India Elected as Vice-Chair of IPEF Supply Chain Council; भारत को IPEF की आपूर्ति श्रृंखला परिषद का उपाध्यक्ष चुना गया:

भारत को इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) की आपूर्ति श्रृंखला परिषद का उपाध्यक्ष चुना गया है। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो भारत की बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय भूमिका और आर्थिक रणनीतियों में प्रभावशाली भागीदारी को दर्शाती है। यह निर्णय IPEF के 13 अन्य भागीदार देशों के साथ मिलकर किया गया है। इस आपूर्ति श्रृंखला परिषद का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा, लोक स्वास्थ्य आदि के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों और वस्तुओं के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करना है।

भारत और इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क के अन्य 13 भागीदारों ने आपूर्ति श्रृंखला से संबंधित तीन निकाय स्थापित किए हैं। ये निकाय IPEF आपूर्ति श्रृंखला समझौते के अनुसार स्थापित किए गए हैं।

इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) के बारे में:

स्थापना और सदस्यता

IPEF की शुरुआत 2022 में टोक्यो, जापान में की गई थी। इसके सदस्य देश हैं: ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, फिजी, भारत, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया गणराज्य, मलेशिया, न्यूज़ीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम और संयुक्त राज्य अमेरिका।

उद्देश्य

IPEF का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विकास, शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए साझेदार देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करना है। यह फ्रेमवर्क आर्थिक सहयोग के माध्यम से क्षेत्रीय स्थिरता और विकास को बढ़ावा देने के लिए कार्य करता है।

IPEF के चार स्तंभ

  1. व्यापार (स्तंभ I): इस स्तंभ का उद्देश्य व्यापार बाधाओं को कम करना और मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना है।
  2. आपूर्ति श्रृंखला (स्तंभ II): इस स्तंभ का उद्देश्य आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित और लचीला बनाना है।
  3. क्लीन इकोनॉमी (स्तंभ III): इस स्तंभ का उद्देश्य स्वच्छ और हरित प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना है।
  4. फेयर इकोनॉमी (स्तंभ IV): इस स्तंभ का उद्देश्य निष्पक्ष और पारदर्शी आर्थिक प्रथाओं को बढ़ावा देना है।

भारत IPEF के स्तंभ II से IV में शामिल है, जबकि स्तंभ I में पर्यवेक्षक के रूप में शामिल है।

आपूर्ति श्रृंखला परिषद के निकाय:

आपूर्ति श्रृंखला परिषद

यह परिषद राष्ट्रीय सुरक्षा, लोक स्वास्थ्य आदि के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों और वस्तुओं हेतु आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने के लिए लक्षित एवं कार्रवाई-उन्मुख गतिविधियों को बढ़ावा देगी। भारत को इस परिषद का उपाध्यक्ष चुना गया है। यह परिषद आपूर्ति श्रृंखलाओं की मजबूती के लिए नई नीतियों और प्रथाओं को विकसित करेगी, जिससे किसी भी आपातकालीन स्थिति में देश को सशक्त बनाया जा सके।

क्राइसिस रिस्पांस नेटवर्क

यह तात्कालिक या संभावित व्यवधानों से निपटने के लिए सामूहिक आपातकालीन कार्रवाई हेतु एक प्लेटफॉर्म प्रदान करेगा। इसका मुख्य उद्देश्य आपूर्ति श्रृंखला में अचानक आने वाली बाधाओं का समाधान करना और त्वरित प्रतिक्रिया देना है। इस नेटवर्क के माध्यम से आपूर्ति श्रृंखला के किसी भी हिस्से में होने वाले व्यवधान को तुरंत पहचाना और सुलझाया जा सकेगा।

श्रम-अधिकार सलाहकार बोर्ड

यह बोर्ड सभी क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं में श्रम अधिकारों और कार्यबल के विकास को मजबूत करने के लिए श्रमिकों, नियोक्ताओं एवं सरकारों को एक मंच पर लाएगा। इस बोर्ड का उद्देश्य आपूर्ति श्रृंखला में काम करने वाले श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करना और उनकी कार्य स्थितियों में सुधार करना है।

आपूर्ति श्रृंखला लचीलेपन (Supply Chain Resilience) के बारे में:

