भारत, बड़ी बिल्लियों के लिए एक प्रमुख पर्यावास होने के नाते, दुनिया भर में इन शानदार प्रजातियों के संरक्षण के लिए एक बड़ी पहल का नेतृत्व कर रहा है। हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने “अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस (IBCA)” की स्थापना को मंजूरी दे दी है। इस बहुराष्ट्रीय गठबंधन का मुख्यालय भारत में होगा, और इसका उद्देश्य उन सात प्रमुख बड़ी बिल्ली प्रजातियों के संरक्षण के लिए वैश्विक समर्थन और सहयोग को मजबूत करना है। यह लेख IBCA की पृष्ठभूमि, उद्देश्यों, महत्व, और भारत की इस पहल में नेतृत्व की भूमिका का गहन विश्लेषण करेगा।
IBCA: पृष्ठभूमि और उद्देश्य
अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस (IBCA) को अप्रैल 2023 में भारत की प्रोजेक्ट टाइगर की 50वीं वर्षगांठ के ऐतिहासिक अवसर पर लॉन्च किया गया था। प्रोजेक्ट टाइगर, भारत की एक बाघ संरक्षण पहल, को वैश्विक संरक्षण में एक महत्वपूर्ण सफलता के रूप में मान्यता दी गई है। IBCA का उद्देश्य इसी सफलता को वैश्विक मंच पर लेकर जाना है, जिसमें निम्नलिखित सात प्रमुख बड़ी बिल्ली प्रजातियां शामिल हैं:
- बाघ: भारत के राष्ट्रीय पशु के रूप में मान्यता प्राप्त, दुनिया में बाघों की सबसे बड़ी आबादी भारत में ही निवास करती है।
- शेर: गिर के जंगलों में पाये जाने वाले शेर, एक समय विलुप्त होने के कगार पर थे, परंतु संरक्षण के प्रयासों से अब इनकी संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
- तेंदुआ: अत्यधिक अनुकूलनीय तेंदुए भारत के विभिन्न आवासों में पाये जाते हैं | इनकी संख्या में चिंताजनक कमी देखी गयी है।
- हिम तेंदुआ: हिमालय के दुर्गम क्षेत्रों में वास करने वाला लुप्तप्राय हिम तेंदुआ भारत की जैव-विविधता का एक अभिन्न सदस्य है |
- प्यूमा: अमेरिकी महाद्वीपों पर पाई जाने वाली एक शक्तिशाली बड़ी बिल्ली।
- जगुआर: अमेरिका की सबसे बड़ी बिल्ली की प्रजाति जगुआर विलुप्त होने के जोखिम का सामना कर रही है।
- चीता: 1952 में भारत में चीता विलुप्त हो गया था, लेकिन पुनःस्थापन (reintroduction) अभियान के तहत नामीबिया से लाए गए चीतों को भारत में मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया है।
प्यूमा और जगुआर को छोड़कर, ये सभी पांच बड़ी बिल्ली प्रजातियां भारत में पाई जाती हैं, जो देश को एक अद्वितीय पारिस्थितिकी स्थिति प्रदान करती हैं। IBCA का मुख्य लक्ष्य उन देशों के बीच सहयोग और वैश्विक कार्रवाई को बढ़ावा देना है जहां ये बड़ी बिल्ली प्रजातियां मौजूद हैं। इससे इनके सामने आने वाली चुनौतियों, जैसे कि प्राकृतिक आवास का क्षरण, अवैध शिकार और मानव-पशु संघर्ष से निपटने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण बनाने में सहायता मिलेगी।
बहु-देशीय और बहु-एजेंसी भागीदारी
IBCA एक विशाल वैश्विक प्रयास का प्रतीक है, जिसका उद्देश्य बड़ी बिल्लियों के संरक्षण को बढ़ावा देना है। इसका गठन 96 देशों (जहाँ बड़ी बिल्ली प्रजातियाँ निवास करती हैं) के साथ मिलकर किया गया है। इसके अलावा, IBCA अन्य भागीदारों के साथ भी सहयोग करेगा, जिनमें ये शामिल हैं:
- बड़ी बिल्ली संरक्षण में रुचि रखने वाले देश
- संरक्षण भागीदार
- संरक्षण में रुचि रखने वाले कॉर्पोरेट समूह
- वैज्ञानिक संगठन
आईबीसीए के गठन से उम्मीद की जा रही है कि इससे सदस्य देशों के बीच संरक्षण कार्यक्रमों का समन्वय बनेगा | साझा अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा और संरक्षण नीतियों के विकास में भी सहयोग प्राप्त होगा | यह अंतर्राष्ट्रीय मंच तकनीकी सहायता, संसाधन जुटाने और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में भी मददगार साबित होगा |
