती हैं, जिससे निर्णायक या एकबारगी जवाबी कार्रवाई के अवसर कम हो जाते हैं।

3. उत्तरदायित्व का अभाव

हमलावर देश ऐसी ग्रे-ज़ोन गतिविधियों के लिए जिम्मेदारी स्वीकार नहीं करता, जिससे जवाबी कार्रवाई की संभावना कम हो जाती है।

4. लक्ष्य विशिष्ट

इस रणनीति में आमतौर पर कमजोर देश लक्ष्य होते हैं, जिनके पास जवाबी कार्रवाई की क्षमता कम होती है।

ग्रे-ज़ोन युद्ध रणनीति से बचने के उपाय:

  1. विरोधी देश की गतिविधियों की सक्रिय निगरानी: लगातार निगरानी और खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान आवश्यक है।
  2. समान विचारधारा वाले देशों के साथ सहयोग: संयुक्त कार्रवाई और सामरिक साझेदारी से ग्रे-ज़ोन रणनीतियों का मुकाबला किया जा सकता है।
  3. अपनी क्षमता का प्रदर्शन: विरोधियों के बीच भय बनाए रखने के लिए अपनी सैन्य और तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन करना चाहिए।
  4. नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बढ़ावा देना: अंतर्राष्ट्रीय नियमों और मानदंडों का समर्थन करने वाले गठजोड़ मजबूत करने चाहिए।

ग्रे-ज़ोन युद्ध रणनीति के खिलाफ भारत की तैयारी:

1. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद का सृजन

यह पद तीनों सेनाओं (थल सेना, वायु सेना, नौसेना) के कामकाज का समन्वय करने के लिए सृजित किया गया है। इससे सैन्य अभियानों की एकीकृत योजना बनाने में मदद मिलती है।

2. रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता

रक्षा खरीद प्रक्रिया (DAP) 2020 जैसी पहलों की मदद से आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके तहत स्वदेशी रक्षा उत्पादन को प्राथमिकता दी जा रही है।

3. समान विचारधारा वाले देशों के साथ सहयोग

भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ जनरल सिक्योरिटी ऑफ मिलिट्री इंफॉर्मेशन एग्रीमेंट (GSOMIA) जैसे समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे सामरिक सूचनाओं का आदान-प्रदान संभव हो पाया है।

4. अन्य उपाय

भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल (CERT-In) की स्थापना की गई है, जो साइबर हमलों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। इसके अलावा, भारत में उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकी के विकास पर जोर दिया जा रहा है।

निष्कर्ष:

चीन की ग्रे-ज़ोन युद्ध नीतियां आधुनिक युद्ध की परिभाषा को बदल रही हैं और देशों को अपनी रक्षा रणनीतियों में बदलाव करने पर मजबूर कर रही हैं। भारत को अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के लिए सक्रिय और सतर्क रहना होगा। इसके लिए निरंतर निगरानी, सामरिक साझेदारी, और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना आवश्यक है। अंतर्राष्ट्रीय नियमों और मानदंडों का समर्थन करना भी एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे भारत न केवल अपनी सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को भी सुदृढ़ करेगा।

FAQs:

ग्रे-ज़ोन युद्ध क्या है?

ग्रे-ज़ोन युद्ध प्रत्यक्ष संघर्ष और शांति के बीच की एक अस्पष्ट स्थिति है, जिसमें पारंपरिक और गैर-पारंपरिक तरीकों का उपयोग करके विरोधी को नुकसान पहुंचाया जाता है।

चीन ग्रे-ज़ोन युद्ध नीतियां क्यों अपनाता है?

चीन अपने सामरिक और रणनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए ताइवान, दक्षिण चीन सागर, और भारत के साथ सीमा विवाद वाले क्षेत्रों में ग्रे-ज़ोन युद्ध नीतियां अपनाता है।

ग्रे-ज़ोन युद्ध नीति की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?

इस नीति में सलामी स्लाइसिंग, कुटिल आर्थिक गतिविधियां, साइबर हमले, मनोवैज्ञानिक ऑपरेशन्स और प्रॉक्सी बलों का उपयोग शामिल है।

सलामी स्लाइसिंग क्या है?

सलामी स्लाइसिंग एक कुटिल चाल है जिसमें विरोधी देश के क्षेत्र को टुकड़ों में जीतने के लिए छोटी सैन्य कार्रवाइयां की जाती हैं।

ग्रे-ज़ोन युद्ध नीति से कैसे बचा जा सकता है?

ग्रे-ज़ोन युद्ध नीति से बचने के लिए सक्रिय निगरानी, खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान, सैन्य क्षमता का प्रदर्शन, और अंतर्राष्ट्रीय नियमों का समर्थन करना आवश्यक है।

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