विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के एक हालिया अध्ययन में पाया गया है कि पिछले 50 वर्षों में वैश्विक टीकाकरण प्रयासों ने कम से कम 154 मिलियन लोगों की जान बचाई है। टीकों के विकास और वितरण में निवेश ने न केवल लाखों बच्चों को घातक बीमारियों से बचाया है, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य और आर्थिक प्रगति में भी उल्लेखनीय योगदान दिया है।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष:
WHO के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने टीकाकरण पर विस्तारित कार्यक्रम (Expanded Programme on Immunization: EPI) के प्रभाव का विश्लेषण किया। EPI को WHO द्वारा 1974 में सभी देशों में सभी बच्चों को जीवन रक्षक टीकों का लाभ सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया गया था।
इस अध्ययन के मुख्य निष्कर्षों में शामिल हैं:
- मृत्यु दर में कमी: पिछले 50 वर्षों में टीकों के कारण हर साल, हर मिनट औसतन 6 लोगों की जान बची है।
- खसरे के टीके की निर्णायक भूमिका: शिशु मृत्यु दर को कम करने में खसरे के टीकाकरण की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
- स्वास्थ्य पर समग्र प्रभाव: 14 प्रमुख बीमारियों के खिलाफ टीकाकरण ने वैश्विक स्तर पर शिशु मृत्यु दर को 40% तक कम करने में मदद की है।
- जीवन प्रत्याशा में वृद्धि: टीकाकरण की वजह से बचाए गए प्रत्येक जीवन से औसतन 66 वर्ष का पूर्ण स्वस्थ जीवन प्राप्त हुआ है।
टीकाकरण की सफलता के पीछे के कारक:
अध्ययन में वैश्विक टीकाकरण तक पहुंच को बढ़ाने में सफलता के लिए कई महत्वपूर्ण कारकों की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है:
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल सरकारें, स्वास्थ्य एजेंसियां, गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के बीच मजबूत सहयोग ने टीकाकरण कवरेज को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- वैक्सीन अलायंस (GAVI) की भूमिका: युनीसेफ के साथ साझेदारी में स्थापित, GAVI वैक्सीन अलायंस ने दुनिया के सबसे गरीब देशों में नए और बेहतर टीकों की पहुँच बढ़ाकर लाखों बच्चों की जान बचाने में मदद की है।
- नवाचार और अनुकूलन: हाल के वर्षों में, वैक्सीन विकास में नई तकनीकी प्रगति, कोल्ड-चेन प्रबंधन की सुविधा, और स्थानीय भागीदारी ने टीकाकरण कार्यक्रमों की पहुंच और प्रभाव में वृद्धि की है।
टीकाकरण अभियानों की चुनौतियां:
अध्ययन में वैश्विक टीकाकरण कार्यक्रमों के समक्ष मौजूद कुछ प्रमुख चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला गया है:
- असमान टीकाकरण पहुंच: अभी भी सभी देशों, क्षेत्रों और समुदायों को टीकाकरण की समान पहुंच सुनिश्चित नहीं की जा सकी है। कम आय वाले देशों और वंचित समुदायों में अक्सर टीकों की उपलब्धता सीमित रहती है।
- टीकाकरण के वित्त पोषण में असमानता: टीकाकरण कार्यक्रमों के फंडिंग में असमानताएं हैं, जो कई देशों में टीकों तक सार्वभौमिक पहुंच हासिल करने के प्रयास को सीमित करती हैं।
- टीकों के प्रति भ्रांतियां और दुष्प्रचार: टीकाकरण के दुष्प्रभावों (साइड-इफेक्ट्स) के बारे में गलत सूचना और दुष्प्रचार, तथा टीकों की सुरक्षा के बारे में भ्रांतियां कई समुदायों में टीकाकरण के प्रति संदेह पैदा करती हैं।
भारत में टीकाकरण की स्थिति:
भारत में, टीकाकरण अभियान को कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल हुई हैं, जिनमें पोलियो उन्मूलन भी शामिल है। हालांकि, चुनौतियां अभी भी मौजूद हैं।
भारत में टीकाकरण से संबंधित पहलें:
- मिशन इंद्रधनुष (2014): इसका उद्देश्य उन सभी बच्चों और गर्भवती महिलाओं को लक्षित करना है जो सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) के अंतर्गत निर्धारित टीकों से पूरी तरह या आंशिक रूप से वंचित रह गए हैं।
- UIP के तहत टीके: UIP भारत में 12 जानलेवा बीमारियों के खिलाफ नि:शुल्क टीके प्रदान करता है, जिसमें डिप्थीरिया, पोलियो, क्षय रोग (टीबी), खसरा एवं रूबेला, हेपेटाइटिस-बी, काली खांसी (pertussis), टिटनेस, मेनिंजाइटिस, निमोनिया, रोटावायरस डायरिया, न्यूमोकोकल निमोनिया और जापानी एन्सेफलाइटिस शामिल हैं।
- सघन मिशन इंद्रधनुष (2017): इसका उद्देश्य दो वर्ष से कम उम्र के प्रत्येक बच्चे और टीकाकरण कार्यक्रम के तहत कवर नहीं की गई सभी गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण करना है।
- यू-विन डिजिटल प्लेटफॉर्म: डिजिटल रूप से बच्चों के टीकाकरण रिकॉर्ड रखने और माता-पिता को टीकाकरण के समय पर सूचित करने के लिए शुरू किया गया।
भारत में टीकाकरण की चुनौतियां: कुछ प्रमुख चुनौतियों में स्वास्थ्य सेवाओं तक असमान पहुंच, टीकों की आपूर्ति श्रृंखला में कमियां, और टीकों के बारे में जागरूकता की कमी शामिल हैं।
गावी (GAVI) – एक वैश्विक वैक्सीन अलायंस:
गावी (GAVI – The Vaccine Alliance) वैश्विक स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदारी है। जनवरी 2000 में स्थापित, इसका लक्ष्य दुनिया के सबसे गरीब देशों में टीकाकरण कवरेज बढ़ाना और टीकाकरण कार्यक्रमों की पहुंच का विस्तार करना है। GAVI के संस्थापकों में WHO, UNICEF, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन शामिल हैं।
इसे टीकाकरण पर विस्तारित कार्यक्रम (EPI) के प्रभाव का विस्तार करने और दुनिया के सबसे गरीब देशों में टीकाकरण कवरेज बढ़ाने में मदद करने के लिए स्थापित किया गया था। 2014 में, भारत GAVI को दान देने वाला पहला कार्यान्वयनकर्ता देश बना था।
निष्कर्ष:
WHO का अध्ययन टीकाकरण की अभूतपूर्व सफलता का एक महत्वपूर्ण प्रमाण है। टीकाकरण द्वारा रोकथाम योग्य बीमारियों के बोझ को कम करने के अलावा, इसने लाखों जिंदगियां बचाई हैं और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा दिया है।