IBCA का वित्त पोषण और शासन
भारतीय सरकार IBCA के प्राथमिक समर्थक के रूप में 2023 से 2028 की अवधि के लिए 150 करोड़ रुपये की प्रारंभिक सहायता प्रदान कर रही है। यह वित्त पोषण गठबंधन को अपना संचालन शुरू करने और संरक्षण परियोजनाओं का समर्थन करने में सक्षम करेगा। हालांकि, IBCA केवल भारत पर निर्भर नहीं होगा बल्कि संरक्षण के प्रयासों को बनाए रखने के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय एजेंसियों, सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों और अन्य इच्छुक दानदाताओं से अतिरिक्त योगदान प्राप्त करने की आशा करता है।
IBCA की एक संरचित शासन प्रणाली है, जिसमें ये शामिल हैं:
- सदस्यों की सभा: IBCA के निर्णय लेने वाला निकाय।
- स्थायी समिति: सदस्यों की सभा को दिशा-निर्देश प्रदान करती है।
- सचिवालय: सचिवालय IBCA के कार्यों और दैनिक संचालन के लिए जिम्मेदार होगा।
बड़ी बिल्ली प्रजातियों के संरक्षण का अत्यधिक महत्व
बड़ी बिल्लियों की प्रजातियां पारिस्थितिकी तंत्र की शीर्ष शिकारी हैं। ये ‘कीस्टोन’ प्रजाति मानी जाती हैं, जिनके संरक्षण से उस पारिस्थितिकी तंत्र में उपस्थित विभिन्न प्रजातियों को लाभ प्राप्त होता है। बड़ी बिल्लियों की आबादी में गिरावट के दूरगामी नकारात्मक परिणाम होते हैं। इनकी उपस्थिति पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने और पूरी फूड वेब(खाद्य जाल) के स्वास्थ्य को संकेतित करती है। IBCA द्वारा उनका संरक्षण कई तरह से महत्वपूर्ण है:
- पारिस्थितिकी तंत्र संतुलन: बड़ी बिल्ली प्रजातियाँ खाद्य श्रृंखला के शीर्ष पर होती हैं। इनकी संख्या में कमी से शिकार प्रजातियों की आबादी अनियंत्रित रूप से बढ़ सकती है, जिससे ओवरग्रेज़िंग और पारिस्थितिकी तंत्र को व्यापक नुकसान हो सकता है।
- जल सुरक्षा: हिम तेंदुआ हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र का एक अभिन्न अंग है, जो कई प्रमुख नदियों का स्रोत है। हिम तेंदुओं का संरक्षण हिमालय और उसके महत्वपूर्ण ग्लेशियरों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है।
- जलवायु परिवर्तन पर प्रभाव: बड़ी बिल्लियां ज्यादातर घने वनों में निवास करती हैं जो कार्बन भंडार के रूप में काम करते हैं। इनका संरक्षण जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- सांस्कृतिक महत्व: ऐतिहासिक रूप से, बड़ी बिल्लियों को कई संस्कृतियों में ताकत, साहस और शक्ति के प्रतीक के रूप में माना जाता रहा है। उनका संरक्षण महत्वपूर्ण सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में योगदान देता है।
- अर्थव्यवस्था को समर्थन: पर्यावरण-पर्यटन (eco-tourism) के जरिए बड़ी बिल्लियों के पर्यावास स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं में योगदान देते हैं और ग्रामीण आजीविका के लिए अवसर पैदा करते हैं।
निष्कर्ष
अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस (IBCA) का गठन बड़ी बिल्लियों के संरक्षण के लिए एक सकारात्मक कदम है। भारत का IBCA में अग्रणी योगदान उसकी वैश्विक नेतृत्वकर्ता की भूमिका को भी दर्शाता है। आशा की जाती है कि IBCA के प्रयासों से भारत सहित विश्व भर में बड़ी बिल्ली की प्रजातियों की संख्या में वृद्धि होगी और वे विलुप्त होने के खतरे से बाहर आएंगी। IBCA के माध्यम से किए गए वैश्विक सहयोग से हम एक स्वस्थ और संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा सकते हैं।
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