Indian Politics and Criminalization: A Disturbing Revelation by the ADR Report; भारतीय राजनीति और अपराधीकरण: ADR रिपोर्ट का चिंताजनक खुलासा:

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) द्वारा प्रकाशित एक ताज़ा रिपोर्ट ने भारत की राजनीतिक परिदृश्य पर चिंताजनक आंकड़े पेश किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, राज्यसभा चुनाव लड़ रहे कम से कम 36% उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले दर्ज होने की जानकारी दी है। राज्यसभा, भारत की संसद का उच्च सदन है, जहां राज्यों के प्रतिनिधि सांसद के रूप में देशहित व राज्यहित से जुड़े अहम फैसले लेते हैं।

क्या है राजनीति का अपराधीकरण?

राजनीति का अपराधीकरण एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोग चुनावी राजनीति में शामिल होकर सत्ता के गलियारों में प्रवेश कर जाते हैं। कानून व्यवस्था का उल्लंघन करने वाले लोग जब कानून निर्माण की प्रक्रिया में शामिल हो जाते हैं तो यह स्थिति विरोधाभासी और लोकतंत्र के सिद्धांतों पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाती है। भारत में कई उम्मीदवार गंभीर आरोपों जैसे हत्या, महिला उत्पीड़न, और अन्य हिंसक अपराधों से घिरे होते हैं।

ADR रिपोर्ट के अनुसार राजनीति के अपराधीकरण की स्थिति

  • सितंबर 2023 की ADR रिपोर्ट के अनुसार, 40% मौजूदा सांसदों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होने की बात स्वीकारी है।
  • 25% मौजूदा सांसद ऐसे हैं जिनके खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले हैं, जिनमें हत्या, महिलाओं के खिलाफ अपराध आदि शामिल हैं।

इस अपराधीकरण के पीछे उत्तरदायी कारण

  • राजनीतिक दलों में अंदरूनी लोकतंत्र की कमी: अधिकतर राजनीतिक दलों में एक केंद्रीकृत शक्ति संरचना होती है। आलाकमान द्वारा टिकट बंटवारे और फैसले लेने की प्रवृत्ति दल के भीतर लोकतंत्र को कमज़ोर करती है, जिससे पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना चापलूस और आर्थिक रूप से समर्थ लोग अहम पदों पर पहुँच जाते हैं।
  • अपराधियों और राजनीतिक दलों के बीच सांठगांठ: चुनाव जीतने के लिए अक्सर राजनीतिक दल धनबल और बाहुबल वाले व्यक्तियों पर दांव लगाते हैं। इसके लिए, अपराध जगत से जुड़े लोगों के साथ गठबंधन किया जाता है।
  • मतदाताओं का गैर-जिम्मेदाराना रवैया: भारत में कई मतदाता अपनी जाति, धर्म, या किसी व्यक्तिगत लाभ के चक्कर में बिना उम्मीदवार की पृष्ठभूमि का सही आकलन किए वोट देते हैं। यह आपराधिक प्रवृत्ति वाले नेताओं के सत्ताधीश बनने का मार्ग प्रशस्त करता है।

राजनीति के अपराधीकरण का दुष्प्रभाव

  • लोकतंत्र और चुनावी प्रक्रिया पर नकारात्मक असर: जब जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि ही आपराधिक प्रवत्ति वाले होते हैं तो इससे चुनावों और समूची लोकतांत्रिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता कम होती है।
  • कानून तोड़ने वाले बन जाते हैं कानून बनाने वाले: विधायिका का काम होता है कानून बनाना, किन्तु अपराधीकरण की वजह से अपराधी प्रवृत्ति वाले सांसद बन जाते हैं। यह शासन व्यवस्था पर गहरा प्रश्न चिन्ह है।
  • युवाओं के लिए ग़लत रोल मॉडल: नैतिकता से विमुख हो चुके नेता समाज के युवाओं के लिए नकारात्मक रोल मॉडल बन कर उनका अनुसरण करने हेतु प्रेरित करते हैं।
  • भ्रष्टाचार और अराजकता: आपराधिक इतिहास वाले नेता भ्रष्टाचार और अराजकता को बढ़ावा देते हैं।

राजनीति के अपराधीकरण को कम करने के उपाय

इस समस्या से निपटने के लिए सरकार और न्यायपालिका द्वारा समय समय पर कुछ सख्त कदम उठाए गए हैं। आइए उन पर एक नज़र डालें:

  • विधायी उपाय: लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) के तहत, कम से कम 2 साल की क़ैद पाए दोषी सांसदों/विधायकों को उनकी सज़ा पूरी होने के 6 साल तक चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराया जा सकता है|
  • न्यायिक निर्णय: पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन (2018) मामले में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने राजनीतिक दलों को अपने उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास का खुलासा अनिवार्य रूप से करने का आदेश दिया है।

अन्य महत्वपूर्ण सिफारिशें

  • विधि आयोग की सिफारिश: भारत के विधि आयोग ने अपनी 244वीं रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि कुछ विशेष अपराधों में आरोप लगने पर सांसदों/विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया जाए।
  • दिनेश गोस्वामी और इंद्रजीत गुप्ता समिति की सिफारिशें: इन समितियों ने भारत की चुनावी प्रक्रिया में धनबल और काले धन के इस्तेमाल को रोकने के लिए चुनावों का वित्त पोषण सरकार द्वारा करवाने की सिफारिश की थी।
  • राष्ट्रीय आयोग (NCRWC, 2002) की सिफारिश: इस आयोग ने राजनीतिक दलों के भीतर लोकतंत्र को सशक्त बनाने और कानून द्वारा उसे संस्थागत रूप देने की की सिफारिश की थी ताकि पार्टी आलाकमान की मनमानी पर अंकुश लगे।

निष्कर्ष

भारत में राजनीति का अपराधीकरण एक गंभीर चुनौती है, और ADR की रिपोर्ट इस समस्या की भयावहता को दिखाती है। इससे निपटने के लिए सरकार, न्यायपालिका, राजनैतिक दलों के साथ-साथ मतदाताओं को भी जागरूक और सक्रिय होने की ज़रूरत है। केवल ईमानदार और कर्मठ नेताओं को ही चुनकर, हम भारत में सच्चे लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना कर सकते हैं।

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