Historic Agreement for India: $100 Billion Trade Alliance between India and EFTA; भारत के लिए ऐतिहासिक समझौता-भारत और EFTA के बीच $100 बिलियन का व्यापारिक गठबंधन:

भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के बीच एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर हुए हैं, जिसे ‘व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता’ (TEPA) नाम दिया गया है, यह भारत के लिए कई मायनों में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इस समझौते के साथ, भारत 100 अरब डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को आकर्षित करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाएगा, जिससे आर्थिक प्रगति और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। ऐतिहासिक TEPA में 14 अध्याय शामिल हैं और इसका ध्यान माल के बाजारों, निवेश, बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) और सेवाओं जैसे मुख्य क्षेत्रों पर है।

TEPA: भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि

यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि इसे विकसित देशों के एक समूह के साथ भारत के पहले फ्री ट्रेड अग्रीमेंट के रूप में देखा जा रहा है। यह भारत के लिए न केवल माल और सेवाओं के लिए नए बाजार खोलेगा, बल्कि विदेशों से पूंजी और निवेश को भी बढ़ावा देगा। यह 14 अध्यायों वाला विशाल समझौता कई अहम क्षेत्रों को शामिल करता है:

  • वस्तुओं का निर्बाध व्यापार
  • निवेश प्रोत्साहन
  • बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) का संरक्षण
  • सेवा क्षेत्र में विस्तार
  • मूल के नियम (Rules of Origin)
  • सैनिटरी और फाइटोसैनिटरी उपाय

आइए, इस ऐतिहासिक समझौते की मुख्य बातों, विशेषताओं, और भारत के लिए इसके निहितार्थों को विस्तार से समझते हैं:

TEPA के प्रमुख प्रावधान और लाभ

  • लक्षित निवेश: इस समझौते की एक सबसे अनूठी विशेषता इसमें शामिल निवेश लक्ष्य है। EFTA भारत में अगले 15 वर्षों में 100 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह आंकड़ा भारत द्वारा अब तक किए गए अन्य मुक्त व्यापार समझौतों से कहीं अधिक है।
  • व्यापार तक पहुंच: TEPA के तहत, भारतीय निर्यातकों को EFTA बाजारों में प्रवेश मिलेगा।भारत के 100% गैर-कृषि उत्पादों को टैरिफ हटाकर EFTA बाजारों में प्रवेश दिया जाएगा। प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों (PAPs) पर भी शुल्क में महत्वपूर्ण रियायतें प्रदान की जाएंगी।
  • सेवा क्षेत्र में सहयोग: भारत सेवाओं के व्यापार में दुनिया का एक प्रमुख केंद्र है। TEPA भारत को सेवा क्षेत्र में कई सुविधाएं प्रदान करता है। इसमें डिजिटल माध्यमों से सेवाओं की बेहतर डिलीवरी, EFTA देशों में शाखाएं खोलने, और महत्वपूर्ण भारतीय कर्मियों के लिए EFTA देशों में बेहतर प्रवेश और निवास संबंधी प्रतिबद्धताएं निहित हैं।
  • पारस्परिक लाभ: TEPA में नर्सिंग, चार्टर्ड अकाउंटेंट, आर्किटेक्ट जैसी महत्वपूर्ण पेशेवर सेवाओं में दोनों पक्षों के लाभ के लिए ‘पारस्परिक मान्यता समझौते’ (Mutual Recognition Agreements) के प्रावधान होंगे।
  • भारत के उद्योगों के लिए लाभ: इस समझौते से भारतीय उद्योगों, विशेष कर विनिर्माण, मशीनरी, फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रकों को लाभ मिलेगा। वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के साथ, यह “मेक इन इंडिया” और आत्मनिर्भर भारत की पहल को और बल देगा।
  • बौद्धिक संपदा संरक्षण: बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) के मामले में, भारत की प्रतिबद्धताएं “व्यापार-संबंधी पहलुओं” (TRIPS) के स्तर के समान रहेंगी, जो एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है।

TEPA का भारत के लिए महत्व

यह व्यापार समझौता ऐसे समय में संपन्न हुआ है जब भारत एक मजबूत वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है। TEPA भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में मजबूती से अपनी जगह बनाने और सप्लाई चेन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में मदद करेगा। इस से व्यापार प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, दक्षता और सरलीकरण होगा। साथ ही, आवश्यक इनपुट्स प्राप्त करने में मदद मिलेगी और व्यापार व निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाने में योगदान मिलेगा। यह समझौता दोनों पक्षों के लिए अत्यधिक लाभकारी है, और आने वाले वर्षों में भारत-EFTA संबंधों के नए अध्याय की शुरुआत है। आइए, इसके कुछ प्रमुख लाभों पर नज़र डालते हैं:

  • व्यापार सुगमता: इस समझौते से पारदर्शिता, दक्षता और सरलीकरण को बढ़ावा मिलेगा। इससे भारतीय निर्यातकों को आसानी होगी और व्यापार तथा निवेश के लिए अनुकूल माहौल के निर्माण में सहायता मिलेगी।
  • विनिर्माण को बढ़ावा: इस समझौते के बाद “मेक इन इंडिया” और आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियानों को बल मिलेगा। इससे विनिर्माण, मशीनरी, और फ़ार्मास्युटिकल्स जैसे क्षेत्रों में विकास के नए आयाम खुलेंगे।
  • रोजगार सृजन: 100 अरब डॉलर के विदेशी निवेश और व्यापार में वृद्धि से लाखों नए रोजगारों के सृजन की संभावना है।
  • वैश्विक पहुंच का विस्तार: EFTA के साथ मुक्त व्यापार भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखला (Global Value Chains) में एकीकृत होने के लिए एक मंच देगा एवं दुनिया के विकसित बाजारों तक पहुंच को सुगम करेगा।

EFTA के बारे में

EFTA एक अंतर-सरकारी संगठन है जिसका प्राथमिक उद्देश्य सदस्य देशों के बीच मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना है। इसके वर्तमान सदस्य हैं: आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड। यह संगठन यूरोपीय संघ (EU) का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन EFTA और EU के बीच घनिष्ठ संबंध हैं। यह 1960 में स्टॉकहोम कन्वेंशन द्वारा स्थापित किया गया था, तब इसके 7 संस्थापक सदस्य थे- ऑस्ट्रिया, ग्रेट ब्रिटेन, नॉर्वे, स्वीडन, स्विट्जरलैैंड, डेनमार्क और पुर्तगाल।

निष्कर्ष

भारत-EFTA व्यापार समझौता विश्व में भारत के बढ़ते कद और आर्थिक क्षमता का संकेत है। इस समझौते से ना सिर्फ़ व्यापार के नए रास्ते खुलेंगे, बल्कि निवेश, रोजगार सृजन, और कौशल विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। यह भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख भागीदार के तौर पर अपनी स्थिति मजबूत करने में सहायक सिद्ध होगा।

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