आपूर्ति श्रृंखला लचीलेपन का मतलब है कि आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क में आने वाली बाधाओं से निपटने और इन बाधाओं की वजह से राजस्व, लागत एवं ग्राहकों पर पड़ने वाले प्रभावों को कम करने की क्षमता। यह लचीलपन आपूर्ति श्रृंखला की स्थिरता और निरंतरता को सुनिश्चित करता है।

आपूर्ति श्रृंखला या सप्लाई चेन वास्तव में कच्चे माल या उत्पादों की असेंबली से लेकर उपभोक्ताओं को इन उत्पादों की बिक्री तक आपस में जुड़ी हुई व्यवस्था है।

खतरे

  1. भू-राजनीतिक खतरे: जैसे रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण ऊर्जा आपूर्ति में बाधा उत्पन्न होना। इस प्रकार की घटनाओं से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
  2. आर्थिक खतरे: जैसे कोविड महामारी की वजह से मांग और आपूर्ति में व्यवधान आना आदि। इन आर्थिक खतरों से आपूर्ति श्रृंखला की प्रभावशीलता कम होती है।

उपाय

  1. वैश्विक उपाय: ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान ने “आपूर्ति श्रृंखला लचीलेपन पहल” शुरू की है। क्वाड आपूर्ति श्रृंखला पहल भी आरंभ की गई है। इन पहल के माध्यम से आपूर्ति श्रृंखला की स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा दिया जाता है।
  2. भारत की पहलें: पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान बनाया गया है, राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति जारी की गई है, और उत्पादन से संबंधित प्रोत्साहन (PLI) योजना शुरू की गई है। इन उपायों के माध्यम से भारत अपनी आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत और लचीला बना रहा है।

निष्कर्ष:

भारत का इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क की आपूर्ति श्रृंखला परिषद का उपाध्यक्ष चुना जाना इस क्षेत्र में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। IPEF के माध्यम से, भारत न केवल अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने के लिए काम कर रहा है, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक और रणनीतिक सहयोग को भी बढ़ावा दे रहा है। इस प्रकार की पहलें भारत को वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित करती हैं और क्षेत्रीय स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देती हैं।

FAQs:

IPEF क्या है?

IPEF (इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क) एक अंतरराष्ट्रीय पहल है जिसे 2022 में टोक्यो, जापान में लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विकास, शांति और समृद्धि को बढ़ावा देना है।

IPEF के कितने सदस्य देश हैं?

IPEF के कुल 14 सदस्य देश हैं: ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, फिजी, भारत, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया गणराज्य, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम, और संयुक्त राज्य अमेरिका।

IPEF के चार स्तंभ कौन से हैं?

IPEF के चार स्तंभ हैं: व्यापार (स्तंभ I), आपूर्ति श्रृंखला (स्तंभ II), क्लीन इकोनॉमी (स्तंभ III), और फेयर इकोनॉमी (स्तंभ IV)।

भारत IPEF में किस स्तंभ का हिस्सा है?

भारत IPEF के स्तंभ II (आपूर्ति श्रृंखला), स्तंभ III (क्लीन इकोनॉमी), और स्तंभ IV (फेयर इकोनॉमी) का हिस्सा है। स्तंभ I (व्यापार) में भारत पर्यवेक्षक के रूप में शामिल है।

आपूर्ति श्रृंखला लचीलेपन (Supply Chain Resilience) का क्या मतलब है?

आपूर्ति श्रृंखला लचीलेपन का मतलब है आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क में आने वाली बाधाओं से निपटने और इन बाधाओं की वजह से राजस्व, लागत और ग्राहकों पर पड़ने वाले प्रभावों को कम करने की क्षमता।

आपूर्ति श्रृंखला लचीलेपन के समक्ष कौन से खतरे हैं?

आपूर्ति श्रृंखला लचीलेपन के समक्ष भू-राजनीतिक खतरे (जैसे रूस-यूक्रेन संघर्ष), आर्थिक खतरे (जैसे कोविड-19 महामारी के कारण मांग और आपूर्ति में व्यवधान) शामिल हैं।

आपूर्ति श्रृंखला लचीलेपन को बढ़ावा देने के लिए भारत की कौन-कौन सी पहलें हैं?

भारत ने पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान, राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति और उत्पादन से संबंधित प्रोत्साहन (PLI) योजना जैसी पहलें शुरू की हैं।

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