IIT बॉम्बे और C-MET पुणे के शोधकर्ताओं ने सुपरकंप्यूटर को कूल रखने के लिए एक नया और प्रभावी तरीका खोजा है। उन्होंने कोल्ड प्लेट्स बनाने के लिए ‘लो टेंपरेचर को-फायर्ड सिरेमिक (LTCC)’ का उपयोग करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। यह पारंपरिक तांबे के एक दक्ष विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इस लेख में, हम LTCC तकनीक के लाभों, सुपरकंप्यूटर की कूलिंग प्रक्रिया, और भारत के सुपरकंप्यूटिंग क्षेत्र में चल रही पहल के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
सुपरकंप्यूटर की कूलिंग का महत्व:
हाई परफॉरमेंस कंप्यूटिंग सिस्टम (HPC) या सुपरकंप्यूटर में तरल शीतलक और कोल्ड प्लेट्स का उपयोग करके ऊष्मा को नष्ट करते हुए कूलिंग को संभव बनाया जाता है। लिक्विड कूल्ड उपकरणों में, अतिरिक्त ऊष्मा को हटाने के लिए विआयनीकृत जल जैसे तरल शीतलक को सिस्टम के माध्यम से प्रसारित किया जाता है। कोल्ड प्लेट्स का उपयोग हीट सिंक की तरह किया जाता है, जो सर्किट के घटकों से ऊष्मा को शीतलक तरल में स्थानांतरित करता है। इसके लिए उच्च तापीय चालकता के कारण तांबा वर्तमान में सर्वाधिक प्रयुक्त सामग्री है।
कोल्ड प्लेट्स के लिए LTCC का उपयोग:
लो टेंपरेचर को-फायर्ड सिरेमिक (LTCC) एक ऐसी तकनीक है, जिसका सर्किट के लिए सिरेमिक सब्सट्रेट बनाने हेतु उपयोग किया जाता है। सब्सट्रेट ऐसी सामग्री होती है, जिस पर इलेक्ट्रिकल इंटरकनेक्शन प्रिंट किए जाते हैं और जिस पर रेसिस्टर्स, इंडक्टर्स आदि लगे होते हैं। यह 3D सर्किट पैकिंग की सुविधा देता है, जिससे डिज़ाइन पारंपरिक PCB (प्रिंटेड सर्किट बोर्ड) की तुलना में अधिक कॉम्पैक्ट एवं दक्ष बन जाते हैं। LTCC सुपरकंप्यूटर में माइक्रोप्रोसेसर चिप्स को प्रभावी ढंग से कूल कर सकता है।
सुपरकंप्यूटर के बारे में:
सुपरकंप्यूटर बहुत बड़े और अधिक शक्तिशाली कंप्यूटर होते हैं। इनमें कई सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट्स (CPUs) होती हैं, जिन्हें ‘कंप्यूट नोड्स’ में समूहीकृत किया जाता है। सुपरकंप्यूटर की प्रोसेसिंग गति को फ्लोटिंग-पॉइंट ऑपरेशंस प्रति सेकेंड (FLOPS) में मापा जाता है। सुपरकंप्यूटर का उपयोग वैज्ञानिक अनुसंधान, अंतरिक्ष अन्वेषण, मौसम पूर्वानुमान और क्लाइमेट मॉडलिंग, जीनोमिक अनुक्रमण आदि में किया जाता है।
सुपरकंप्यूटिंग के क्षेत्र में भारत की पहलें:
भारत ने सुपरकंप्यूटिंग के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहलें की हैं। राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन को वर्ष 2015 में आरंभ किया गया था। इस मिशन का संचालन इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (C-DAC), पुणे और भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु द्वारा कार्यान्वयन किया जा रहा है।
इंडिया-AI मिशन के तहत, इंडिया-AI कंप्यूट कैपेसिटी एक उच्च-स्तरीय स्केलेबल एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) कंप्यूटिंग इकोसिस्टम का निर्माण करेगी। इसके अलावा, हाई परफॉरमेंस कंप्यूटिंग पर भारत-यूरोपीय संघ सहयोग स्थापित किया गया है।
