भारत और मालदीव के बीच हाल ही में उभरे तनाव के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को कहा कि “राजनीति तो राजनीति है” और हर देश से हर दिन समर्थन की गारंटी नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा, “यह समझना जरूरी है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में गतिशीलता होती है। कभी-कभी मतभेद होते हैं, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि उन मतभेदों को रचनात्मक तरीके से सुलझाया जाए।”
जयशंकर ने यह बात महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित “मंथन: टाउनहॉल मीटिंग” में कही। उन्होंने कहा कि भारत और मालदीव के बीच परंपरागत रूप से मजबूत संबंध हैं और दोनों देशों ने एक-दूसरे के हितों को हमेशा ध्यान में रखा है। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि हाल ही में कुछ ऐसे मुद्दे उभरे हैं जिन पर दोनों देशों के बीच मतभेद हैं।
विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत मालदीव के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता है और द्वीप राष्ट्र की संप्रभुता का सम्मान करता है। उन्होंने कहा, “भारत का मालदीव के साथ विकासात्मक साझेदारी है और हम उनकी सुरक्षा और समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
जयशंकर के बयान को भारत और मालदीव के बीच तनाव कम करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को 2022 में हुए निर्वासन के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आ गई थी। उन पर मनी लॉन्ड्रिंग और करप्शन के आरोप थे। हाल ही में मालदीव के मिनिस्टर्स की तरफ से भी पीएम मोदी पर सोशल मीडिया पर भद्दे कमेंट किये गए।
हालांकि, इस मुद्दे पर भारत का मालदीव सरकार से सीधा टकराव नहीं है। भारत ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह मालदीव के आंतरिक राजनीतिक मामलों में तटस्थ रहने का इरादा रखता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने शुक्रवार को कहा, “भारत और मालदीव के बीच रणनीतिक साझेदारी है और हम द्वीप राष्ट्र के लोगों के साथ हमारे मजबूत संबंधों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
जयशंकर के बयान और विदेश मंत्रालय के रुख को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि भारत और मालदीव के बीच मतभेद जल्द ही सुलझ जाएंगे। हालांकि, यह भी देखना होगा कि आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच संबंध कैसा रुख लेते हैं।
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