India Approves New Treatment for Multi-Drug Resistant TB: The BPaLM Method; मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट टी.बी. के लिए भारत में नई उपचार पद्धति: BPaLM पद्धति की मंजूरी

हाल ही में, भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट टी.बी. (MDR-TB) के इलाज के लिए एक नई चिकित्सा पद्धति को मंजूरी दी है। इस नई पद्धति का नाम BPaLM है, जिसमें चार प्रमुख दवाओं—बेडाक्विलाइन (Bedaquiline), प्रीटोमेनिड (Pretomanid), लाइनज़ोलिड (Linezolid), और मोक्सीफ्लोक्सासिन (Moxifloxacin) का उपयोग किया गया है। यह पद्धति न केवल प्रभावी है, बल्कि पहले के उपचारों की तुलना में अधिक सुरक्षित और तेजी से असर करने वाली है।

MDR-TB का इलाज: समय और सफलता का नया मील का पत्थर

BPaLM पद्धति की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसने टी.बी. के उपचार की अवधि को 20 महीने से घटाकर महज 6 महीने कर दिया है। इस नई पद्धति के इस्तेमाल से न केवल मरीजों को कम समय में राहत मिलेगी, बल्कि यह देश में टी.बी. के उन्मूलन की दिशा में एक बड़ी छलांग है। राष्ट्रीय टी.बी. उन्मूलन कार्यक्रम के तहत इस चिकित्सा पद्धति को लागू किया गया है, जो भारत के 2025 तक टी.बी. मुक्त होने के लक्ष्य को पूरा करने में सहायक होगी।

प्रीटोमेनिड का उपयोग:

प्रीटोमेनिड, जो कि BPaLM पद्धति का हिस्सा है, को पहले ही केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा लाइसेंस और स्वीकृति मिल चुकी है। यह दवा MDR-TB के इलाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इसके साथ, इस चिकित्सा पद्धति के तहत इलाज की सफलता दर काफी बढ़ गई है।

क्या है MDR-TB?

मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट टी.बी. (MDR-TB) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें टी.बी. का बैक्टीरिया कम से कम दो प्रमुख टी.बी. दवाओं—आइसोनीयाज़िड और रिफाम्पिसिन—के प्रति प्रतिरोधी हो जाता है। इसका मतलब यह है कि परंपरागत दवाओं का इस पर असर नहीं होता, जिससे इसका इलाज और कठिन हो जाता है। लेकिन BPaLM पद्धति के साथ इस प्रतिरोधी टी.बी. का इलाज अब कहीं अधिक प्रभावी हो गया है।

टी.बी. (तपेदिक) की चुनौतियां:

टी.बी. (तपेदिक) एक गंभीर संक्रामक रोग है जो मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है। यह बीमारी बैसिलस माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। 2023 में भारत टी.बी. रिपोर्ट 2024 के अनुसार, देश में 25.52 लाख टी.बी. के मरीज थे। यह आंकड़ा न केवल चिंताजनक है, बल्कि भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती भी है।

टी.बी. उन्मूलन की प्रमुख चुनौतियां:

  1. सामाजिक कलंक: लोग टी.बी. को एक सामाजिक कलंक के रूप में देखते हैं, जिस कारण वे इस बीमारी के बारे में खुलकर बात नहीं करते, जिससे इसके निदान में देरी होती है।
  2. उपचार की उच्च लागत: टी.बी. के उपचार में लगने वाली लागत गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों के लिए एक बड़ी बाधा है।
  3. सह-रोग (कॉमॉरबिडिटी): टी.बी. के साथ HIV और मधुमेह जैसी अन्य बीमारियों का होना इस रोग को और जटिल बनाता है।
  4. ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाओं की कमी: ग्रामीण इलाकों में डायग्नोस्टिक सुविधाओं की कमी भी एक बड़ी चुनौती है, जिससे टी.बी. के मरीजों का इलाज समय पर नहीं हो पाता।

ड्रग रेसिस्टेंट टी.बी. के प्रकार:

टी.बी. के इलाज में सबसे बड़ी चुनौती उसका दवाओं के प्रति प्रतिरोधी होना है। इसी कारण ड्रग रेसिस्टेंट टी.बी. के तीन प्रमुख प्रकार पहचाने गए हैं:

  1. मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट टी.बी. (MDR-TB): इसमें बैक्टीरिया कम से कम दो प्रमुख दवाओं (आइसोनीयाज़िड और रिफाम्पिसिन) के प्रति प्रतिरोधी हो जाता है।
  2. एक्सटेंसिवली-ड्रग रेसिस्टेंट टी.बी. (XDR-TB): इसमें बैक्टीरिया आइसोनीयाज़िड, रिफाम्पिसिन के साथ-साथ फ्लोरोक्विनोलोन और तीन अन्य सेकंड लाइन दवाओं (एमिकासिन, कैनामाइसिन, या कैप्रोमाइसिन) के प्रति भी प्रतिरोधी हो जाता है।
  3. टोटली-ड्रग रेसिस्टेंट टी.बी. (TDR-TB): इसमें बैक्टीरिया फर्स्ट और सेकंड लाइन की सभी दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो जाता है।

भारत में टी.बी. उन्मूलन के लिए उठाए गए प्रमुख कदम:

भारत सरकार ने टी.बी. के उन्मूलन के लिए कई अहम कदम उठाए हैं, जो न केवल मरीजों के लिए उपयोगी साबित हो रहे हैं, बल्कि पूरे देश में टी.बी. के उन्मूलन की दिशा में एक बड़ी सफलता भी हैं।

1. प्रधानमंत्री टी.बी. मुक्त भारत अभियान

इस अभियान के तहत टी.बी. के मरीजों को अतिरिक्त सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें उनके इलाज, पोषण और निगरानी के लिए सहायता दी जाती है। इसके साथ ही, इस अभियान के माध्यम से सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा दिया गया है, जिससे लोगों में जागरूकता फैलाई जा सके और टी.बी. से निपटने में मदद मिल सके।

2. निक्षय मित्र कार्यक्रम

यह कार्यक्रम टी.बी. के मरीजों को अतिरिक्त सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से चलाया गया है। इसके तहत, मरीजों को अतिरिक्त डायग्नोस्टिक, पोषण और अन्य सहायता प्रदान की जाती है ताकि उनके इलाज में किसी भी तरह की बाधा न आए।

3. निक्षय पोषण योजना

यह योजना टी.बी. के मरीजों को पोषण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इसके तहत, मरीजों को इलाज के दौरान पोषण संबंधी सहायता मिलती है, जिससे उनके इलाज में तेजी आती है और वे जल्दी स्वस्थ हो सकते हैं।

निष्कर्ष:

स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा मंजूर की गई नई BPaLM चिकित्सा पद्धति मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट टी.बी. के इलाज में एक नई उम्मीद की किरण है। इसके जरिए न केवल इलाज की अवधि में कमी आई है, बल्कि मरीजों के लिए यह एक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प साबित हो रहा है। इसके साथ ही, सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाएं, जैसे कि प्रधानमंत्री टी.बी. मुक्त भारत अभियान और निक्षय मित्र कार्यक्रम, टी.बी. उन्मूलन के लक्ष्यों को हासिल करने में अहम भूमिका निभा रही हैं।

BPaLM जैसी नई उपचार पद्धतियां टी.बी. उन्मूलन की दिशा में भारत की प्रगति को और मजबूत बनाएंगी, जिससे 2025 तक टी.बी. मुक्त भारत का सपना पूरा हो सकेगा।

FAQs:

MDR-TB क्या है?

MDR-TB (मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट टी.बी.) एक प्रकार की टी.बी. है, जिसमें बैक्टीरिया पारंपरिक टी.बी. दवाओं जैसे आइसोनीयाज़िड और रिफाम्पिसिन के प्रति प्रतिरोधी हो जाते हैं, जिससे इसका इलाज मुश्किल हो जाता है।

BPaLM चिकित्सा पद्धति क्या है?

BPaLM एक नई चिकित्सा पद्धति है जिसमें चार दवाओं—बेडाक्विलाइन, प्रीटोमेनिड, लाइनज़ोलिड और मोक्सीफ्लोक्सासिन—का उपयोग किया जाता है। यह पद्धति मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट टी.बी. के उपचार के लिए सुरक्षित, प्रभावी और तेजी से काम करने वाला विकल्प है।

नई BPaLM चिकित्सा पद्धति कितनी प्रभावी है?

BPaLM चिकित्सा पद्धति से टी.बी. उपचार की अवधि 20 महीने से घटकर 6 महीने हो गई है। यह पद्धति न केवल प्रभावी है, बल्कि यह पिछले उपचारों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित और तेजी से परिणाम देती है।

टी.बी. के उन्मूलन के लिए भारत ने और कौन से कदम उठाए हैं?

भारत ने टी.बी. उन्मूलन के लिए प्रधानमंत्री टी.बी. मुक्त भारत अभियान, निक्षय मित्र योजना, और निक्षय पोषण योजना जैसे कई कार्यक्रम शुरू किए हैं, जो रोगियों को अतिरिक्त सहायता प्रदान करने के साथ-साथ पोषण और चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध कराते हैं।

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