LTCC के लाभ:
- वजन में हल्का: तांबे की तुलना में LTCC प्लेट्स काफी हल्की होती हैं, जिससे यह अधिक सुविधाजनक होती है।
- संक्षारण का कम खतरा: LTCC प्लेट्स में संक्षारण की समस्या नहीं होती, जिससे इसकी दीर्घायु बढ़ जाती है।
- छोटे डिजाइन की अनुमति: LTCC सर्किट तीन-आयामी पैकिंग की अनुमति देते हैं, जिससे सिस्टम का आकार छोटा हो जाता है।
संक्षारण एक रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें धातु या अन्य सामग्री बाहरी वातावरण में उपस्थित तत्वों के साथ प्रतिक्रिया करके धीरे-धीरे नष्ट हो जाती है। यह प्रक्रिया आमतौर पर धातुओं के मामले में होती है जब वे ऑक्सीजन, नमी, या अन्य रासायनिक तत्वों के संपर्क में आती हैं।
चुनौतियाँ और समाधान:
हालांकि, LTCC प्लेट्स की तापीय चालकता तांबे की तुलना में काफी कम होती है। इसे ध्यान में रखते हुए, शोधकर्ताओं ने LTCC प्लेट्स में धातु से भरे छोटे छिद्र बनाए हैं, जिन्हें थर्मल वियास कहा जाता है। इन थर्मल वियास की मदद से गर्मी का प्रवाह तेजी से होता है, जिससे ठंडा करने की प्रक्रिया अधिक प्रभावी हो जाती है।
LTCC सिरेमिक सामग्री होने के कारण इनमें दरारें पड़ने का खतरा रहता है। इसे हल करने के लिए, एक नया क्लैम्पिंग तंत्र विकसित किया गया है, जो प्लेट्स को सुरक्षित रखता है और उनमें दरारें पड़ने से रोकता है।
निष्कर्ष:
IIT बॉम्बे और C-MET पुणे के शोधकर्ताओं का यह नवाचार सुपरकंप्यूटर की कूलिंग के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है। LTCC तकनीक के उपयोग से न केवल ऊर्जा की बचत होगी, बल्कि सुपरकंप्यूटर की कार्यक्षमता भी बढ़ेगी। यह खोज भारत को सुपरकंप्यूटिंग के क्षेत्र में और अधिक उन्नत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
FAQs:
LTCC कोल्ड प्लेट्स तांबे से कैसे बेहतर हैं?
LTCC कोल्ड प्लेट्स तांबे की तुलना में हल्की होती हैं, उनमें संक्षारण का खतरा कम होता है, और यह छोटे एवं अधिक कॉम्पैक्ट डिजाइन की अनुमति देती हैं।
LTCC प्लेट्स की मुख्य चुनौतियाँ क्या हैं?
LTCC प्लेट्स की मुख्य चुनौतियाँ इनकी कम तापीय चालकता और सिरेमिक सामग्री के कारण दरारें पड़ने का खतरा हैं। इन समस्याओं को हल करने के लिए थर्मल वियास और नया क्लैम्पिंग तंत्र विकसित किया गया है।
भारत में सुपरकंप्यूटिंग के क्षेत्र में क्या पहलें चल रही हैं?
भारत में राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन, इंडिया-AI मिशन और हाई परफॉरमेंस कंप्यूटिंग पर भारत-यूरोपीय संघ सहयोग जैसी महत्वपूर्ण पहलें चल रही हैं। इन पहल के तहत उच्च-स्तरीय एआई कंप्यूटिंग इकोसिस्टम और उच्च-स्तरीय स्केलेबल सुपरकंप्यूटिंग सुविधाएँ विकसित की जा रही हैं।
सुपरकंप्यूटर की कूलिंग प्रक्रिया में कोल्ड प्लेट्स का क्या महत्व है?
कोल्ड प्लेट्स का उपयोग सुपरकंप्यूटर के सर्किट घटकों से ऊष्मा को शीतलक तरल में स्थानांतरित करने के लिए किया जाता है। यह ऊष्मा को प्रभावी ढंग से हटाने में मदद करता है, जिससे सुपरकंप्यूटर का तापमान नियंत्रित रहता है और वे अपनी उच्चतम कार्यक्षमता पर कार्य कर सकते हैं।